नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


भारतीय अर्थव्यवस्था

अमेरिका ने वापस लिये भारत के GSP लाभ

  • 03 Jun 2019
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिका ने सामान्‍य प्राथमिकता प्रणाली (Generalized System of Preferences- GSP) के तहत भारतीय उत्पादों को शुल्क में मिलने वाली छूट आगे और जारी न रखने का एलान किया है। गौरतलब है कि यह छूट 5 जून, 2019 से समाप्त हो जाएगी।

भारत का रुख

  • वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) के अनुसार, विशेष रूप से आर्थिक संबंधों के क्षेत्र में ये ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें समय-समय पर आपस में ही हल कर लिया जाता है। भारत इस मुद्दे को नियमित प्रक्रिया के एक हिस्से के रूप में ही देखता है और वह अमेरिका के साथ आर्थिक तथा जनसंबंध दोनों ही क्षेत्रों में मज़बूत संबंध बनाने का प्रयास भी जारी रखेगा।

क्या है GSP?

    • GSP विकसित देशों (प्राथमिकता देने वाले या दाता देश) द्वारा विकासशील देशों (प्राथमिकता प्राप्तकर्त्ता या लाभार्थी देश) के लिये विस्तारित एक अधिमान्य प्रणाली है।
    • वर्ष 1974 के ट्रेड एक्ट (Trade Act) के तहत वर्ष 1976 में शुरू की गई GSP व्यवस्था के अंतर्गत विकासशील देशों को अमेरिका को निर्यात की गई कुछ सूचीबद्ध वस्तुओं पर करों से छूट मिलती है।
    • GSP अमेरिका की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी व्यापार तरजीही (Business preferential) योजना है, जिसका उद्देश्य हज़ारों उत्पादों को आयात शुल्क में छूट देकर विकासशील देशों को आर्थिक विकास में मदद करना है।
    • इस प्रणाली के तहत विकासशील देशों को विकसित देशों के बाज़ार में कुछ शर्तों के साथ न्यूनतम शुल्क या शुल्क मुक्त प्रवेश मिलता है।
    • विकसित देश इसके ज़रिये विकासशील देशों और अल्प विकसित देशों में आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं।
    • नामित लाभार्थी विकासशील देशों के लगभग 30-40 प्रतिशत उत्पादों के लिये वरीयता शुल्क मुक्त व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है। भारत भी एक लाभार्थी विकासशील देश है।
    • ऑस्ट्रेलिया, बेलारूस, कनाडा, यूरोपीय संघ, आइसलैंड, जापान, कज़ाखस्तान, न्यूज़ीलैंड, नॉर्वे, रूसी संघ, स्विट्ज़रलैंड, तुर्की और अमेरिका GSP को प्राथमिकता देने वाले देशों में प्रमुख हैं।
  • GSP को 1 जनवरी, 1976 को अमेरिका के ट्रेड एक्ट-1974 के तहत शुरू किया गया था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य दुनियाभर के विकासशील देशों के बाज़ारों को सहारा देना था। इस कार्यक्रम में शामिल देशों को अमेरिका में अपने उत्पाद बेचने पर किसी तरह का आयात शुल्क नहीं देना होता है। इस कार्यक्रम में भारत सहित 121 देशों को शामिल किया गया है।
  • सरल शब्दों में कहें तो अमेरिका कुछ देशों से आयात होने वाली वस्तुओं पर ड्यूटी नहीं लगाता है अर्थात् जिन देशों को GSP की सुविधा मिलती है, वे बिना किसी शुल्क के अपनी कुछ वस्तुएँ अमेरिकी बाज़ार में पहुँचा सकते हैं। इसे व्यापार की भाषा में कहें तो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में जब कोई देश किसी अन्य देश को कुछ सामान बेचता है तो उसे ड्यूटी अदा करनी पड़ती है। ऐसे में सामान की कीमत बढ़ जाती है और जब ड्यूटी नहीं लगती तो कीमत कम रहती है एवं वह वस्तु अधिक बिकती है। इससे मुनाफा तो बढ़ता ही है, व्यापार में भी वृद्धि होती है।

भारत और GSP

  • भारत GSP का सबसे बड़ा लाभार्थी है, जिसे वर्ष 2017-18 में 19 करोड़ डॉलर का फायदा हुआ था।
  • GSP के तहत भारत ने 5.6 अरब डॉलर का निर्यात किया था, जो कुल निर्यात का 11% है।
  • GSP के तहत 3700 उत्पादों को छूट मिली हुई है, परंतु भारत केवल 1900 उत्पादों का निर्यात करता है।

अमेरिका की चिंताएँ

  • भारत को होने वाले GSP लाभों के तहत अमेरिका प्रतिवर्ष 190 मिलियन डॉलर की कर छूट दे रहा था। लेकिन भारत को अपने यहाँ से निर्यात होने वाले स्टेंट जैसे कुछ मेडिकल उपकरणों को लेकर वह समय-समय पर चिंताएँ जाहिर करता रहा है। भारत सैद्धांतिक रूप से मेडिकल उपकरणों के बारे में अमेरिका की चिंताओं को हल करने के लिये तैयार था।
  • इसी प्रकार दुग्‍ध उत्‍पादों की बाज़ार पहुँच से जुड़े मुद्दों पर भारत ने स्‍पष्‍ट किया कि इनके लिये यह प्रमाणित होना आवश्यक है कि स्रोत पशुधन को अन्‍य पशुधन से प्राप्‍त रक्‍ताहार कभी नहीं दिया गया है। यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक भावनाओं को ध्‍यान में रखते हुए है और इसके बारे में कोई वार्ता संभव नहीं है।
  • अल्फाफा, चैरी और पोर्क जैसे उत्‍पादों के बारे में अमेरिकी बाज़ार पहुँच के अनुरोधों की स्‍वीकार्यता से अवगत कराया गया था। भारत ने स्‍पष्‍टत: अमेरिका के हितों से जुड़ी विशेष वस्तुओं पर कर में रियायत देने की इच्‍छा से अवगत कराया।
  • गौरतलब है कि तेल और प्राकृतिक गैस तथा कोयला जैसे सामानों की खरीद बढ़ने से भारत के साथ अमेरिकी व्‍यापार घाटे में वर्ष 2017 और वर्ष 2018 में काफी कमी हुई है। वर्ष 2018 में 4 बिलियन डॉलर से अधिक कमी का अनुमान है।
  • भारत में ऊर्जा और विमानों की बढ़ती मांग जैसे घटकों के परिणामस्‍वरूप भविष्‍य में इसमें और भी कमी होने का अनुमान है। अरबों डॉल्रर के राजस्‍व वाली अमेरिकी सेवाओं और एमेज़न/अमेज़न, उबर, गूगल तथा फेसबुक आदि जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों के लिये भी भारत एक महत्त्वपूर्ण बाज़ार है।

और पढ़ें…

GSP छूट वापस

स्रोत- पीआईबी

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow