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शासन व्यवस्था

भारत में वाहन बीमा

  • 14 Dec 2020
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय बीमा सूचना ब्यूरो (IIB) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की है।

  • भारतीय बीमा सूचना ब्यूरो का गठन भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) द्वारा वर्ष 2009 में बीमा उद्योग की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये एक ही मंच के रूप में किया गया था।

प्रमुख बिंदु

बिना बीमा वाले वाहन

  • रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2019 तक सड़कों पर मौजूद कुल वाहनों में से 57 प्रतिशत वाहन बीमाकृत नहीं थे, जबकि मार्च 2018 में ऐसे वाहनों की संख्या 54 प्रतिशत थी।
  • बिना बीमा वाले अधिकांश वाहन (लगभग 66 प्रतिशत) दोपहिया वाहन हैं।
    • मोटर वाहन अधिनियम 2019 के अनुसार, सभी वाहनों का तृतीय-पक्ष वाहन बीमा पॉलिसी के साथ बीमा होना अनिवार्य है।
    • तृतीय-पक्ष वाहन बीमा असल में दायित्त्व बीमा का ही एक रूप होता है, जिसे बीमाधारक (प्राथमिक-पक्ष) द्वारा बीमाकर्त्ता (द्वितीय-पक्ष) से किसी अन्य व्यक्ति (तृतीय-पक्ष) के कानूनी दावों के विरुद्ध सुरक्षा के लिये खरीदा जाता है।

कारण

  • सड़क सुरक्षा संबंधी नियमों का सही ढंग से पालन न होने, बीमाकर्त्ताओं द्वारा फॉलो-अप में कमी और तृतीय-पक्ष बीमा पॉलिसी कवर की बढ़ती लागत के परिणामस्वरूप अधिकांश लोग अपनी मोटर बीमा पॉलिसी का नवीनीकरण नहीं करवाते हैं।

चिंताएँ 

  • भारतीय सड़कों पर लगभग 13.2 करोड़ वाहन बिना तृतीय-पक्ष बीमा पॉलिसी कवर के चल रहे हैं, ऐसे में यदि इन वाहनों से भविष्य में कोई दुर्घटना होती है तो पीड़ितों को पर्याप्त मुआवज़ा नहीं मिल सकेगा, क्योंकि प्रायः वाहन के मालिकों के पास क्षतिपूर्ति प्रदान करने के लिये सीमित साधन होते हैं और बीमा पॉलिसी ऐसी कोई एक बीमा कंपनी नहीं होगी, जिस पर देयता को लगाया जा सके। 
  • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा वर्ष 2019 में भारत में सड़क दुर्घटनाओं पर जारी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार,
  • सड़क दुर्घटनाएँ
    • रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सड़क दुर्घटना के कारण प्रतिवर्ष लगभग 1.5 लाख लोगों की मृत्यु होती है।
    • वर्ष 2010-2018 की अवधि में सड़क दुर्घटनाओं और साथ ही दुर्घटना से संबंधित होने में पिछले दशकों की तुलना में कमी दर्ज की गई, जबकि इसी अवधि में वाहनों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि दर्ज की गई।
    • वर्ष 2017 की तुलना में वर्ष 2018 में सड़क दुर्घटनाओं की गंभीरता (प्रति 100 दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या) में 0.6 प्रतिशत वृद्धि हुई।
  • प्रमुख कारण
    • रिपोर्ट के मुताबिक, ओवर-स्पीडिंग सड़क दुर्घटनाओं का सबसे प्रमुख कारण रहा। सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले कुल लोगों में से 64.4 प्रतिशत लोगों की मृत्यु ओवर-स्पीडिंग के कारण हुई।
    • वर्ष 2018 में कुल दुर्घटनाओं में दोपहिया वाहनों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा (35.2 प्रतिशत) रही।
  • आम लोगों द्वारा सड़क सुरक्षा संबंधी नियमों का पालन न करने से बीमा कंपनियों को काफी नुकसान होता है, क्योंकि इससे बीमा दावे का अनुपात बढ़ जाता है और कंपनियों को नुकसान होता है। कई अवसरों पर न्यायाधिकरणों ने बीमाकर्त्ताओं को मुआवजे के लिये उत्तरदायी ठहराया है।

संबंधित वैश्विक पहलें

  • सड़क सुरक्षा पर ब्रासीलिया घोषणा (वर्ष 2015)
    • ब्रासीलिया घोषणा पर ब्राज़ील में आयोजित सड़क सुरक्षा हेतु द्वितीय वैश्विक उच्च-स्तरीय सम्मेलन में हस्ताक्षर किये गए थे। सड़क सुरक्षा हेतु पहला वैश्विक उच्च-स्तरीय सम्मेलन वर्ष 2009 में रूस में आयोजित किया गया था।
    • ब्रासीलिया घोषणा के माध्यम से सभी देशों ने वर्ष 2030 तक सतत् विकास लक्ष्य 3.6 यानी कि वैश्विक ट्रैफिक से होने वाली मौतों की संख्या को आधा करने की योजना बनाई है।
  • संयुक्त राष्ट्र (UN) ने वर्ष 2010-2020 को सड़क सुरक्षा के लिये कार्रवाई का दशक घोषित किया है।

आगे की राह

  • भारत विश्व के सबसे बड़े ऑटो बाज़ारों में से एक है, जहाँ प्रतिवर्ष 20 मिलियन से अधिक वाहनों की बिक्री होती है। भारत उन देशों में से भी एक है, जहाँ सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएँ और मौतें होती हैं। ऐसी स्थिति में यह बहुत जोखिमपूर्ण और खतरनाक है कि देश में सड़कों पर चलने वाले आधे से अधिक वाहन बीमाकृत नहीं है।
  • यद्यपि बीमा के माध्यम से सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं को तो नहीं रोका जा सकता, किंतु यह दुर्घटना के कारण होने वाले नुकसान को अवश्य ही कम कर सकता है।
  • बीमा की अवधारणा तथा इसके महत्त्व आदि से संबंधित विषयों पर जागरूकता फैलाने और वित्तीय साक्षरता में सुधार करने की आवश्यकता है।
  • नियामकों को तीन अन्य पहलुओं पर सतर्क होने की आवश्यकता है:
    • यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि कम आय वाले लोगों को बीमा कवर के लाभ से वंचित न रह जाएँ, क्योंकि ये आबादी का बड़ा हिस्सा हैं और उन्हें सुरक्षा की सबसे अधिक आवश्यकता है।
    • इस बात पर ज़ोर दिया जाना चाहिये कि बीमा कंपनियाँ बिचौलियों को दरकिनार करते हुए बीमा उत्पादों की सीधी खरीद के लिए एक सरल ऑनलाइन प्रक्रिया की सुविधा प्रदान करें।
    • यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि कंपनियाँ ज़्यादा मूल्य न लें या कवर में छिपी हुई लागत न जोड़ें।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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