अंतर्राष्ट्रीय संबंध
आगामी क्वाड बैठक
- 15 Sep 2021
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प्रिलिम्स के लिये :मालाबार नौसैनिक अभ्यास, क्वाड, वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट मेन्स के लिये :क्वाड का गठन एवं इसके उद्देश्य, क्वाड-चीन संबंध |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेरिका ने घोषणा की कि क्वाड देशों की पहली व्यक्तिगत बैठक अमेरिका के न्यूयॉर्क में आयोजित होगी। बैठक में चारों देशों (भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका) के प्रमुख शामिल होंगे।
- आगामी शिखर सम्मेलन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चीन ने क्वाड की आलोचना की और कहा कि दूसरे देशों को लक्षित करने के लिये 'विशेष समूह' या गुटबाज़ी (मंडलियाँ) काम नहीं आएगी और इसका कोई भविष्य नहीं है।
प्रमुख बिंदु
- क्वाड का गठन :
- हिंद महासागर सुनामी (2004) के पश्चात् भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने आपदा राहत प्रयासों में सहयोग करने के लिये एक अनौपचारिक गठबंधन बनाया।
- वर्ष 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने गठबंधन को चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता या क्वाड के रूप में औपचारिक रूप प्रदान किया ।
- क्वाड को एशियन आर्क ऑफ डेमोक्रेसी स्थापित करना था, लेकिन इसके सदस्यों के बीच सामंजस्य की कमी के कारण बाधा उत्पन्न हुई और आरोप है कि यह अधिकांशत: चीन विरोधी समूह था।
- वर्ष 2017 में चीन के बढ़ते खतरे का सामना करते हुए चार देशों ने क्वाड को पुनर्जीवित किया, इसके उद्देश्यों को व्यापक बनाया और एक तंत्र का निर्माण किया जिसका उद्देश्य धीरे-धीरे एक नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था स्थापित करना था।
- वर्ष 2020 में भारत-अमेरिका-जापान त्रिपक्षीय मालाबार नौसैनिक अभ्यास का विस्तार ऑस्ट्रेलिया को शामिल करने के लिये किया गया, जो वर्ष 2017 में इसके पुनरुत्थान के बाद से क्वाड के पहले आधिकारिक समूह को चिह्नित करता है।
- मार्च 2021 में क्वाड समूह के नेताओं ने पहली बार आभासी शिखर-स्तरीय बैठक में डिजिटल रूप से मुलाकात की और बाद में 'द स्पिरिट ऑफ द क्वाड' शीर्षक से एक संयुक्त बयान जारी किया, जिसमें समूह के दृष्टिकोण और उद्देश्यों को रेखांकित किया गया था।
- इसके अतिरिक्त यह एक दशक में चार देशों के बीच पहला संयुक्त सैन्य अभ्यास था।
- क्वाड के उद्देश्य:
- 'स्पिरिट ऑफ द क्वाड' के अनुसार, समूह के प्राथमिक उद्देश्यों में समुद्री सुरक्षा, कोविड-19 संकट का मुकाबला करना, विशेष रूप से वैक्सीन कूटनीति, जलवायु परिवर्तन के जोखिमों को संबोधित करना, क्षेत्र में निवेश के लिये एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना एवं तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देना है।
- हालाँकि क्वाड की व्यापक मुद्दों के प्रति प्रतिबद्धता के बावजूद इसका मुख्य फोकस क्षेत्र अभी भी चीन का मुकाबला करने के लिये माना जाता है।
- क्वाड सदस्यों ने तथाकथित क्वाड प्लस के माध्यम से साझेदारी का विस्तार करने की इच्छा का भी संकेत दिया है जिसमें दक्षिण कोरिया, न्यूज़ीलैंड और वियतनाम शामिल होंगे।
- चीन के साथ क्वाड का संबंध:
- क्वाड के प्रत्येक सदस्य को दक्षिण चीन सागर में चीन की कार्रवाइयों और ‘वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट’ जैसी पहलों के माध्यम से अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करने के प्रयासों से खतरा है।
- अमेरिका लंबे समय से चीन के साथ वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा को लेकर चिंतित है और उसने यह रुख कायम रखा है कि चीन का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय नियमों पर आधारित व्यवस्था को खत्म करना है।
- इसी तरह जापान और ऑस्ट्रेलिया दोनों दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में चीन की बढ़ती उपस्थिति को लेकर चिंतित हैं।
- चीन के साथ भारत के अपने लंबे समय से लंबित सीमा मुद्दे हैं।
- दूसरी ओर चीन क्वाड के अस्तित्व को स्वयं को घेरने की एक बड़ी रणनीति के हिस्से के रूप में देखता है और उसने समूह के साथ सहयोग करने से बचने के लिये बांग्लादेश जैसे देशों पर दबाव डाला है।
- चीनी विदेश मंत्रालय ने समूह पर एशिया में क्षेत्रीय शक्तियों के बीच खुले तौर पर कलह भड़काने का आरोप लगाया।
- क्वाड के प्रत्येक सदस्य को दक्षिण चीन सागर में चीन की कार्रवाइयों और ‘वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट’ जैसी पहलों के माध्यम से अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करने के प्रयासों से खतरा है।
- क्वाड से संबंधित मुद्दे:
- अपरिभाषित दृष्टि: सहयोग की संभावना के बावजूद क्वाड परिभाषित रणनीतिक मिशन के बिना एक तंत्र बना हुआ है।
- क्वाड एक विशिष्ट बहुपक्षीय संगठन की तरह संरचित नहीं है और इसमें एक सचिवालय और किसी भी स्थायी निर्णय लेने वाली संस्था का अभाव है।
- इसके अतिरिक्त नाटो के विपरीत क्वाड में सामूहिक रक्षा के प्रावधान शामिल नहीं हैं, इसके बजाय एकता और कूटनीतिक सामंजस्य के प्रदर्शन के रूप में संयुक्त सैन्य अभ्यास करने का विकल्प चुना गया है।
- समुद्री समूहन: इंडो-पैसिफिक पर पूरा ध्यान क्वाड को एक भूमि-आधारित समूह के बजाय एक समुद्र का हिस्सा बनाता है, यह सवाल उठता है कि क्या सहयोग एशिया-प्रशांत और यूरेशियन क्षेत्रों तक फैला हुआ है।
- भारत की गठबंधन प्रणाली का विरोध: तथ्य यह है कि भारत एकमात्र सदस्य है जो संधि गठबंधन प्रणाली के खिलाफ है, इसने एक मज़बूत चतुष्पक्षीय जुड़ाव बनाने की प्रगति को धीमा कर दिया है।
- अपरिभाषित दृष्टि: सहयोग की संभावना के बावजूद क्वाड परिभाषित रणनीतिक मिशन के बिना एक तंत्र बना हुआ है।
आगे की राह
- स्पष्ट दृष्टि की आवश्यकता: क्वाड राष्ट्रों को सभी के आर्थिक एवं सुरक्षा हितों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से एक व्यापक ढाँचे में इंडो-पैसिफिक विज़न को बेहतर ढंग से प्रस्तुत करने की ज़रूरत है।
- जो तटीय राज्यों को आश्वस्त करेगा कि क्वाड क्षेत्रीय लाभ हेतु एक महत्त्वपूर्ण कारक होगा और यह किसी प्रकार का सैन्य गठबंधन नहीं है, जैसा कि चीन द्वारा दावा किया जा रहा है।
- आगामी मंत्रिस्तरीय बैठकें इस विचार को सही ढंग से परिभाषित करने और भविष्य के मार्ग की रूपरेखा तैयार करने का एक अवसर हो सकती हैं।
- क्वाड का विस्तार: इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत के कई अन्य साझेदार हैं, भारत ऐसे में इंडोनेशिया और सिंगापुर जैसे देशों को इस समूह में शामिल होने के लिये आमंत्रित कर सकता है।
- भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर एक व्यापक दृष्टिकोण विकसित करना चाहिये, जिसमें वर्तमान एवं भविष्य की समुद्री चुनौतियों पर विचार करने, अपने सैन्य एवं गैर-सैन्य उपकरणों को मज़बूत करने और रणनीतिक भागीदारों को शामिल करने पर ध्यान दिया जाए।