भारत-विश्व
अमेरिका का EB-5 वीज़ा
- 26 Jul 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेरिका ने अपने EB-5 वीज़ा शुल्क में भारी बढ़ोतरी की है। यह शुल्क वृद्धि लक्षित रोज़गार क्षेत्र (Targeted Employment Areas-TEA) में न्यूनतम निवेश राशि में 80% की वृद्धि के कारण हुई।
प्रमुख बिंदु:
- अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (US Citizenship and Immigration Services-USCIS) की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार अमेरिका में लक्षित रोज़गार क्षेत्र में निवेश राशि को पाँच लाख डॉलर (3.5 करोड़ रुपए) से बढ़ाकर 9 लाख डॉलर (6.2 करोड़ रुपए) कर दिया गया है।
- मानक निवेश (शहरी क्षेत्रों के लिये) में यह वृद्धि 1,00,000 डॉलर (6.8 करोड़ रुपए) से बढ़कर 1,800,000 डॉलर (12 करोड़ रुपए से अधिक) हो गई है।
- वर्ष 1990 में इस वीज़ा कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी।
- यह शुल्क वृद्धि इसी वर्ष 21 नवंबर से लागू होगी।
- EB-5 वीज़ा कार्यक्रम आप्रवासियों को ग्रीन कार्ड धारक बनाने व अमेरिका की स्थायी नागरिकता प्राप्त करने का तीव्र वैधानिक माध्यम है।
EB-5 के माध्यम से प्राप्त निवेश की निगरानी और विनियमन अमेरिका के आव्रजन सेवा और प्रतिभूति विनिमय आयोग (U.S. Immigration Services and Securities Exchange Commission) द्वारा किया जाता है।
भारत पर इसका प्रभाव:
- H1-B वीज़ा नियमो को कठोर किये जाने के बाद् EB-5 वीज़ा शुल्क में हुई वृद्धि का परिणाम अमेरिका के लिये किये जाने वाले वीज़ा आवेदनों में कमी के रूप में देखने को मिलेगा। प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में भारतीय नागरिकों द्वारा अमेरिकी वीज़ा के लिये आवेदन किया जाता है। इससे भारतीयों के लिये अमेरिका में उच्च शिक्षा व रोज़गार के अवसरों में भी कमी आएगी।
Targeted Employment Areas-TEA क्या है ?
TEA अमेरिका का वह क्षेत्र है जहाँ EB-5 वीज़ा आवेदनकर्त्ता को एक निश्चित धनराशि का निवेश करना होता है। TEA क्षेत्र की औसत बेरोज़गारी दर राष्ट्रीय बेरोज़गारी दर का कम-से-कम 150% होनी चाहिये।