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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

उत्तरी आयरलैंड में हिंसा

  • 14 Apr 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

उत्तरी आयरलैंड, यूनाइटेड किंगडम (UK) में हालिया वर्षों के दौरान हिंसा की सबसे खराब स्थिति देखी गई है। 23 वर्ष पहले हुए एक शांति समझौते ने काफी हद तक उत्तरी आयरलैंड की समस्याओं को समाप्त कर दिया था, परंतु वर्तमान में  एक बार फिर उत्तरी आयरलैंड के कई हिस्सों में सांप्रदायिक हिंसा देखी जा रही है।

Great-Britain

प्रमुख बिंदु:

ऐतिहासिक संघर्ष:

  • भौगोलिक रूप से उत्तरी आयरलैंड, आयरलैंड का तथा राजनीतिक रूप से UK का हिस्सा है।
  • कई शताब्दियों तक ब्रिटेन के कब्जे में रहने के बाद लगभग 100 वर्ष पहले आयरलैंड में विद्रोह हुआ। जिसके बाद वर्ष 1920-21 में आयरलैंड का बँटवारा हुआ। तब ब्रिटेन ने आयरलैंड की 32 काउंटी में से रोमन कैथोलिक-बहुमत वाली केवल 26 काउंटी को ही स्वतंत्रता प्रदान की जबकि प्रोटेस्टेंट बहुमत वाली शेष छह काउंटी पर आज भी ब्रिटेन का कब्ज़ा है।
  • उत्तरी आयरलैंड के कैथोलिक अल्पसंख्यकों ने प्रोटेस्टेंट-बहुमत वाले राज्य में भेदभाव का अनुभव किया।
  • 1960 के दशक में एक कैथोलिक नागरिक अधिकार आंदोलन ने बदलाव की मांग की लेकिन उसे सरकार और पुलिस की कठोर प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा।
  • शांति बनाए रखने के लिये वर्ष 1969 में ब्रिटिश सेना को तैनात किया गया।
    • यह स्थिति आयरिश रिपब्लिकन विद्रोहियों के बीच संघर्ष में बदल गई, जो दक्षिणी आयरलैंड के साथ एकजुट होना चाहते थे।
  • तीन दशकों के संघर्ष के दौरान बम विस्फोट और गोलीबारी में 3,600 से अधिक लोग (अधिकांश नागरिक) मारे गए। जिनमे से अधिकांश उत्तरी आयरलैंड से थे।

विवाद की समाप्ति:

  • 1990 के दशक तक गुप्त वार्ता के बाद आयरलैंड, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा राजनयिक प्रयासों की मदद से सभी पक्षों को शांति समझौते के लिये तैयार किया गया ।
  • 10 अप्रैल, 1998 को हस्ताक्षरित ‘गुड फ्राइडे समझौता’ दो समझौतों का समूह है जिसने 1960 के दशक से जारी उत्तरी आयरलैंड संघर्ष की अधिकांश हिंसक झड़पों को समाप्त कर दिया। 1990 के दशक में यह समझौता उत्तरी आयरलैंड शांति प्रक्रिया में एक प्रमुख मील का पत्थर साबित हुआ और इसने उत्तरी आयरलैंड में कैथोलिक-प्रोटेस्टेंट साझा सत्ता सरकार की स्थापना की।
  • इसके तहत उत्तरी आयरलैंड की अंतिम स्थिति को समाप्त कर दिया गया तथा कहा गया कि यह तब तक ब्रिटिश के नियंत्रण में रहेगा जब तक कि बहुमत की इच्छा हो, लेकिन पुनर्मूल्यांकन के आधार पर भविष्य में जनमत संग्रह से भी इनकार नहीं किया गया।
  • अब जबकि शांति प्रक्रिया काफी हद तक समाप्त हो गई है, ‘आयरिश रिपब्लिकन आर्मी’ नामक छोटे समूह ने सुरक्षा बलों पर कई बार हमले किये हैं जिसके परिणामस्वरूप सांप्रदायिक हिंसा की विभिन्न घटनाएँ सामने आई हैं।
  • शक्ति के विभाजन की व्यवस्था में विफलता के कारण वर्तमान में भी सरकार को दोनों पक्षों पर भरोसा नहीं है।

मूल समस्या के रूप में ब्रेक्ज़िट:

  • उत्तरी आयरलैंड ने यूरोपीय संघ (EU) से ब्रिटेन के अलग होने की प्रक्रिया ‘ब्रेक्ज़िट’ को मूल समस्या बताया है।
  • उत्तरी आयरलैंड और आयरलैंड के बीच एक खुली आयरिश सीमा है, जहाँ स्वतंत्र रूप से लोगों तथा सामानों की आवाजाही होती है। इस तरह उत्तरी आयरलैंड में रहने वाले लोगों को आयरलैंड और ब्रिटेन दोनों में ही अपना घर महसूस होता है।
  • ब्रिटेन की सरकार ने ब्रेक्ज़िट की प्रक्रिया पर ज़ोर दिया है इसके माध्यम से ब्रिटेन को यूरोपीय संघ के आर्थिक ढाँचे से बाहर कर दिया था इसके फलस्वरूप व्यापार में कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
  • यूरोपीय संघ से बाहर होने पर अब ब्रिटेन को व्यापार पर नए अवरोध और जाँच प्रक्रियाओं का निर्माण करना पड़ा है। लेकिन ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने इस बात पर सहमति जताई कि उत्तरी आयरलैंड की सीमा पर ऐसा नहीं होगा जिसका मूल कारण  शांति प्रक्रिया है।
  • ब्रिटिश संघवादियों ने चिंता व्यक्त की है कि अगर ऐसा होता रहा तो उत्तरी आयरलैंड में ब्रिटेन की स्थिति कमज़ोर हो सकती है। इससे उत्तरी आयरलैंड और आयरलैंड के एक होने का खतरा भी उत्पन्न हो सकता है।

वर्तमान हिंसा के कारण:

  • ब्रेक्ज़िट और कोरोना:
    • 31 दिसंबर, 2020 ब्रिटेन, यूरोपीय संघ से अलग हो गया और नई व्यापार व्यवस्था जल्द ही उत्तरी आयरलैंड के उन संघवादियों के लिये एक अड़चन बन गई जो ब्रिटेन में रहना चाहते हैं।
    • कोरोना वायरस महामारी के कारण प्रारंभिक व्यापार खामियाँ पहले से भी अधिक गहरी हो गईं तथा व्यापारिक स्थितियाँ और खराब हो गईं।
  • पहचान का संकट:
    • “जहाँ कुछ लोगों की पहचान ब्रिटिश के रूप में है और वे ब्रिटेन का हिस्सा बने रहना चाहते हैं  वहीं, कुछ लोग स्वयं को आयरलैंड का निवासी मानते हैं और वे पड़ोसी आयरलैंड गणराज्य का हिस्सा बनना चाहते हैं जो की यूरोपीय संघ का सदस्य है।” यह तथ्य भी हिंसा का एक प्रमुख कारण है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

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