संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की जीत | 03 Sep 2020

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, यूएनएससी 1267 प्रतिबंध समिति

मेन्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और भारत, पाकिस्तान तथा आतंकवाद से संबंधित मुद्दे 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council- UNSC) ने पाकिस्तान द्वारा दो भारतीय नागरिकों को ‘यूएनएससी 1267 प्रतिबंध समिति’ (UNSC 1267 Sanctions Committee) के तहत आतंकवादी घोषित किये जाने के प्रयास को रद्द कर दिया है।

प्रमुख बिंदु:

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की इस समिति ने 2 सितंबर, 2020 को ‘अंगारा अप्पाजी’ और ‘गोविंद पटनायक’ नामक दो भारतीय नागरिकों को आतंकवादी घोषित किये जाने की पाकिस्तान की मांग को रद्द कर दिया है।
  • पाकिस्तान ने इन दो भारतीय नागरिकों पर एक चार सदस्यीय अफगानिस्तान आधारित ‘भारतीय आतंकी सिंडिकेट’ (Indian Terror Syndicate) का हिस्सा होने का आरोप लगाया था। 
  • पाकिस्तान के अनुसार, ये भारतीय नागरिक प्रतिबंधित आतंकी समूहों ‘तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान’ (Tehreek e Taliban Pakistan- TTP) और ‘जमात-उल-अहरार’ (Jamaat-Ul-Ahrar- JuA) को पाकिस्तान में हमले करने के लिये संगठित कर रहे थे।
  • UNSC में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस, जर्मनी और बेल्जियम ने इन दो भारतीयों को आतंकवादी घोषित किये जाने पर रोक लगा दी है। 

पूर्व प्रयास:  

  • इससे पहले पाकिस्तान द्वारा दो अन्य भारतीयों (वेणुमाधव डोंगरा और अजॉय मिस्त्री) को इस समिति के तहत आतंकवादी घोषित किये जाने की मांग की गई थी।   
  • हालाँकि वेणुमाधव डोंगरा के नाम पर अमेरिका द्वारा 19 जून तथा अजॉय मिस्त्री के नाम पर 16 जुलाई को अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस, जर्मनी एवं बेल्जियम द्वारा रोक लगा दी गई थी।  
    • गौरतलब है कि अमेरिका, ब्रिटेन और फ्राँस ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’  के स्थाई सदस्य हैं जबकि जर्मनी तथा बेल्जियम अस्थाई सदस्य हैं।
  • पूर्व में इन्हीं पाँच देशों ने पाकिस्तान को ‘अंगारा अप्पाजी’ और ‘गोविंद पटनायक’ पर लगाए गए आरोपों के संदर्भ में साक्ष्य प्रस्तुत करने की मांग करते हुए इनके नामों पर अस्थाई रोक लगा दी थी। 
  • पाकिस्तान ने हाल ही में दावा किया कि उसने संयुक्त राष्ट्र  महासचिव की ‘आतंकवादी गतिविधियों के कारण अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को खतरा’ नामक रिपोर्ट पर सुरक्षा परिषद की खुली बहस में एक बयान दिया था, जिसमें उसने भारत पर "चार प्रकार के आतंकवाद" का आरोप लगाया था।
  • हालाँकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अध्यक्ष ने पाकिस्तान के पत्र का संज्ञान लेने से इनकार कर दिया था, क्योंकि पाकिस्तान UNSC का सदस्य नहीं है।  

कारण:   

  • भारतीय अधिकारियों के अनुसार, पाकिस्तान का यह कदम एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है जिसके माध्यम से वह वर्ष 2021-22 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के कार्यकाल के शुरू होने से पहले विवाद फैलाने का प्रयास कर रहा है।
  • साथ ही पाकिस्तान इन प्रयासों के माध्यम से भारत द्वारा मई 2019 में ‘यूएनएससी 1267 प्रतिबंध समिति’ के तहत ‘जैश-ए-मोहम्मद’ प्रमुख मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी नामित करने में सफल होने का बदला लेना चाहता है।

प्रभाव:

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को पाकिस्तान के प्रस्ताव के खिलाफ मिला इन पाँच देशों का समर्थन सुरक्षा परिषद और वैश्विक राजनीति में भारत की मज़बूत होती पहुँच का संकेत है।
  • पाकिस्तान द्वारा भारतीय नागरिकों पर लगाए गए आरोपों के रद्द होने से विश्व के समक्ष उसकी छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

चुनौतियाँ:

  • पाकिस्तान द्वारा भारतीय नागरिकों पर लगाए गए आरोपों को रद्द करने में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्राँस प्रमुख थे जो इस बात का संकेत है कि सुरक्षा परिषद के अन्य दो स्थायी सदस्यों चीन और रूस ने पाकिस्तान के प्रस्ताव को रोकने का प्रयास नहीं किया।

‘यूएनएससी 1267 प्रतिबंध समिति’

(UNSC 1267 Sanctions Committee): 

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ‘1267  प्रतिबंध समिति’ को ‘अल कायदा प्रतिबंध समिति’ (Al Qaida Sanctions Committee) या ‘आईएसआईएल (दा'एश)’ [ISIL (Da'esh)]  के नाम से भी जाना जाता है।
  • इस समिति की स्थापना संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव-1267 (वर्ष 1999) के आधार पर की गई थी।
  • इस समिति में UNSC  के सभी 15 सदस्य शामिल होते हैं और सर्वसम्मति से अपना निर्णय लेते हैं।
  • यह समिति UNSC प्रस्ताव के मानदंडों के अनुरूप संबंधित व्यक्तियों और समूहों को चिन्हित करने तथा उन पर प्रतिबंधों के कार्यान्वयन की देखरेख का कार्य करती है।
  • यह समिति प्रतिबंधों के कार्यान्वयन पर सुरक्षा परिषद को वार्षिक रिपोर्ट देती है। 

आगे की राह: 

  • UNSC में पाकिस्तान के प्रस्ताव के खिलाफ भारत को अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस, जर्मनी और  बेल्जियम जैसे देशों का समर्थन मिलना भारतीय विदेशी नीति की एक बड़ी सफलता है, हालाँकि भारत को अधिक-से-अधिक देशों के बीच अपनी पहुँच को मज़बूत करने का प्रयास करना चाहिये। 
  • अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध तथा भारतीय सीमा पर चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच भारत तथा अमेरिका के संबंध और अधिक मज़बूत हुए हैं
  • हालाँकि वर्तमान स्थिति में भारत को अमेरिका और रूस के साथ संबंध संतुलन को बनाए रखने पर विशेष ध्यान देना होगा।

स्रोत: द हिंदू