शासन व्यवस्था
हिंसा से भारतीय जीडीपी को $1 ट्रिलियन से अधिक का नुकसान
- 11 May 2018
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चर्चा में क्यों?
एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिर क्रय शक्ति समता (PPP) के संदर्भ में पिछले वर्ष हिंसा से $1.19 ट्रिलियन (₹80 लाख करोड़ से अधिक) का नुकसान हुआ। जो प्रति व्यक्ति के आधार पर लगभग $595.4 है।
प्रमुख बिंदु
- ये निष्कर्ष इंस्टिट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस (IEP) द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के आधार पर निकाले गए हैं। इस रिपोर्ट में 163 देशों और क्षेत्रों का अध्ययन किया गया है।
- रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2017 में हिंसा के कारण भारत की अर्थव्यवस्था को $1,190.51 बिलियन का नुकसान हुआ जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का 9 प्रतिशत है। प्रति व्यक्ति के संदर्भ में यह आँकड़ा ₹40,000 से अधिक है।
- हिंसा के कारण 2017 में वैश्विक अर्थव्यवस्था को $14.76 ट्रिलियन का नुकसान उठाना पड़ा। जो वैश्विक जीडीपी का 12.4 प्रतिशत था।
- हिंसा के वैश्विक आर्थिक प्रभाव को हिंसा के परिणामों को थामने, रोकने और उनसे निपटने से संबंधित व्यय और आर्थिक प्रभाव के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- अनुमानों में हिंसा की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लागत और आर्थिक गुणक शामिल हैं। गुणक प्रभाव अतिरिक्त आर्थिक गतिविधि की गणना करता है।
- रिपोर्ट के मुताबिक, इंसान को नियमित रूप से संघर्ष का सामना करना पड़ता है। यह संघर्ष विभिन्न स्तरों पर होता रहता है। लेकिन हर जगह यह हिंसात्मक नहीं होता है।
- दशकों से शांति में आ रही गिरावट विभिन्न कारकों की एक विस्तृत श्रृंखला के कारण आई है। इनमें बढ़ती आतंकी गतिविधियाँ, मध्य-पूर्व में संघर्षों में आई तीव्रता, पूर्वी यूरोप और उत्तर-पूर्वी एशिया में बढ़ता क्षेत्रीय तनाव, शरणार्थियों की बढ़ती तादाद, यूरोप और अमेरिका में बढ़ता राजनीतिक तनाव जैसे कारक शामिल हैं।
- एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि समग्र शांति में हल्की गिरावट के बावजूद यह क्षेत्र दुनिया का तीसरा सबसे शांतिपूर्ण क्षेत्र बना रहा है। यहाँ आंतरिक और बाहरी दोनों तरह के संघर्षों और पड़ोसी देशों के मध्य संबंधों में उल्लेखनीय सुधार हुए हैं, लेकिन हिंसक अपराध, आतंकवाद के प्रभाव, राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति इस क्षेत्र में और खराब हुई है।
- दक्षिण एशिया के संदर्भ में रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र में सीमा विवाद संबंधी स्थितियों से बाहरी संघर्षों की स्थिति खराब हुई है। स्मरणीय है कि भारत और चीन के मध्य डोकलाम पास को लेकर लगभग तीन महीने तक गतिरोध चला था।
- दक्षिण एशियाई क्षेत्र के दो सबसे कम शांतिपूर्ण राष्ट्र अफगानिस्तान और पाकिस्तान में शांति में और गिरावट दर्ज की गई है। इसके अलावा, रोहिंग्या संकट के कारण बांग्लादेश और म्याँमार में भी शांति में गिरावट देखी गई।
- सूची में सर्वाधिक प्रभावित देशों के मामले में सीरिया को पहला स्थान प्राप्त हुआ है, जिसे हिंसा के कारण अपनी जीडीपी के 68 प्रतिशत तक का नुकसान उठाना पड़ा। इसके बाद अफगानिस्तान (63 प्रतिशत) और इराक (51 प्रतिशत) का स्थान आता है।
- आर्थिक लागत के संदर्भ में सबसे अधिक प्रभावित दस देशों की सूची में एल सेल्वाडोर, दक्षिण सूडान, मध्य अफ़्रीकी गणराज्य, साइप्रस, कोलंबिया, लेसोथो और सोमालिया शामिल हैं।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि कम शांतिपूर्ण और अधिक शांतिपूर्ण देशों के बीच समृद्धि में अंतर (prosperity gap) में बढ़ोतरी हो रही है।
- हिंसा की आर्थिक लागत के मामले में स्विट्ज़रलैंड सबसे कम प्रभावित देश है।
- उभरते बाजारों वाले देशों के अंतर्गत हिंसा से चीनी अर्थव्यवस्था को $1,704.62 बिलियन, ब्राजील की अर्थव्यवस्था को $511,364.9 मिलियन, रूस को $1,013.78 बिलियन और दक्षिण अफ्रीका को $239,480.2 मिलियन का नुकसान उठाना पड़ा।
- विकसित देशों में, अमेरिका के लिये, पीपीपी के मामले में हिंसा की लागत $2.67 ट्रिलियन या जीडीपी की 8 प्रतिशत थी। ब्रिटेन के लिये यह लागत $312.27 बिलियन थी, जो उसकी जीडीपी की 7 प्रतिशत थी।