अंतर्राष्ट्रीय संबंध
अमेरिका का लिंचिंग विरोधी विधेयक
- 28 Feb 2020
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प्रीलिम्स के लिये:अमेरिका का लिंचिंग विरोधी विधेयक मेन्स के लिये:लिंचिंग का वैश्विक और भारतीय परिदृश्य |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेरिकी संसद (United States Congress) के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेज़ेंटेटिव (House of Representatives) ने लिंचिंग के विरुद्ध प्रस्ताव पारित किया है।
प्रमुख बिंदु
- अमेरिका के निचले सदन द्वारा पारित इस प्रस्ताव में लिंचिंग को अपराध घोषित करते हुए आजीवन कारावास या जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान किया गया है।
- अमेरिका में हत्या उन अपराधों में शामिल है जिनके लिये मुकदमा राज्य या स्थानीय स्तर पर चलाया जाता है। किंतु अमेरिका का यह नया विधेयक लिंचिंग को एक संघीय अपराध घोषित करता है।
- ध्यातव्य है कि इस विधेयक का नाम एम्मेट टिल (Emmett Till) नाम पर रखा गया है, जिसकी मात्र 14 वर्ष की उम्र में वर्ष 1955 में लिंचिंग कर दी गई थी।
लिंचिंग का अर्थ
- जब अनियंत्रित भीड़ द्वारा किसी दोषी को उसके किये अपराध के लिये या कभी-कभी अफवाहों के आधार पर ही बिना अपराध किये भी तत्काल सज़ा दी जाए अथवा उसे पीट-पीट कर मार डाला जाए तो इसे भीड़ द्वारा की गई हिंसा या लिंचिंग कहते हैं।
- इस तरह की हिंसा में किसी कानूनी प्रक्रिया या सिद्धांत का पालन नहीं किया जाता और यह पूर्णतः गैर-कानूनी होती है।
अमेरिका में लिंचिंग
- विधेयक के अनुसार, अमेरिका में वर्ष 1882 से वर्ष 1968 के मध्य लगभग 4,700 लोग, मुख्य रूप से अफ्रीकी-अमेरिकी लिंचिंग का शिकार हुए और इन लिंचिंग के 99 प्रतिशत अपराधियों को दंडित नहीं किया जा सका।
- अमेरिकी गृहयुद्ध के पश्चात् 1800 के दशक के अंत में जब दासों को मुक्त कर दिया गया तो अमेरिका में लिंचिंग की संख्या अचानक बढ़ने लगी। 1930 के दशक में इसमें कमी आने के पश्चात् 1960 के दशक में लिंचिंग में एक बार फिर बढ़ोतरी देखने को मिली।
- दरअसल गृहयुद्ध के पश्चात् अमेरिका में जब गोरे अमेरिकी अपना सामाजिक प्रभुत्व बनाए रखने में असमर्थ रहे तब कई विद्रोही समूहों का जन्म हुआ।
- इन समूहों ने आम लोगों को गोरों की सत्ता बनाए रखने के लिये हिंसा करने को उकसाया और खुद भी कई हत्याओं को अंजाम दिया।
- उल्लेखनीय है कि वर्ष 1918 के बाद से अमेरिकी काॅन्ग्रेस में 200 से अधिक एंटी-लिंचिंग विधेयक प्रस्तुत किये गए हैं, किंतु इनमें से कोई भी पारित नहीं हो सका।
भारतीय परिदृश्य
- भारत में भी मॉब लिंचिंग एक चुनौतीपूर्ण समस्या बनी हुई है। देश में वर्ष 2017 का पहलू खान हत्याकांड मॉब लिंचिंग का एक बहुचर्चित उदाहरण है, जिसमें कुछ तथाकथित गौ रक्षकों की भीड़ ने गौ तस्करी के झूठे आरोप में पहलू खान की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी।
- यह तो सिर्फ राजस्थान का ही उदाहरण है, इसके अतिरिक्त देश के कई अन्य हिस्सों में भी ऐसी ही घटनाएँ सामने आई हैं।
- भारत में धर्म और जाति के नाम पर होने वाली हिंसा की जड़ें काफी मज़बूत हैं। देश में लगातार बढ़ रहीं लिंचिंग की घटनाएँ अधिकांशतः असहिष्णुता और अन्य धर्म तथा जाति के प्रति घृणा का परिणाम है।
- वर्ष 2002 में हरियाणा के पाँच दलितों की गौ हत्या के आरोप में लिंचिंग कर दी गई थी। वहीं सितंबर 2015 में एक अज्ञात समूह ने मोहम्मद अखलाक और उसके बेटे दानिश पर गाय की हत्या करने और मांस का भंडारण करने का आरोप लगाते हुए पीट-पीट कर उनकी हत्या कर दी थी।
- इन घटनाओं से मॉब लिंचिंग में धर्म और जाति का दृष्टिकोण स्पष्ट तौर पर ज़ाहिर होता है।
आगे की राह
- लिंचिंग जैसी घटनाएँ ज़ाहिर तौर पर किसी भी समाज की प्रगति में बाधक होती हैं। अतः नीति निर्माताओं के लिये इन्हें जल्द-से-जल्द रोकना आवश्यक हो जाता है।
- देश में मणिपुर, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में लिंचिंग के विरुद्ध कानून बनाए गए हैं।
- हाउस ऑफ रिप्रेज़ेंटेटिव द्वारा किया गया यह प्रयास अवश्य ही सामाजिक एवं आर्थिक रूप से शोषित वर्गों और हाशिये पर मौजूद समुदायों के मध्य विश्वास पैदा करेगा।