वंशधारा नदी जल विवाद | 11 Jun 2020
प्रीलिम्स के लिये:वंशधारा नदी की भौगोलिक अवस्थिति मेन्स के लिये:भारत में विभिन्न अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद |
चर्चा में क्यों?
वर्ष 2009 से आंध्रप्रदेश तथा ओडिशा राज्य के मध्य उत्पन्न ‘वंशधारा जल विवाद’ (Vamsadhara Water Dispute) के समाधान को लेकर शीघ्र ही आंध्रप्रदेश सरकार द्वारा ओडिशा सरकार से वार्ता की बात की गई है।
प्रमुख बिंदु:
- वर्तमान आंध्रप्रदेश सरकार द्वारा शीघ्र ही वंशधारा और नागावल्ली नदी की इंटर-लिंकिंग को भी पूरा किया जाना तथा ‘मड्डुवालासा परियोजना’ (Madduvalasa Project) का भी विस्तार किये जाने की योजना बनायी जा रही है।
- मड्डुवालासा परियोजना आंध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम ज़िले में एक मध्यम सिंचाई परियोजना है।
- इस परियोजना का जलग्रहण क्षेत्र श्रीकाकुलम और विजयनगरम दो ज़िलों में फैला हुआ है।
- इस परियोजना के जलाशय के लिये पानी का मुख्य स्रोत सुवर्णमुखी नदी की सहायक नदी नागवल्ली नदी में एक इंटरलिंक बनाकर की जा रही है।
विवाद की पृष्ठभूमि:
- ओडिशा राज्य सरकार द्वारा फरवरी, 2009 में ‘अंतरराज्यीय नदी जल विवाद’ (ISRWD) अधिनियम,1956 की धारा 3 के अंतर्गत वंशधारा नदी जल विवाद के समाधान के लिये अतंर्राज्यीय जल विवाद अधिकरण के गठन के लिये केंद्र सरकार को एक शिकायत दर्ज़ की गई थी।
- ओडिशा सरकार का पक्ष था कि आंध्र प्रदेश के कटरागार में वंशधारा नदी पर निर्मित तेज़ बहाव वाली नहर के निर्माण के कारण नदी का विद्यमान तल सूख जाएगा जिसके परिणामस्वरूप भूजल और नदी का बहाव प्रभावित होगा।
- दोनों राज्यों के मध्य उत्पन्न इस विवाद को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2009 में केंद्र सरकार को जल विवाद अधिकरण को गठित करने के निर्देश दिया अतः सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2010 में एक ‘जल विवाद अधिकरण’ का गठन किया गया।
- अधिकरण द्वारा दिया गया निर्णय के विरुद्ध वर्ष 2013 ओडिशा सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई जो अभी लंबित है।
नदी जल विवाद संबंधित संवैधानिक प्रावधान:
- सविधान का अनुच्छेद- 262 अंतर्राज्यीय जल विवादों के न्यायनिर्णयन से संबंधित है।
- इस अनुच्छेद के अंतर्गत संसद द्वारा दो कानून पारित किये गए हैं-
- नदी बोर्ड अधिनयम (1956) तथा अंतर्राज्यीय जल विवाद अधिनयम(1956)
- अंतर्राज्यीय जल विवाद अधिनयम, केंद्र सरकार को अंतर्राज्यीय नदियों और नदी घाटियों के जल के प्रयोग, बँटवारे तथा नियंत्रण से संबंधित दो अथवा दो से अधिक राज्यों के मध्य किसी विवाद के न्यायनिर्णय हेतु एक अस्थायी न्यायाधिकरण के गठन की शक्ति प्रदान करता है। गठित न्यायाधिकरण का निर्णय अंतिम होगा जो सभी पक्षों के लिये मान्य होगा।
वंशधारा नदी:
- यह नदी ओडिशा तथा आंध्र प्रदेश राज्यों के बीच प्रवाहित होती है।
- नदी का उद्गम ओडिशा के कालाहांडी ज़िले के थुआमुल रामपुर से होता है।
- लगभग 254 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद यह आंध्र प्रदेश के कालापटनम ज़िले से बंगाल की खाड़ी में प्रवेश कर जाती है।
- इस नदी के बेसिन का कुल जलग्रहण क्षेत्र लगभग 10,830 वर्ग किलोमीटर है।
आगे की राह:
- विवाद के समाधान के लिये दोनों ही राज्यों को पहल करनी होगी तथा गठित जल विवाद न्यायाधिकरण एवं सर्वोच्च न्यायलय द्वारा दिए गए अंतिम निर्णय को स्वीकार करना चाहिए।
- इसके अतिरिक्त दोनों ही पक्षों को वंशधारा परियोजना के चरण-II के लाभ को भी समझना होगा जिसके चलते कम-से-कम दो लाख एकड़ भूमि को सिंचित किया गया है। राज्यों के आर्थिक विकास को पर्यावरण एवं किसानों के हित से भी जोड़ा जाना आवश्यक है।