लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

गौरक्षकों पर नियंत्रण आवश्यक: सुप्रीम कोर्ट

  • 08 Sep 2017
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गोरक्षा के नाम पर कानून हाथ में नहीं लिया जाना चाहिये और सरकार को इस संबंध में तत्काल उचित संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करनी चाहिये।
  • कोर्ट ने आक्रामक हो रहे गोरक्षकों पर कड़ाई से लगाम कसने की ज़रूरत बताई है और इसके मद्देनज़र सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रत्येक ज़िले में ऐसे गोरक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये एक नोडल पुलिस अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया है।

नोडल अधिकारी की ज़रूरत क्यों?

  • दरअसल, हाल ही में हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान सरकार के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वे प्रत्येक ज़िले में इस ज़िम्मेदारी को संभालने के लिये अलग से एक पुलिस अधिकारी नियुक्त कर सकते हैं।
  • राज्य सरकारों के इस प्रस्ताव पर ही सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश जारी किया है। यह नोडल अधिकारी इसलिये तैनात होगा, ताकि गोरक्षकों की हिंसक कार्रवाइयों से निपटा जा सके, साथ ही ऐसा अपराध होने पर उसके खिलाफ तुरंत कार्रवाई हो सके।

आगे की राह

  • गोरक्षकों की हरकतों पर काबू पाने के लिये पहली ज़रूरत यह है कि ऐसी घटनाओं पर पुलिस के रवैये में बदलाव लाया जाए। ज़्यादातर मामलों में पुलिस, पशु वध या चोरी/तस्करी के आरोप में पीड़ितों पर ही केस दर्ज़ करती है।
  • आमतौर पर प्रशासन पीड़ितों के साथ मारपीट या उनकी हत्या करने वालों की धर-पकड़ के बजाय यह साबित करने में ज़्यादा चुस्ती दिखाता है कि गाय की हत्या या उसकी तस्करी हुई थी या फिर बीफ कहीं से लाया या ले जाया जा रहा था।

निष्कर्ष

संविधान का अनुच्छेद 256 केंद्र सरकार को राज्यों के लिये कानून-प्रशासन के मसलों पर निर्देश जारी करने का अधिकार देता है। दरअसल गौरक्षा राज्य सूची का विषय है, फिर भी अनुच्छेद 256 के तहत केंद्र सरकार को गोरक्षकों की गतिविधियों को रोकने के लिये राज्यों को निर्देश देना चाहिये।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2