अंतर्राष्ट्रीय संबंध
विजय दिवस और भारत-बांग्लादेश संबंध
- 16 Dec 2022
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:भारत-पाक युद्ध 1971, विजय दिवस, ऑपरेशन जैकपॉट, भारत-बांग्लादेश संबंध मेन्स के लिये:बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में भारत की भूमिका, भारत-बांग्लादेश संबंध और इसमें प्रमुख चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत व एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में बांग्लादेश के जन्म को चिह्नित करने के लिये हर साल 16 दिसंबर को भारतीय सशस्त्र बलों और बांग्लादेश द्वारा विजय दिवस (बिजॉय डिबोस) के रूप में मनाया जाता है।
बांग्लादेश की मुक्ति के लिये भारत-पाक युद्ध:
- पृष्ठभूमि:
- भारत की स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान में पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान शामिल थे जहाँ एक बड़ी समस्या दोनों क्षेत्रों के बीच भौगोलिक संपर्क न हो पाना थी।
- सांस्कृतिक संघर्ष और पूर्वी पाक के प्रशासन की लापरवाही भी एक प्रमुख चुनौती थी।
- 1960 के दशक के मध्य में शेख मुजीबुर रहमान (बांग्लादेश के राष्ट्रपिता) जैसे नेताओं ने पश्चिमी पाक की नीतियों का सक्रिय रूप से विरोध करना शुरू कर दिया, जिसके बाद पाकिस्तानी सेना द्वारा क्रूरतापूर्ण कार्रवाई की गई।
- भारत की स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान में पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान शामिल थे जहाँ एक बड़ी समस्या दोनों क्षेत्रों के बीच भौगोलिक संपर्क न हो पाना थी।
- भारत की भूमिका:
- 15 मई, 1971 को, भारत ने पाकिस्तान की सेना के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध में लगे मुक्ति बाहिनी सेनानियों की भर्ती करने, प्रशिक्षण देने, हथियारबंद करने, आपूर्ति और सलाह संबंधी कारणों से ऑपरेशन जैकपॉट लॉन्च किया।
- 3 दिसंबर 1971 को भारत ने पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली मुसलमानों और हिंदुओं को बचाने के लिये पाकिस्तान के साथ युद्ध करने का फैसला किया। यह युद्ध 13 दिनों तक चला था।
- उसके बाद भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश की अनंतिम सरकारों के बीच एक लिखित समझौता हुआ, जिससे बांग्लादेश मुक्ति युद्ध समाप्त हो गया।
- महत्त्व:
- 51 वर्ष पूर्व 16 दिसंबर को द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद यह सबसे बड़ा सैन्यकर्मियों का आत्मसमर्पण था।
- पाकिस्तानी सेना के प्रमुख ने ढाका में भारतीय सेना और मुक्ति बाहिनी के सामने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया।
- विजय दिवस समारोह न केवल बांग्लादेश के लिये महत्त्वपूर्ण है बल्कि पूरे भारत में मनाया जाने वाला एक विशेष अवसर भी है जो भारतीय सेना की महत्त्वपूर्ण भूमिका और युद्ध में इसके योगदान के महत्त्व को दर्शाता है।
- 51 वर्ष पूर्व 16 दिसंबर को द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद यह सबसे बड़ा सैन्यकर्मियों का आत्मसमर्पण था।
स्वतंत्रता के बाद भारत-बांग्लादेश संबंध:
- भारत द्वारा तत्काल मान्यता:
- भारत बांग्लादेश को मान्यता देने और दिसंबर 1971 में इसकी स्वतंत्रता के तुरंत बाद राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले शुरुआती देशों में से एक था।
- संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्रों ने भी बांग्लादेश की स्वतंत्र पहचान को तुरंत मान्यता दे दी।
- रक्षा सहयोग:
- भारत और बांग्लादेश 4096.7 किमी. लंबी सीमा साझा करते हैं; जो कि भारत द्वारा अपने किसी भी पड़ोसी देश के साथ साझा की जाने वाली सबसे लंबी भूमि सीमा है।
- असम, पश्चिम बंगाल, मिज़ोरम, मेघालय और त्रिपुरा बांग्लादेश के साथ सीमा साझा करते हैं।
- दोनों देश संयुक्त सैन्य अभ्यास भी करते हैं - थल सेना (सम्प्रति सैन्याभ्यास) और नौसेना (मिलन सैन्य अभ्यास)।
- भारत और बांग्लादेश 4096.7 किमी. लंबी सीमा साझा करते हैं; जो कि भारत द्वारा अपने किसी भी पड़ोसी देश के साथ साझा की जाने वाली सबसे लंबी भूमि सीमा है।
- आर्थिक संबंध:
- वर्ष 2021-22 में बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार और विश्व भर में भारतीय निर्यात के लिये चौथा सबसे बड़ा गंतव्य बनकर उभरा है।
- वित्त वर्ष 2020-21 में बांग्लादेश को किया जाने वाला निर्यात 9.69 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 66% से अधिक बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 में 16.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- हाल ही में बांग्लादेश के प्रधानमंत्री ने भारत का दौरा किया तथा भारतीय प्रधानमंत्री के साथ बातचीत की जहाँ भारत और बांग्लादेश ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग हेतु 7 समझौतों पर हस्ताक्षर किये।
- दोनों देशों के बीच संबंधों में प्रमुख चुनौतियाँ:
- उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद तीस्ता जल बँटवारे का अनसुलझा मुद्दा अभी भी व्यापक स्तर पर बना हुआ है।
- बांग्लादेशी लोगों द्वारा भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने की कोशिश की प्रतिक्रिया में भारतीय सैनिकों द्वारा गोलीबारी के दौरान कुछ बांग्लादेशी नागरिकों की मौत हो जाना भी भारत-बांग्लादेश के संबंधों के लिये चुनौतीपूर्ण रहा है।
- अपनी 'पड़ोसी पहले नीति' (Neighbourhood First Policy) के बावजूद भारत इस क्षेत्र में चीन के सामने अपना प्रभाव खोता जा रहा है; बांग्लादेश बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का एक सक्रिय भागीदार है।
आगे की राह
- बांग्लादेश सामाजिक संकेतकों के साथ क्षेत्र की सबसे तेज़ी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था है, जिससे भारत सहित अन्य देश सीख ले रहे हैं। यह एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है जिसके साथ भारत अपनी 'पड़ोसी पहले नीति’ में निहित आर्थिक या रणनीतिक आधारों की पूर्ण क्षमता का एहसास कर सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रश्न, तीस्ता नदी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: B प्रश्न: उन परिस्थितियों का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये जिनके कारण भारत को बांग्लादेश के उदय में निर्णायक भूमिका का निर्वहन करना पड़ा। (मुख्य परीक्षा, 2013) |