अमेरिका का डिजिटल मिलेनियम कॉपीराइट एक्ट | 28 Jun 2021
प्रिलिम्स के लिये:अमेरिका के डिजिटल मिलेनियम कॉपीराइट एक्ट, विश्व बौद्धिक संपदा संगठन, बौद्धिक संपदा को कवर करने वाले भारतीय कानून मेन्स के लिये:महत्त्वपूर्ण नहीं |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेरिका के डिजिटल मिलेनियम कॉपीराइट एक्ट (Digital Millennium Copyright Act- DMCA) 1998 के उल्लंघन हेतु कथित रूप से प्राप्त एक नोटिस पर केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के ट्विटर अकाउंट को एक घंटे के लिये बंद कर दिया गया था।
प्रमुख बिंदु
डिजिटल मिलेनियम कॉपीराइट एक्ट:
- यह अमेरिका में पारित एक कानून है और इंटरनेट पर बौद्धिक संपदा (Intellectual Property- IP) को मान्यता देने वाले विश्व के पहले कानूनों में से एक है।
- DMCA, विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) के सदस्य देशों द्वारा वर्ष 1996 में हस्ताक्षरित दो संधियों के कार्यान्वयन की देख-रेख करता है।
- कोई भी सामग्री निर्माता जो यह मानता है कि उसकी मूल सामग्री को किसी भी रूप में किसी उपयोगकर्त्ता या वेबसाइट द्वारा बिना प्राधिकरण के कॉपी किया गया है, अपनी बौद्धिक संपदा की चोरी या उल्लंघन का हवाला देते हुए एक आवेदन दायर कर सकता है।
- फेसबुक, इंस्टाग्राम या ट्विटर जैसे सोशल मीडिया बिचौलियों के मामले में सामग्री निर्माता सीधे मंच से संपर्क कर सकते हैं और मूल निर्माता होने का प्रमाण दे सकते हैं।
- चूँकि ये कंपनियाँ उन देशों में काम करती हैं जो WIPO संधि की हस्ताक्षरकर्त्ता हैं, वे वैध और कानूनी DMCA टेकडाउन नोटिस (Takedown Notice) प्राप्त होने पर उक्त सामग्री को हटाने हेतु बाध्य हैं।
विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) संधियाँ:
- WIPO के सदस्यों ने दो संधियों पर सहमति व्यक्त की थी अर्थात् WIPO कॉपीराइट संधि और WIPO प्रदर्शन और फोनोग्राम संधि।
- भारत दोनों संधियों का सदस्य है।
- दोनों संधियों के लिये सदस्य राष्ट्रों और हस्ताक्षरकर्त्ताओं को अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में IP को सुरक्षा प्रदान करने की आवश्यकता होती है, यह विभिन्न राष्ट्रों के नागरिकों द्वारा बनाई गई हो सकती है जो संधि के सह-हस्ताक्षरकर्त्ता होते हैं।
- यह सुरक्षा किसी भी तरह से घरेलू कॉपीराइट धारक को दी जाने वाली सुरक्षा से कम नहीं होनी चाहिये।
- यह संधि के हस्ताक्षरकर्त्ताओं को कॉपीराइट कार्य की सुरक्षा हेतु तकनीकी उपाय सुनिश्चित करने हेतु बाध्य करती है। साथ ही डिजिटल सामग्री को आवश्यक अंतर्राष्ट्रीय कानूनी सुरक्षा भी प्रदान करती है।
बौद्धिक संपदा (Intellectual Property- IP)
- यह संपत्ति की एक श्रेणी है जिसमें मानव बुद्धि की अमूर्त रचनाएँ और मुख्य रूप से कॉपीराइट, पेटेंट तथा ट्रेडमार्क शामिल हैं।
- इसमें अन्य प्रकार के अधिकार भी शामिल हैं, जैसे- ट्रेड सीक्रेट, प्रचार अधिकार, नैतिक अधिकार इऔर अनुचित प्रतिस्पर्द्धा के खिलाफ अधिकार।
- प्रत्येक वर्ष 26 अप्रैल को विश्व बौद्धिक संपदा दिवस मनाया जाता है।
- WIPO संधियों के अलावा यह विश्व व्यापार संगठन (WTO) के बौद्धिक संपदा के व्यापार संबंधी पहलुओं (TRIPS Agreement) पर समझौते के तहत भी शामिल है।
- भारत, विश्व व्यापार संगठन का सदस्य है और इसलिये ट्रिप्स के लिये प्रतिबद्ध है।
विश्व बौद्धिक संपदा संगठन
परिचय:
- यह संयुक्त राष्ट्र की सबसे पुराने अभिकरणों में से एक है।
- इसका गठन वर्ष 1967 में रचनात्मक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने और विश्व में बौद्धिक संपदा संरक्षण को बढ़ावा देने के लिये किया गया था।
- यह वर्तमान में 26 अंतर्राष्ट्रीय संधियों का संचालन करता है जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- पेटेंट प्रक्रिया के प्रयोजनों के लिये सूक्ष्मजीवों के निक्षेप की अंतर्राष्ट्रीय मान्यता पर बुडापेस्ट संधि।
- औद्योगिक संपदा के संरक्षण के लिये पेरिस अभिसमय (1883): विभिन्न देशों में बौद्धिक कार्यों के संरक्षण के लिये पहला कदम, जिसमें ट्रेडमार्क, औद्योगिक डिज़ाइन आविष्कार के पेटेंट शामिल थे।
- साहित्यिक और कलात्मक कार्यों के संरक्षण के लिये बर्न अभिसमय (1886): इसमें उपन्यास, लघु कथाएँ, नाटक, गाने, ओपेरा, संगीत, ड्राइंग, पेंटिंग, मूर्तिकला और वास्तुशिल्प कृतियाँ शामिल हैं।
- मैड्रिड समझौता (1891): यहाँ से अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा फाइलिंग सेवा की शुरुआत हुई।
- इंटिग्रेटेड सर्किट के संबंध में IP पर वाशिंगटन संधि।
- ओलंपिक प्रतीक के संरक्षण पर नैरोबी संधि।
- दृष्टिबाधित व्यक्तियों और दिव्यांगजनों द्वारा प्रकाशित कार्यों तक पहुँच की सुविधा के लिये मराकेश संधि।
मुख्यालय:
- जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड।
सदस्य:
- वर्तमान में भारत सहित विश्व के 193 देश WIPO के सदस्य हैं।
प्रमुख कार्य:
- बदलते विश्व के लिये संतुलित अंतर्राष्ट्रीय आईपी नियमों को आकार देने हेतु नीति मंच।
- विभिन्न देशों की सीमाओं के पार बौद्धिक संपदा संरक्षण और विवादों को हल करने के लिये वैश्विक सेवाएँ देना भी इसके कार्यों में शामिल है।
- बौद्धिक संपदा प्रणालियों को आपस में जोड़ने और ज्ञान साझा करने के लिये तकनीकी आधारभूत संरचना बनाना भी WIPO के ज़िम्मे है।
- सभी सदस्य देशों को आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के लिये बौद्धिक संपदा का उपयोग करने में सक्षम बनाने के लिये सहयोग तथा क्षमता निर्माण कार्यक्रम चलाना।
- WIPO बौद्धिक संपदा की जानकारी के लिये विश्वसनीय वैश्विक संदर्भ स्रोत का काम करता है।
बौद्धिक संपदा को कवर करने वाले भारतीय कानून:
- व्यापार चिह्न अधिनियम (Trade Marks Act), 1999
- पेटेंट अधिनियम (Patents Act), 1970 (वर्ष 2005 में संशोधित)
- कॉपीराइट अधिनियम (Copyright Act), 1957
- डिज़ाइन अधिनियम, 2000
- भौगोलिक संकेतक माल (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999
- सेमीकंडक्टर इंटीग्रेटेड सर्किट लेआउट डिज़ाइन एक्ट, 2000
- पौध किस्म और किसान अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2001
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000