देश के प्रमुख जलाशयों के जल स्तर में कमी | 27 May 2017

संदर्भ
विगत सप्ताह किये गए एक अध्ययन के दौरान यह पाया गया कि देश के 91 जलाशयों में जल का संग्रहण 35.053 बीसीएम अर्थात् अरब घन मीटर है| यह जल संग्रहण इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का मात्र 22% है| वैसे, पिछले कुछ वर्षों में यह देखा गया है कि जलाशयों की जल संग्रहण क्षमता में निरंतर कमी आ रही है| विदित हो कि इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 157.799 बीसीएम है जो देश की अनुमानित कुल संग्रहण क्षमता का 62% है| गौरतलब है कि इन 91 जलाशयों में से 37 जलाशय ऐसे हैं जो 60 मेगावाट से अधिक जलविद्युत का उत्पादन कर सकते हैं|

क्षेत्रवार जल संग्रहण स्थिति

उत्तरी क्षेत्र

  • उत्तरी क्षेत्र के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा राजस्थान आते हैं| इस क्षेत्र में 18.01 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले छह जलाशय हैं जिनकी निगरानी केन्द्रीय जल आयोग (central water commission) द्वारा की जाती है| 
  • वर्तमान में इन जलाशयों में उपलब्ध कुल जल संग्रहण 4.36 बीसीएम है जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 24% है, जबकि पिछले वर्ष इसी समयावधि के दौरान इन जलाशयों की संग्रहण क्षमता 22% थी। इस प्रकार, पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष उत्तरी क्षेत्र के जल संग्रहण में मामूली ही सही लेकिन बढ़ोतरी हुई है, लेकिन इसके बावजूद भी जल संग्रहण का यह स्तर पिछले दस वर्षों की इसी समयावधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से कम है।

पूर्वी क्षेत्र

  • पूर्वी क्षेत्र में झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल एवं त्रिपुरा आते हैं। इस क्षेत्र में 18.83 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 15 जलाशय हैं, इनकी निगरानी भी केन्द्रीय जल आयोग ही करता है| 
  • वर्तमान में इन जलाशयों में उपलब्ध जल संग्रहण 5.66 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 30% है। पिछले वर्ष  इसी समयावधि के दौरान इन जलाशयों की संग्रहण क्षमता 23% थी। इस प्रकार, पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष पूर्वी क्षेत्र के जल संग्रहण में बढ़ोतरी हुई है और यह पिछले दस वर्षों की इसी समयावधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से बेहतर है।

पश्चिमी क्षेत्र

  • पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात तथा महाराष्ट्र आते हैं। इस क्षेत्र में 27.07 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 27 जलाशय हैं, जिनकी निगरानी केन्द्रीय जल आयोग द्वारा की जाती है| 
  • वर्तमान में इन जलाशयों में उपलब्ध कुल जल संग्रहण 6.87 बीसीएम है जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 25% है। पिछले वर्ष की इसी समयावधि के दौरान इन जलाशयों की संग्रहण क्षमता मात्र 14% थी। इस प्रकार, पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष पश्चिमी क्षेत्र में जल संग्रहण बेहतर हुआ है और यह पिछले दस वर्षों की इसी समयावधि के दौरान रहे औसत संग्रहण के लगभग समान है।

मध्य क्षेत्र

  • मध्य क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ आते हैं। इस क्षेत्र में 42.30 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 12 जलाशय हैं जिनकी निगरानी केन्द्रीय जल आयोग करता है| 
  • वर्तमान में इन जलाशयों में उपलब्ध जल संग्रहण 14.25 बीसीएम है जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 34% है। पिछले वर्ष इसी समायावधि में इन जलाशयों की संग्रहण क्षमता 23 प्रतिशत थी। इस तरह पिछले वर्ष की इसी समयावधि की तुलना में इस वर्ष संग्रहण बेहतर हुआ है और यह  पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी बेहतर है।

दक्षिणी क्षेत्र

  • दक्षिणी क्षेत्र में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु आते हैं। इस क्षेत्र में 51.59 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 31 जलाशय हैं जिनकी निगरानी केन्द्रीय जल आयोग द्वारा की जाती है|
  • वर्तमान में इन जलाशयों में उपलब्ध कुल जल संग्रहण क्षमता 3.92 बीसीएम है जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 8 प्रतिशत है। पिछले वर्ष इसी समयावधि के दौरान इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 11% थी। इस प्रकार, इस वर्ष का जल संग्रहण पिछले वर्ष की इसी समयावधि के दौरान रहे जल संग्रहण से कम है और यह पिछले दस वर्षों की इसी समयावधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी कम है।

निष्कर्ष 
पिछले वर्ष इसी समयावधि में इन जलाशयों में रहे जल संग्रहण की तुलना में इस वर्ष पंजाब, राजस्थान, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना जैसे राज्यों में जल संग्रहण बेहतर हुआ है| इसके अतिरिक्त, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों की दो संयुक्त परियोजनाओं में जल संग्रहण पिछले वर्ष के समान ही है, जबकि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु ऐसे राज्यों में शामिल हैं जहाँ इसी समयावधि के दौरान पिछले वर्ष की तुलना मे इस वर्ष कमी दर्ज की गई है| अंततः यह कहा जा सकता है देश का लगभग हर क्षेत्र जल के संकट से जूझ रहा है तथा आवश्यकता यह है कि इन प्रमुख जलाशयों में अधिकाधिक जल संग्रहण करने के लिये कुछ विशिष्ट तरीके अपनाए जाए|