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आंतरिक सुरक्षा

गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967

  • 25 Nov 2019
  • 3 min read

प्रीलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो

मेन्स के लिये:

गृह मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत किये गए ‘गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967’ से संबंधित विभिन्न आँकड़े

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में ‘राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो’ (National Crime Record Bureau- NCRB) द्वारा एकत्रित ‘गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967’ [Unlawful Activities Prevention Act (UAPA), 1967] से संबंधित आँकड़े प्रस्तुत किये।

मुख्य बिंदु:

  • इन आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2017 में UAPA के तहत मणिपुर में सर्वाधिक 35% से अधिक लगभग 330 मामले दर्ज किये गए तथा इन मामलों के अंतर्गत लगभग 352 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया।
  • वर्ष 2017 में UAPA के तहत पंजीकृत कुल मामलों के 17% (156) मामले जम्मू-कश्मीर में तथा 14% (133) मामले असम में दर्ज किये गए।
  • वर्ष 2017 में UAPA के तहत पंजीकृत कुल मामलों में उत्तर प्रदेश तथा बिहार में क्रमशः 12% (109) तथा 5% (52) मामले दर्ज किये गए।
  • UAPA के तहत कुल पंजीकृत मामलों में से केवल 12% उत्तर प्रदेश में दर्ज हुए परंतु इस अधिनियम के अंतर्गत हुई कुल गिरफ्तारियों (1554 व्यक्ति) में से सर्वाधिक 382 गिरफ्तारियाँ उत्तर प्रदेश में हुईं।

Stringent Act

  • इसके अतिरिक्त इस अधिनियम के अंतर्गत असम, मणिपुर, जम्मू-कश्मीर, झारखंड में क्रमशः 374, 352, 35 और 57 गिरफ्तारियाँ हुईं।
  • गृह मंत्रालय या राज्य सरकार के सक्षम प्राधिकारी को जाँच एजेंसी से संपर्क करने के बाद सात दिनों में चार्जशीट दाखिल करने की मंज़ूरी देनी होती है।
  • गृह मंत्रालय द्वारा NCRB के आँकड़ों के आधार पर दी गई जानकारी के अनुसार, UAPA के तहत वर्ष 2015, 2016 और 2017 में क्रमशः 1128, 999, 1554 व्यक्तियों की गिरफ्तारी हुई।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो:

(National Crime Record Bureau- NCRB)

  • NCRB की स्थापना गृह मंत्रालय के अंतर्गत वर्ष 1986 में अपराध और अपराधियों की सूचना संग्रह करने के लिये की गई थी।
  • वर्ष 2009 से यह अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (CCTNS) योजना की देख-रेख, समन्वय तथा लागू करने का कार्य कर रहा है।
  • NCRB का उद्देश्य भारतीय पुलिस को सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से अपराध तथा अपराधियों की जानकारी देकर कानून व्यवस्था बनाए रखने और लोगों की सुरक्षा करने में सक्षम बनाना है।

स्रोत- द हिंदू

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