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‘अपशिष्ट टॉयलेट पेपर - विद्युत ऊर्जा का एक नया विकल्प’

  • 19 Sep 2017
  • 5 min read

संदर्भ

हाल ही में अनेक वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि ‘अपशिष्ट टॉयलेट पेपर’ (Waste toilet paper) का उपयोग नवीकरणीय विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने में किया जा सकता है। इसके लिये दो-चरणीय प्रक्रिया को अपनाया जाएगा, जिसकी लागत आवासीय सौर ऊर्जा प्रतिष्ठानों (residential solar power installations) की लागत के समान ही होगी।

प्रमुख बिंदु

  • यदि इस प्रक्रिया का क्रियान्वयन किया जाता है तो यह नगर निगम के गड्ढों के अतिप्रवाह और जीवाश्म ईंधनों पर उनकी निर्भरता जैसी समस्याओं से निपटने में कारगर सिद्ध होगी।
  • हालाँकि अपशिष्ट टॉयलेट पेपर को संपत्ति नहीं माना जाता है, परंतु यह कार्बन का एक अच्छा स्रोत है। यदि शुष्कता को आधार माना जाए तो इसमें 70-80% तक सेलुलोज़ पाया जाता है।
  • ध्यान देने योग्य है कि पश्चिमी यूरोप में प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष औसतन 10-14 किलोग्राम अपशिष्ट टॉयलेट पेपर का उत्पादन करता है।
  • वस्तुतः नगर निगम के सीवेज फिल्टरों में जमा हुए ये अपशिष्ट टॉयलेट पेपर नगरपालिका के अपशिष्ट का मामूली परंतु महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। 
  • बिजली का उत्पादन करने के लिये अपशिष्ट टॉयलेट पेपरों का उपयोग करना एक उत्कृष्ट ‘अपशिष्ट पुनर्चक्रण संकल्पना’ (waste recycling concept) है। चूँकि अपशिष्ट टॉयलेट पेपर में पाया जाने वाला सेलुलोज़ वृक्षों से प्राप्त होता है। अतः इससे उत्पन्न होने वाली बिजली नवीकरणीय होगी।
  • यह  नवीकरणीय ऊर्जा के लिये समाज की बढ़ती मांग को पूरा करने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है। 

क्या है विशेषताएँ?

  • सौर और पवन ऊर्जा (जोकि समय और मौसम के साथ अनियमितता दर्शाते हैं) के विपरीत अपशिष्ट टॉयलेट पेपर निरंतर उपलब्ध होने वाला संसाधन है।
  • अनुसंधानकर्त्ताओं ने अपशिष्ट टॉयलेट पेपरों के रूपांतरण के लिये एक साधारण सी दो-चरणीय प्रकिया प्रस्तावित की है, जिससे अवांछित अपशिष्ट को सीधे ही एक उपयोगी उत्पाद में बदल दिया जाएगा।
  • वैज्ञानिकों ने अपशिष्ट टॉयलेट पेपर के गैसीकरण के लिये उच्च तापमान युक्त ठोस ऑक्साइड ईंधन सेलों के साथ उपकरणों को जोड़ने की संभावना की जाँच की। इनकी सहायता से अपशिष्ट टॉयलेट पेपर गैस को सीधे ही विद्युत ऊर्जा में बदला जा सकता है।
  • इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य प्रतिवर्ष 10,000 टन अपशिष्ट टॉयलेट पेपर के लिये इस तरह की प्रणाली की व्यवहार्यता का आकलन करना था।
  • तकनीकी-आर्थिक विश्लेषण के तरीकों का उपयोग करके शोधकर्त्ताओं की इस टीम ने संकल्पना के लिये मूल प्रक्रिया के डिज़ाइन, सम्पूर्ण ऊर्जा संतुलन और एक आर्थिक अध्ययन तैयार किया। 
  • ‘द जर्नल ऊर्जा प्रौद्योगिकी’ पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में उन्होंने द्रव्यमान और ऊर्जा संतुलन गणनाओं के विस्तृत विवरण के आधार पर मूल प्रणाली के डिज़ाइन, इसकी बिजली उत्पन्न करने की क्षमता और सम्पूर्ण दक्षता को प्रदर्शित किया। 
  • इसकी सम्पूर्ण विद्युत दक्षता 57% है जोकि प्राकृतिक गैस संयुक्त चक्रीय संयंत्र (natural gas combined cycle plant)  के समान है। बिजली की एलसीओई लागत (The levelized cost of electricity -LCOE)  की तुलना वर्तमान समय के आवासीय फोटोवोल्टिक प्रतिष्ठानों से की जा सकती है। ध्यातव्य है कि एलसीओई लागत का उपयोग विद्युत उत्पादन के तरीकों की तुलना करने के लिये किया जाता है।

निष्कर्ष

  • यद्यपि ईंधन सेल की निवेश लागत के कारण इस प्रणाली की पूंजी लागत काफी अधिक है। परंतु ऐसा माना जा रहा है कि ईंधन सेलों के बाज़ार विकसित होने पर इनकी लागत में एकाएक कमी आ जाएगी। वास्तव में उच्च ऊष्मागतिकीय दक्षता के कारण इसकी परिचालन लागतें (operating costs ) आज भी अपेक्षाकृत कम हैं।
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