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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारतीय ‘पीटीएफई’ रेज़िन पर अमेरिका द्वारा एंटी-डंपिंग जाँच की शुरुआत

  • 21 Oct 2017
  • 3 min read

संदर्भ

हाल ही में अमेरिका के वाणिज्य विभाग ने यह जानकारी दी है कि अमेरिका, भारत और चीन से आयात किये जाने ‘पालीटेट्राफ्लूरोएथिलीन’ (polytetrafluoroethylene-PTFE) रेज़िन (resin) के विरुद्ध एंटी डंपिंग जाँच की शुरुआत कर चुका है।

प्रमुख बिंदु

  • अमेरिकी वाणिज्य विभाग के अनुसार, इस प्रकार की जाँच से यह जानने में सहायता मिलेगी कि अमेरिका द्वारा भारत और चीन से आयात किये जाने वाले पीटीएफई रेज़िन के मूल्यों में कमी लाई जाए अथवा नहीं। 
  • इसके अतिरिक्त अमेरिकी वाणिज्य विभाग द्वारा एक अन्य जाँच भी की जाएगी, जिससे यह जानकारी प्राप्त होगी कि भारत में पीटीएफई उत्पादक अनुचित सरकारी सब्सिडी प्राप्त कर रहे हैं अथवा नहीं।
  • पीटीएफई का उपयोग सामान्यतः बर्तनों पर नॉन-स्टिक आवरण  चढ़ाने (non-stick coating) के लिये किया जाता है। विभाग का कहना है कि एक याचिकाकर्त्ता द्वारा सुझाए गए अनुमानित ‘डंपिंग मार्जिन’ (dumping margin) भारत के लिये 15.8% से 128.1% तथा  चीन के लिये 23.4% से 408.9% थे।
  • एंटी-डंपिंग जाँच में इसका निर्धारण किया जाएगा कि चीन और भारत से आयात होने वाले रेज़िन को अमेरिका के बाज़ारों में उनके वास्तविक मूल्य से कम मूल्य पर बेचा गया था अथवा नहीं।
  • यदि विभाग यह पाता है कि अमेरिकी बाज़ारों में इन उत्पादों के मूल्य में कमी नहीं लायी गई थी तो वे इनके आयात पर शुल्क लगा सकते हैं।
  • वर्ष 2016 में अमेरिका द्वारा चीन और भारत से आयात किये जाने वाले पीटीएफई की अनुमानित लागत क्रमशः 24.6 मिलियन डॉलर और 14.3 मिलियन डॉलर थी।

क्या है एंटी डंपिंग जाँच? 

  • जब कोई देश निर्धारित मूल्यों से कम मूल्य पर अपने उत्पाद अन्य देशों में बेचता है तो आयातक देश द्वारा यह जानने के लिये एंटी डंपिंग जाँच की शुरुआत की जाती है कि इससे उसके देश के घरेलू उद्योग तो प्रभावित नहीं हो रहे हैं। इसके प्रत्युत्तर में वे विश्व व्यापार संगठन की बहुपक्षीय व्यवस्था के तहत ऐसे उत्पादों के आयात पर शुल्क लगाते हैं।
  • एंटी डंपिंग उपाय निष्पक्ष व्यापार को सुनिश्चित कराने और घरेलू उद्योगों को प्रतिस्पर्द्धात्मक स्तर उपलब्ध कराने के लिये अपनाए जाते हैं। इन उपायों से अन्य देशों द्वारा आयात किये जाने वाले उत्पादों पर प्रतिबन्ध नहीं लगता है और न ही उत्पाद की लागत में अनुचित वृद्धि होती है।
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