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शासन व्यवस्था

जम्मू-कश्मीर में दरबार मूव

  • 11 Apr 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये

दरबार मूव प्रक्रिया

मेन्स के लिये

प्रसाशनिक प्रक्रियाओं पर महामारी का प्रभाव

चर्चा में क्यों?

144 वर्षों में पहली बार जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने मौजूदा COVID-19 महामारी के मद्देनज़र प्रदेश में जम्मू से श्रीनगर में राजधानी के वार्षिक हस्तांतरण को रोकने का निर्णय लिया है।

प्रमुख बिंदु

  • ध्यातव्य है कि लगभग 148 वर्ष पहले शुरू हुई राजधानी हस्तांतरण की इस प्रक्रिया को ‘दरबार मूव’ (Darbar move) के नाम से जाना जाता है।
  • जम्मू में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार, COVID-19 महामारी के मद्देनज़र जम्मू में सिविल सचिवालय कार्यशील रहेगा और ‘दरबार मूव’ के तहत आने वाले कर्मचारी ‘जैसा है, जहाँ है’ (As is Where is) आधार पर कार्य करेंगे।
    • इस प्रकार कश्मीर आधारित कर्मचारियों को कश्मीर में रहकर कार्य करने और जम्मू आधारित कर्मचारियों को जम्मू में कार्य करने की अनुमति मिलेगी।
  • इसके अलावा श्रीनगर नगर निगम (Srinagar Municipal Corporation-SMC) को श्रीनगर में सिविल सचिवालय में व्यापक स्वच्छता अभियान चलाने के लिये निर्देश दिया गया है, जहाँ 4 मई को 6 महीने पश्चात् कार्यालय खुलेंगे।

‘दरबार मूव’ (Darbar move)

  • जम्मू-कश्मीर में राजधानी हस्तांतरण अथवा ‘दरबार मूव’ की प्रक्रिया तकरीबन 148 वर्ष पुरानी है, जिसकी शुरुआत वर्ष 1872 में डोगरा शासक महाराजा रणबीर सिंह (1856 से 1885 तक) द्वारा बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित करने के उद्देश्य से की गई थी।
  • डोगरा शासक महाराजा रणबीर सिंह द्वारा शुरू की गई इस प्रथा के अनुसार, महाराजा का दरबार 6 महीनों के लिये श्रीनगर में लगता था और 6 महीनों के लिये जम्मू में।
    • इतिहासकारों के अनुसार, महाराजा का काफिला अप्रैल माह में श्रीनगर के लिये रवाना हो जाता था और अक्तूबर में उसकी वापसी होती थी।
  • डोगरा शासकों ने वर्ष 1947 तक इस प्रथा को जारी रखा और वर्ष 1947 के पश्चात् दरबार के स्थान पर राजधानी के हस्तांतरण की प्रथा शुरू हो गई। 
  • उल्लेखनीय है कि इस राजधानी हस्तांतरण की प्रक्रिया को लेकर समय-समय पर कई संगठनों द्वारा आपत्ति जताते हुए यह मांग की गई है कि दोनों ही राजधानियों (श्रीनगर और जम्मू) में सचिवालय का कार्य पूरे वर्ष चलता रहे, केवल वरिष्ठ अधिकारी ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित हों। 
    • प्रत्येक 6 माह में सभी दस्तावेज़ स्थानांतरित न किये जाएँ, इससे हस्तांतरण पर आने वाले खर्च को कम किया जा सकेगा। वर्तमान में वर्ष में 2 बार ‘दरबार मूव’ की प्रकिया पर लगभग 600 करोड़ रुपए का खर्च आता है।
  • हालाँकि इस प्रथा के समर्थकों का मत है कि यह प्रथा जम्मू और कश्मीर के मध्य संस्कृति के समन्वय हेतु एक सेतु के रूप में कार्य करता है।

COVID-19 और जम्मू-कश्मीर

  • COVID-19 वायरस मौजूदा समय में भारत समेत दुनिया भर में स्वास्थ्य और जीवन के लिये गंभीर चुनौती बना हुआ है। अब यह वायरस संपूर्ण विश्व में फैल गया है।
  • WHO के अनुसार, COVID-19 में CO का तात्पर्य कोरोना से है, जबकि VI विषाणु को, D बीमारी को तथा संख्या 19 वर्ष 2019 (बीमारी के पता चलने का वर्ष ) को चिह्नित करता है।
  • दुनिया भर में इस वायरस के कारण अब तक 1 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है और तकरीबन 16 लाख लोग इसकी चपेट में हैं। भारत में भी स्थिति काफी गंभीर है और इस खतरनाक वायरस के कारण अब तक देश में 239 लोगों की मृत्यु हो चुकी है तथा देश में 7400 से अधिक लोग इसकी चपेट में हैं।
  • जम्मू-कश्मीर में कोरोनावायरस (COVID-19) संक्रमण के कुल 207 मामले सामने आए हैं, जिसमें से 197 अभी भी सक्रिय (Active) हैं और 4 लोगों की मृत्यु हो चुकी है, वहीं शेष लोग अब ठीक हो चुके हैं।
  • जम्मू-कश्मीर के नए मामलों में तबलीगी जमात (Tabligi Jamaat) के भी कुछ मामले शामिल हैं।

स्रोत: द हिंदू

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