अंतर्राष्ट्रीय संबंध
अनुच्छेद 370 पर संयुक्त राष्ट्र का पक्ष
- 09 Aug 2019
- 6 min read
चर्चा में क्यों?
संयुक्त राष्ट्र (United Nations-UN) प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस (Antonio Guterres) ने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान से संयम बरतने तथा कोई ऐसा कदम न उठाने का आग्रह किया जो जम्मू-कश्मीर की स्थिति को प्रभावित करे।
प्रमुख बिंदु :
- UN प्रमुख ने इस विषय पर शिमला समझौते को भी रेखांकित किया, जो कि इस मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को खारिज करता है।
- एंटोनियो ने इस विषय पर भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी प्रकार की मध्यस्थता का कोई प्रस्ताव नहीं रखा है, उन्होंने इस विषय को शिमला समझौते के आधार पर हल करने का सुझाव दिया है। शिमला समझौते के अनुसार, कश्मीर के मुद्दे को अंततः शांतिपूर्ण ढंग से ही हल किया जाना चाहिये और मध्यस्थता के लिये कोई तीसरा पक्ष नहीं होना चाहिये।
- ज्ञातव्य है कि इस पूरे घटनाक्रम की शुरुआत तब हुई जब भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा हटाने के उद्देश्य से अनुच्छेद 370 के खंड 2 व खंड 3 को समाप्त कर दिया गया।
- पाकिस्तान ने भारत की कार्यवाही को पूर्णतः एकतरफा और अवैध करार दिया था तथा यह भी कहा था कि वह इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के समक्ष रखेगा।
- इसी के साथ पाकिस्तान ने जवाबी कार्यवाही के तौर पर भारतीय राजदूत को देश छोड़ने का आदेश दिया है और भारत के साथ अपने राजनयिक संबंधों को भी कम कर दिया है।
क्या है पूरा मामला?
- हाल ही में केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर राज्य से संविधान का अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य का विभाजन दो केंद्रशासित क्षेत्रों- जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख के रूप में करने का निर्णय किया है।
- केंद्र सरकार का प्रस्ताव जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने, जम्मू कश्मीर को विधायिका वाला केंद्रशासित क्षेत्र और लद्दाख को बिना विधायिका वाला केंद्रशासित क्षेत्र बनाने का प्रावधान करता है।
- अब राज्य में अनुच्छेद 370 (1) ही लागू रहेगा, जो संसद द्वारा जम्मू-कश्मीर के लिये कानून बनाने से संबंधित है।
अनुच्छेद 370 का इतिहास?
- अनुच्छेद 370 भारत के संविधान में 17 अक्तूबर, 1949 को शामिल किया गया था।
- यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर को भारत के संविधान से अलग करता है और राज्य को अपना संविधान खुद तैयार करने का अधिकार देता है
- नवंबर 1956 में जम्मू-कश्मीर में अलग संविधान बनाने का काम पूरा हुआ और 26 जनवरी, 1957 को राज्य में विशेष संविधान लागू कर दिया गया।
- अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देता है। इसके तहत भारतीय संसद जम्मू-कश्मीर के मामले में सिर्फ तीन क्षेत्रों- रक्षा, विदेश मामले और संचार के लिये कानून बना सकती है।
क्या बदलेगा इस फैसले के बाद?
- जम्मू-कश्मीर को दो भागों में विभाजित कर दिया गया है- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अब ये दो अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेश होंगे।
- जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान रद्द हो गया है, अब वहाँ भारत का संविधान लागू होगा। जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा भी नहीं होगा।
- जम्मू-कश्मीर में स्थानीय लोगों की दोहरी नागरिकता समाप्त हो जाएगी।
- जम्मू-कश्मीर सरकार का कार्यकाल अब छह साल का नहीं, बल्कि पाँच साल का होगा।
- रणबीर दंड संहिता के स्थान पर भारतीय दंड संहिता प्रभावी होगी तथा नए कानून या कानूनों में होने वाले बदलाव स्वतः जम्मू-कश्मीर में भी लागू हो जाएंगे।
क्या है शिमला समझौता?
- शिमला समझौते पर 2 जुलाई, 1972 को भारत की ओर से इंदिरा गांधी व पाकिस्तान की ओर से ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो ने हस्ताक्षर किये थे।
- यह समझौता भारत और पाकिस्तान के मध्य बेहतर संबंधों हेतु एक व्यापक ब्लू प्रिंट है।
- समझौते के मुख्य बिंदु :
- दोनों देशों के विवाद में किसी भी अन्य देश की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
- सभी विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने का प्रयास किया जाएगा।
- दोनों देशों के बीच संबंधों का संचालन संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के माध्यम से किया जाएगा।
- दोनों देश एक-दूसरे की राष्ट्रीय एकता, क्षेत्रीय अखंडता, राजनीतिक स्वतंत्रता और संप्रभुता का बराबर सम्मान करेंगे।
- विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में आदान-प्रदान को प्रोत्साहित किया जाएगा।