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बाल श्रम कन्वेंशन को सार्वभौमिक अनुसमर्थन

  • 17 Aug 2020
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, मिनिमम ऐज कन्वेंशन 1973, कन्वेंशन नंबर 182, सतत् विकास लक्ष्य

मेन्स के लिये:

वैश्विक स्तर पर बाल श्रम को रोकने की दिशा में प्रयास एवं अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की भूमिका

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ( International Labour Organization-ILO) के बाल श्रम के सबसे विकृत स्वरुप पर कन्वेंशन, जिसे कन्वेंशन नंबर 182 के रूप में भी जाना जाता है, को किंगडम ऑफ टोंगा (Kingdom of Tonga) की पुष्टि के बाद सार्वभौमिक अनुसमर्थन प्राप्त हो गया है ।

प्रमुख बिंदु:

  • सार्वभौमिक अनुसमर्थन: इसका अर्थ है किसी संगठन के सभी सदस्यों द्वारा अनुसमर्थन प्राप्त होना। कन्वेंशन नंबर 182 को अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के सभी 187 सदस्यों से अनुसमर्थन प्राप्त हो गया है।
  • बाल श्रम:

    • ILO द्वारा बाल श्रम को ऐसे कार्य के रूप में परिभाषित किया गया है जो बच्चों को उनके बचपन, उनकी क्षमता और उनकी गरिमा से वंचित करता है एवं जो उनके शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिये हानिकारक है।
    • कम विकसित देशों में, चार बच्चों में से एक से अधिक (5 से 17 उम्र) बच्चे बाल श्रम में लगे हुए हैं जो उनके स्वास्थ्य एवं विकास के लिये हानिकारक माना जाता है।
    • बाल श्रम का उन्मूलन सतत् विकास लक्ष्य 8.7 का हिस्सा है।
    • संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2021 को बाल श्रम के उन्मूलन के लिये वर्ष घोषित किया गया है।
  • कन्वेंशन नंबर 182:

    • इस सम्मेलन को वर्ष 1999 में जिनेवा में ILO के सदस्य राज्यों की बैठक द्वारा अपनाया गया था।
    • इसका उद्देश्य बच्चों को बाल श्रम के सबसे बुरे स्वरूप से बचाना है, जिसमें दासता, वेश्यावृत्ति, तस्करी, सशस्त्र संघर्ष में बच्चों की संलिप्तता एवं उनकी समग्र भलाई से जुड़े अन्य पक्ष शामिल हैं।

बाल श्रम पर अन्य अंतर्राष्ट्रीय कानून:

  • यूएन कन्वेंशन ऑन द राइट्स ऑफ द चाइल्ड, 1989 ( UN Convention on the Rights of the Child, 1989): इसमें यह विचार शामिल है कि बच्चे उनके माता-पिता के लिये सिर्फ कोई वस्तु नहीं हैं तथा जिनके लिये वो निर्णय लें या उनके व्यस्क प्रशिक्षण में शामिल हों बल्कि, वे अपने अधिकारों के साथ मनुष्य एवं व्यक्ति भी हैं।
  • मिनिमम ऐज कन्वेंशन 1973 (Minimum Age Convention 1973): इसका उद्देश्य कम आयु सीमा से कम के बच्चों को बाल श्रम करने से रोकना है।
    • दोनों कन्वेंशन अर्थात, नंबर 182 और मिनिमम ऐज कन्वेंशन,1973 आठ मूल ILO सम्मेलनों में से एक हैं, जिन्हें वर्ष 1998 के मूल सिद्धांतों एवं काम पर अधिकारों की घोषणा की भावना के रूप में जाना जाता है।
  • भारत द्वारा वर्ष 2017 में कन्वेंशन नंबर 182 तथा मिनिमम ऐज कन्वेंशन,1973 की पुष्टि की गई।

बाल श्रम पर कानून का प्रभाव:

  • ILO के अनुसार, बाल श्रम की घटनाओं और इसके सबसे खराब रूपों में वर्ष 2000 और वर्ष 2016 के मध्य लगभग 40% की गिरावट देखी गई है क्योंकि बाल श्रम पर अनुसमर्थन दर में वृद्धि हुई एवं बाल श्रम को रोकने के लिये देशों ने कानूनों और नीतियों को अपनाया है।
  • दोनों कन्वेंशन के परिणामस्वरूप प्राथमिक शिक्षा के नामांकन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

बाल श्रम से संबंधित चुनौतियाँ:

  • सतत् विकास लक्ष्य (Sustainable Developmental Goal- SDG) का लक्ष्य 2025 तक बाल श्रम को पूरी तरह से समाप्त करना है। हालांकि, अभी भी अनुमानित 152 मिलियन बच्चे बाल श्रम में शामिल हैं और उनमें से 72 मिलियन खतरनाक काम में लगे हुए हैं।
  • COVID -19 महामारी के कारण अब तक के प्राप्त लाभों के पलटने का खतरा है, जिसमें व्यापक रूप से नौकरी के नुकसान, काम की स्थिति में गिरावट, घरेलू आय में गिरावट और अस्थायी स्कूल बंद होने का खतरा शामिल है।

आगे की राह:

  • गरीबी और उसके निहितार्थ चक्र को ठीक से संबोधित किया जाना चाहिये, ताकि परिवारों को जीवित रहने के लिये अन्य साधन प्राप्त हो सकें। कई एनजीओ जैसे बचपन बचाओ आंदोलन ( Bachpan Bachao Andolan), चाइल्डफंड (ChildFund), केयर इंडिया (CARE India) आदि भारत में बाल श्रम को समाप्त करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।
  • बाल श्रम की प्रथा को समाप्त करने के लिये राज्य स्तर के अधिकारियों को सही नीतियों एवं उद्देश्यों की आवश्यकता है। मजबूर बाल श्रमिकों के लिये सरकारों एवं अंतर्राष्ट्रीय समुदायों द्वारा एक तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।

स्रोत: द हिंदू

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