अंतर्राष्ट्रीय संबंध
उइगर बलात् श्रम
- 29 Feb 2024
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प्रिलिम्स के लिये:उइगर बलात् श्रम रोकथाम अधिनियम (UFLPA), उइगर, उइगर स्वायत्त क्षेत्र, अमेरिका के आयुक्त सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा (CBP), यूरोपीय यूनियन (EU), विश्व व्यापार संगठन (WTO), अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) मेन्स के लिये:मानव अधिकार का उल्लंघन और समाज पर इसका प्रभाव। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में चीन स्थित एक जर्मन वाहन ब्रांड (वोक्सवैगन (VW)) को उइगर बलात् श्रम रोकथाम अधिनियम (UFLPA) के उल्लंघन के कारण अमेरिका में ज़ब्त कर लिया गया है।
- चीन के शिनजियांग प्रांत में बलात् श्रम में शामिल होने के संबंध में एप्पल और ज़ारा (स्पेन) सहित अमेरिका तथा यूरोपीय यूनियन की कई उल्लेखनीय कंपनियों के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं।
- अमेरिकी राज्य विभाग और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त की रिपोर्ट उइगर दमन को नरसंहार तथा मानवता के खिलाफ संभावित अपराधों के रूप में उजागर करती है।
उइगर कौन हैं?
- परिचय:
- उइगर मुख्य रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यक तुर्क जातीय समूह हैं, जिनकी उत्पत्ति मध्य एवं पूर्वी एशिया से मानी जाती है।
- उइगर अपनी स्वयं की भाषा बोलते हैं, जो कि काफी हद तक तुर्की भाषा के समान है और उइगर स्वयं को सांस्कृतिक एवं जातीय रूप से मध्य एशियाई देशों के करीब पाते हैं।
- उइगर मुस्लिमों को चीन में आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त 55 जातीय अल्पसंख्यक समुदायों में से एक माना जाता है।
- हालाँकि चीन उइगर मुस्लिमों को केवल एक क्षेत्रीय अल्पसंख्यक के रूप में मान्यता देता है और यह अस्वीकार करता है कि वे स्वदेशी समूह हैं।
- वर्तमान में उइगर जातीय समुदाय की सबसे बड़ी आबादी चीन के शिनजियांग क्षेत्र में रहती है।
- उइगर मुस्लिमों की एक महत्त्वपूर्ण आबादी पड़ोसी मध्य एशियाई देशों, जैसे- उज़्बेकिस्तान, किर्गिज़स्तान और कज़ाखस्तान में भी रहती है।
- शिनजियांग तकनीकी रूप से चीन के भीतर एक स्वायत्त क्षेत्र है और यह क्षेत्र खनिजों से समृद्ध है तथा भारत, पाकिस्तान, रूस एवं अफगानिस्तान सहित आठ देशों के साथ सीमा साझा करता है।
- उइगर मुस्लिमों की एक महत्त्वपूर्ण आबादी पड़ोसी मध्य एशियाई देशों, जैसे- उज़्बेकिस्तान, किर्गिज़स्तान और कज़ाखस्तान में भी रहती है।
- उइगर मुख्य रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यक तुर्क जातीय समूह हैं, जिनकी उत्पत्ति मध्य एवं पूर्वी एशिया से मानी जाती है।
- उइगरों के मानवाधिकारों के खिलाफ चीन का कदम:
- संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) के कार्यालय की एक रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि शिनजियांग में मुख्य रूप से उइगर के साथ-साथ अन्य मुस्लिम समुदायों के साथ "गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन" हुआ है।
- इन उल्लंघनों में यातना, दुर्व्यवहार, बलात् चिकित्सा उपचार के साथ-साथ यौन एवं लिंग आधारित हिंसा के आरोप शामिल हैं।
- मनमाने ढंग से हिरासत में लेना: उइगरों के साथ अन्य लोगों के खिलाफ मनमाने ढंग से हिरासत की सीमा, मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंधों के साथ, मानवता के विरुद्ध अपराध हो सकता है।
- चीनी सरकार की चरमपंथ विरोधी रणनीति में तथाकथित व्यावसायिक शैक्षणिक एवं प्रशिक्षण केंद्र (VETC) अथवा पुन: शिक्षा शिविरों का उपयोग शामिल है।
- प्रतिबंधों के इंटरलॉकिंग पैटर्न: शिनजियांग में चीन की नीतियों के कारण मानवाधिकारों की एक विस्तृत शृंखला पर गंभीर एवं अनुचित प्रतिबंध लगाए हैं। भले ही VETC प्रणाली को कम प्रभावी किया गया है, अंतर्निहित कानून एवं नीतियाँ निर्मित की गई हैं, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2017 के बाद से कारावास तथा दुर्व्यवहार में वृद्धि हुई है।
- विभेद: ये उल्लंघन उइगर तथा अन्य अल्पसंख्यकों को लक्षित करने वाले व्यापक भेदभाव की पृष्ठभूमि में होते हैं।
- अपने चरमपंथ विरोधी उपायों के माध्यम से आतंकवादियों को निशाना बनाने के चीनी सरकार के दावे ने गंभीर चिंताएँ उत्पन्न की हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय निंदा: संयुक्त राष्ट्र के 51 सदस्य देशों ने एक संयुक्त घोषणा जारी कर उइगरों के साथ-साथ अन्य समुदायों के खिलाफ मानवता विरुद्ध चीन के अपराधों की निंदा की।
- संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) के कार्यालय की एक रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि शिनजियांग में मुख्य रूप से उइगर के साथ-साथ अन्य मुस्लिम समुदायों के साथ "गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन" हुआ है।
- उइगरों के मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों पर चीन की प्रतिक्रिया:
- बीजिंग द्वारा या तो नज़रबंदी शिविरों के अस्तित्व से इनकार किया या ऐसे दावों को झूठ कहकर खारिज कर दिया।
- सरकार ने उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र के रूप में वर्णित किया है जिसका उद्देश्य रोज़गार के अवसर प्रदान करना और उइगर मुस्लिम आबादी के बीच धार्मिक तथा अलगाववादी उग्रवाद को संबोधित करना है।
- वैश्विक आरोपों की प्रतिक्रिया में चीनी सरकार ने बंदियों को देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थानांतरित कर दिया है और साथ ही शिनजियांग से निर्यात को पुनर्निर्देशित भी किया है।
उइगरों के विरुद्ध मानवाधिकार उल्लंघनों पर विभिन्न राष्ट्र की प्रतिक्रिया क्या है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका:
- पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना में विशेष रूप से झिंजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र से संयुक्त राज्य अमेरिका में बलात् श्रम द्वारा पूर्णत: अथवा आंशिक रूप से निर्मित वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध को लागू करने में सहायता हेतु एक योजना उइगर बलात् श्रम रोकथाम अधिनियम (UFLPA) द्वारा आवश्यक बनाया गया है।
- कानून एक धारणा बनाता है कि चीन से वस्तुओं का आयात करना या इस क्षेत्र में कुछ संस्थाओं द्वारा विनिर्मित वस्तु, टैरिफ अधिनियम,1930 की धारा 307 के तहत प्रतिबंधित है।
- ऐसी वस्तुएँ और मद संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवेश के हकदार नहीं हैं।
- यह अवधारणा तब तक लागू होती है जब तक कि अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा आयुक्त स्पष्ट एवं ठोस सबूतों के माध्यम से यह निर्धारित नहीं करते हैं कि वस्तुओं या मद का उत्पादन बलपूर्वक श्रम का प्रयोग करके नहीं किया गया था।
- यह अधिनियम अत्याचार, मनमानी हिरासत और बलात् श्रम जैसे मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिये घरेलू कंपनियों को दंडित करने का प्रयास करता है, जिससे लगभग दस लाख उइगर मुस्लिम प्रभावित होते हैं, जिन्हें चीन के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में नज़रबंदी शिविरों में रखा गया है।
- यह कानून अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा प्रदत्त बलात् श्रम की परिभाषा का उपयोग करने और बड़े निगमों पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करता है।
- यूरोपीय संघ:
- अमेरिकी प्रतिबंध के विपरीत, जो मुख्य रूप से झिंजियांग से आयात को लक्षित करता है, यूरोपीय संघ ने एक व्यापक कानून पेश किया है जो 27-सदस्यीय ब्लॉक के भीतर निर्मित उत्पादों सहित बलात् श्रम पर आधारित सभी उत्पादों को प्रतिबंधित करता है।
- चिंता यह है कि कुछ निश्चित देशों को लक्षित करने वाले प्रतिबंधों को विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुसार भेदभावपूर्ण कार्रवाइयों के रूप में देखा जा सकता है।
- आपूर्ति शृंखलाओं में सामाजिक, पर्यावरणीय और मानवाधिकारों के हनन को नियंत्रित करने वाला EU-वाइड कॉरपोरेट सस्टेनेबिलिटी ड्यू डिलिजेंस डायरेक्टिव, वर्ष 2022 से स्थिर/निष्क्रिय है।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन
- परिचय:
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) वर्ष 1919 से एकमात्र त्रिपक्षीय संयुक्त राष्ट्र एजेंसी है। यह श्रम मानकों को निर्धारित करने, नीतियाँ विकसित कर सभी महिलाओं और पुरुषों के लिये उचित कार्य को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम अभिकल्पित करने हेतु 187 सदस्य राष्ट्रों की सरकारों, नियोक्ताओं तथा श्रमिकों को एक साथ लाता है।
- गठन:
- इसका गठन वर्ष 1919 में वर्साय की संधि द्वारा राष्ट्र संघ के एक संबद्ध अभिकरण में किया गया था।
- वर्ष 1946 में यह संयुक्त राष्ट्र का पहला संबद्ध विशेष अभिकरण बना।
- मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड।
- स्थापना का उद्देश्य: वैश्विक एवं स्थायी शांति हेतु सामाजिक न्याय आवश्यक है।
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त मानवाधिकारों एवं श्रमिक अधिकारों को बढ़ावा देता है।
- नोबेल शांति पुरस्कार:
- वर्ष 1969 में नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त हुआ।
- विभिन्न सामाजिक वर्गों के मध्य शांति स्थापित करने हेतु।
- श्रमिकों के लिये सभ्य कार्य एवं न्याय के पक्षधर की भूमिका हेतु।
- अन्य विकासशील राष्ट्रों को तकनीकी सहायता प्रदान करने हेतु।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2016) समाचारों में कभी-कभी उल्लिखित समुदाय :
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c)
अत: विकल्प (c) सही उत्तर है। |