अंतर्राष्ट्रीय संबंध
रूस से हथियार खरीदने पर प्रतिबंध से मिलेगी छूट, अमेरिकी सीनेट ने पारित किया बिल
- 03 Aug 2018
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चर्चा में क्यों?
अमेरिकी सीनेट ने वित्त वर्ष 2019 के लिये जॉन एस मैक्केन नेशनल डिफेंस अथॉराइजेशन एक्ट (NDAA) (रक्षा विधेयक) भारी बहुमत से पारित कर दिया| NDAA द्वारा एक साल पहले 2 अगस्त, 2017 को अमेरिकी कान्ग्रेस द्वारा पारित अमेरिकी विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई कानून (CAATSA) के कुछ खंडों में संशोधन किया गया है| NDAA, 2019 के प्रावधानों के तहत भारत द्वारा कुछ शर्तों को पूरा कर रूसी रक्षा उपकरणों की खरीद का रास्ता आसान हो जाएगा|
प्रमुख बिंदु
- अमेरिका के विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई कानून (Countering America’s Adversaries through Sanctions Act-CAATSA) के तहत उन देशों के खिलाफ प्रतिबंध लगाए जाते हैं जो रूस से महत्त्वपूर्ण रक्षा उपकरणों की खरीद करते हैं।
- इस विधेयक में सीएएटीएसए के प्रावधान 231 को समाप्त करने की बात कही गई है। इस कदम को भारत के लिये एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है|
- भारत लगभग 4.5 बिलियन अमेरिकी डालर मूल्य के पाँच एस -400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने की योजना बना रहा है।
- सीएएटीएसए के नए संशोधित प्रावधानों को कानूनी रूप दिये जाने के बाद भारत के लिये रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदना आसान हो जाएगा।
- हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में यह विधेयक पिछले सप्ताह ही पारित हो चुका है। अब यह कानून बनने के लिये राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हस्ताक्षर के लिये व्हाइट हाउस भेजा जाएगा।
- रक्षा विधेयक में एक प्रावधान किया गया है जिसके तहत अमेरिका और अमेरिकी रक्षा संबंधों के लिये महत्त्वपूर्ण साझेदार को राष्ट्रपति द्वारा एक प्रमाणपत्र जारी कर सीएएटीएसए के तहत प्रतिबंधों से छूट दी जा सकती है।
नियमों में लचीलापन
- सीएएटीएसए से छूट प्रदान करते हुए नेशनल डिफेंस आथोराइजेशन एक्ट, 2019 के तहत रूसी एस -400 रक्षा प्रणाली की खरीद में भारत को पर्याप्त लचीलापन प्राप्त होगा|
- हालाँकि कानून की भाषा बेहद कठोर लग रही है, लेकिन रूस से रक्षा उपकरणों की खरीद करने वाले देशों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने वाले प्रावधानों को बेहद नरम कर दिया गया है।
- रूसी उपकरणों की सूची को कम करने के लिये प्रशासन को ट्रैक करने और इससे संबंधित जानकारी को रिपोर्ट करने की आवश्यकता होगी, जिस पर भारत "कदम उठा रहा है या कदम उठाएगा"।
- इसका मतलब यह है कि न तो वाशिंगटन और न ही नई दिल्ली भारत के लिये रूसी उपकरणों की सूची में ऐतिहासिक गिरावट को लंबे समय तक इंगित कर सकती है, लेकिन ऐसा करने के लिये विशिष्ट और आगे बढ़ने के प्रयासों की पहचान करनी होगी।
- इस प्रकार की रिपोर्टिंग की आवश्यकता राजनीतिक रूप से परेशानी का कारण बन सकती है और कानून निर्माताओं द्वारा भविष्य में अप्रत्याशित तरीकों से लाभ उठाने के लिये इसका उपयोग किया जा सकता है|
बहुपक्षीय सामरिक महत्त्व
- यह "बहुपक्षीय ढाँचे में जुड़ाव को बढ़ाने" के लिये अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच सामरिक चतुर्भुज वार्ता के बारे में भी बात करता है।
- चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियाँ और इसकी मैरीटाइम सिल्क रोड पहल (एमएसआरआई) के साथ ही साथ पाकिस्तान और श्रीलंका में चीनी परियोजनाओं द्वारा समुद्री क्षेत्र को घेरे में लेने तथा रणनीतिक हितों को लेकर भारत की चिंता स्वाभाविक है|
- बहुपक्षीय ढाँचे की भागीदारी के विस्तार पर विधेयक में कहा गया है, "क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देने और नियमों के आधार पर साझा मूल्यों और सामान्य हितों की रक्षा करने का प्रयास किया जाएगा।“
- इस विधेयक में चीन को दुनिया के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय नौवहन युद्धाभ्यास रिम ऑफ द पैसिफिक एक्सरसाइज (RIMPAC) में भाग लेने से रोकने तथा उसकी कंपनियों को रक्षा तथा सुरक्षा प्रतिष्ठानों के लिये कुछ दूरसंचार उपकरण मुहैया कराने से रोकने का प्रावधान भी है।
रिश्ते की मज़बूती
- महत्त्वपूर्ण बात यह है कि विधेयक भारत के साथ अमेरिका की प्रमुख रक्षा साझेदारी को "मजबूत करने और आगे बढ़ाने" का प्रस्ताव भी देता है तथा "आपसी सुरक्षा उद्देश्यों पर काम करता है"।
- भारत जैसे रणनीतिक साझेदारों के लिये CAATSA में छूट प्रदान करने हेतु अमेरिकी कान्ग्रेस की सराहना की जानी चाहिये। ऐसा करके कान्ग्रेस ने द्विपक्षीय संबंधों को लेकर तनाव को समाप्त किया है, रूसी रक्षा उद्योग पर अतिरिक्त दबाव डाला है और CAATSA कानून के मूल उद्देश्य को पूरा किया है।
- यह छूट एक मज़बूत संकेत है कि संयुक्त राज्य अमेरिका भारत के साथ अपनी साझेदारी को बहुत महत्त्व देता है|
- वित्तीय वर्ष 2019 के लिये NDAA रक्षा और ऊर्जा विभाग के राष्ट्रीय सुरक्षा कार्यक्रमों के लिये वित्तपोषण को अधिकृत करता है साथ ही अमेरिकी सहयोगियों और भागीदारों को रूसी उत्पादित प्रमुख रक्षा उपकरण तथा उन्नत पारंपरिक हथियारों की सूची को कम करने के लिये प्रोत्साहित करता है|
- इसके साथ ही इस कानून में रूसी खुफिया एजेंसियों और साइबर हमलों में लगे अन्य संस्थाओं के लिये छूट की संभावना शामिल नहीं है।
CAATSA
- CAATSA को 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में कथित हस्तक्षेप के लिये रूस को दंडित करने हेतु अधिनियमित किया गया था।
- इसका उद्देश्य विश्व के तीसरे देशों को माध्यमिक प्रतिबंधों के खतरे के माध्यम से सैन्य और खुफिया क्षेत्रों में रूस के साथ "महत्त्वपूर्ण लेन-देन" से निषेधित करना है।