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पृथ्वी को गर्म करने में ज्वालामुखी की भूमिका

  • 04 Oct 2019
  • 7 min read

संदर्भ?

हाल ही में डीप कार्बन ऑब्ज़र्वेटरी (Deep Carbon Observatory-DCO) के डीप अर्थ कार्बन डीगैसिंग (Deep Earth Carbon Degassing- DECADE) उपसमूह के शोधकर्त्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि ज्वालामुखियों और ज्वालामुखीय क्षेत्रों में प्रतिवर्ष अनुमानित रूप से 280-360 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का उत्सर्जन होता है।

Deep Carbon

मुख्य बिंदु:

  • डीप कार्बन ऑब्ज़र्वेटरी (DCO) के वैज्ञानिकों ने पाया कि केवल कुछ ज्वालामुखी घटनाओं से होने वाली कार्बन की विनाशकारी मात्रा का उत्सर्जन भी एक गर्म वातावरण, महासागरों की अम्लीयता में वृद्धि और बड़े पैमाने पर विलुप्ति का कारण बन सकता है।
  • ज्वालामुखियों और ज्वालामुखीय क्षेत्रों में प्रतिवर्ष वृहद् मात्रा में होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के उत्सर्जन में सक्रिय ज्वालामुखी, मिट्टी, फॉल्ट (Fault) और ज्वालामुखी क्षेत्रों में टूटन, ज्वालामुखी झीलों के साथ-साथ मध्य-महासागर रिज प्रणाली का योगदान शामिल होता है।
  • DECADE के शोधकर्त्ताओं के अनुसार, पिछले 100 वर्षों के लिये जीवाश्म ईंधन और वनों के जलने जैसे मानवीय कारकों के कारण वार्षिक कार्बन उत्सर्जन भूगर्भीय स्रोतों जैसे कि सभी ज्वालामुखी उत्सर्जन आदि की तुलना में 40 से 100 गुना अधिक था।

Volcanic emissions

  • DECADE के अनुसार, 11,700 साल पहले के आखिरी हिमयुग से सक्रिय 1500 ज्वालामुखियों में से करीब 400 अब भी वृहद् मात्रा में CO2 का उत्सर्जन कर रहे हैं।
  • DECADE ने यह भी पुष्टि की है कि 200 से अधिक ज्वालामुखी प्रणालियों ने 2005 और 2017 के बीच CO2 के औसत दर्जे की मात्रा का उत्सर्जन किया है। इनमें संयुक्त राज्य अमेरिका में येलोस्टोन, पूर्वी अफ्रीकी भ्रंश (Rift) और चीन में टेक्नॉन्ग ज्वालामुखीय प्रांत शामिल हैं।
  • DCO के विशेषज्ञों के अनुमान के अनुसार, ज्वालामुखी प्रक्रिया एवं पर्वत बेल्टों में चूना पत्थर का उष्मण आदि अन्य भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के माध्यम से पृथ्वी द्वारा CO2 का कुल वार्षिक उत्सर्जन लगभग 300 से 400 मिलियन मीट्रिक टन (0.3 से 0.4 गीगाटन) है।

कार्बन का संतुलन:

  • विशेषज्ञों के अनुसार, पृथ्वी के मेंटल से निकली कार्बन की मात्रा सापेक्षतः विवर्तनिक प्लेटों के अधोमुखी उपशमन (Downward Subduction) और अन्य प्रक्रियाओं के माध्यम से संतुलन में रही है।
  • हालाँकि बड़े ज्वालामुखीय घटनाओं के कारण यह संतुलन पिछले 500 मिलियन वर्षों में लगभग चार गुना कम हो गया है। उदाहरण के लिये- कनाडा का क्षेत्र में मात्र कुछ हज़ार वर्ष से लेकर करीब एक मिलियन वर्ष की कालावधि के भीतर लगभग एक मिलियन या अधिक वर्ग किलोमीटर में मैग्मा बाहर निकला, जबकि इसी अवधि में पृथ्वी द्वारा कार्बन के अवशोषण की दर में सापेक्षिक वृद्धि दर्ज नहीं की गई।
  • इन बड़े आग्नेय प्रांतों में कार्बन की भारी मात्रा का उत्सर्जन हुआ है। एक अनुमान के अनुसार, यह उत्सर्जन 30,000 गीगाटन के करीब रहा है जो कि वर्तमान में सतह के ऊपर अनुमानित कुल 43,500 गीगाटन कार्बन के लगभग 70 प्रतिशत के बराबर है।
  • रिपोर्ट के माध्यम से वैज्ञानिकों ने चेतावनी देते हुए कहा कि कार्बन चक्र के किसी भी असंतुलन के कारण तीव्र वैश्विक उष्मण (Global Warming), सिलिकेट अपक्षय दर में परिवर्तन, हाइड्रोलॉजिकल चक्र में परिवर्तन आदि के साथ-साथ समग्र रूप से तीव्र अधिवास परिवर्तन हो सकता है। यह पृथ्वी पर असंतुलन के माध्यम से बड़े पैमाने पर जैव-विविधता के ह्रास एवं विलुप्ति का कारण बन सकता है।
  • वैज्ञानिकों द्वारा की गई गणना के अनुसार, पृथ्वी के कुल कार्बन का मात्र 0.2 प्रतिशत (लगभग 43,500 गीगाटन) महासागरों में, भूमि पर और वायुमंडल में है। शेष अनुमानित करीब 1.85 बिलियन गीगाटन उपसतही (Subsurface) क्रस्ट, मेंटल और कोर में मौजूद है।
  • सतह पर मौजूद कुल कार्बन की मात्रा में से करीब 37,000 गीगाटन कार्बन (85.1 प्रतिशत) गहरे सागर में तथा लगभग 3,000 गीगाटन (6.9 प्रतिशत) समुद्री तलछट में निहित है।
  • उपरोक्त परिणाम एवं निष्कर्ष DCO के शोधकर्त्ताओं द्वारा पृथ्वी के विशाल आंतरिक कार्बन के भंडार और पृथ्वी की गहराई द्वारा स्वाभाविक रूप से कार्बन के अवशोषण तथा उत्सर्जन के अनुमानों का हिस्सा हैं।

डीप कार्बन ऑब्ज़र्वेटरी

(Deep Carbon Observatory- DCO)

  • DCO पृथ्वी में कार्बन की मात्रा, चाल, रूप और उत्पत्ति को समझने के लिये 1,000 से अधिक वैज्ञानिकों का 10-वर्षीय वैश्विक सहयोग है।
  • DCO वैज्ञानिकों के एक बहु-विषयक समूह को साथ लाता है, जिसमें भूवैज्ञानिक, रसायनज्ञ, भौतिक विज्ञानी और जीवविज्ञानी शामिल हैं।
  • नवीन प्रौद्योगिकी और उपकरण, प्रयोगशाला प्रयोगों और वास्तविक समय पर्यवेक्षणों (Real-time Observations) का उपयोग करते हुए DCO के वैज्ञानिक कार्बन का पृथ्वी पर जीवन के ऊपर पड़ने वाले प्रभावों को समझाने का प्रयास करते हैं।
  • डीप कार्बन ऑब्ज़र्वेटरी को लॉन्च करने के लिये प्रारंभिक वित्त पोषण के रूप में दस वर्षों के लिये अल्फ्रेड पी. स्लोन फाउंडेशन (Alfred P. Sloan Foundation) द्वारा 50 मिलियन डॉलर की राशि प्रदान की गई थी।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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