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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

बहुराष्ट्रीय उद्यमों हेतु एकात्मक कर प्रणाली

  • 30 Sep 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि एक समूह में शामिल सभी बहुराष्ट्रीय उद्यमों (Multinational Enterprises-MNEs) को एक इकाई मानते हुए एकात्मक कराधान की प्रणाली को अपनाया जाए। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह का दृष्टिकोण वैश्विक कर प्रणाली को सरल बनाएगा और सभी देशों के कर राजस्व को बढ़ाने में मदद करेगा।

संदर्भ:

  • संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (United Nations Conference on Trade and Development- UNCTAD) की ‘व्यापार और विकास रिपोर्ट 2019’ के अनुसार, मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय कॉरपोरेट कर के उन मानदंडों में बदलाव की आवश्यकता है, जो MNEs के सहयोगियों को स्वतंत्र संस्थाओं के रूप में मानते हैं और MNEs की विभिन्न संस्थाओं के बीच कर योग्य लेन-देन को असंबद्ध मानते हैं।
  • ‘फाइनेंसिंग ए ग्लोबल ग्रीन न्यू डील ( Financing a Global Green New Deal)' नाम से प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, MNEs के कर-प्रेरित अवैध वित्तीय प्रवाह (Tax-Motivated Illicit Financial Flows) के कारण विकासशील देशों को राजकोषीय राजस्व में प्रतिवर्ष 50 बिलियन डॉलर से 200 बिलियन डॉलर तक का नुकसान झेलना पड़ता है।

प्रमुख बिंदु:

  • इस बात को समझते हुए कि एक समूह के रूप MNEs का मुनाफा सम्मिलित रूप से उत्पन्न होता है, रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि एकात्मक कराधान को वैश्विक न्यूनतम प्रभावी कॉर्पोरेट कर की दर के साथ जोड़ा जाना चाहिये, जो सभी MNEs के मुनाफे पर लगभग 20-25 प्रतिशत [दुनिया भर के नाममात्र दरों (nominal rates) का वर्तमान औसत] निर्धारित है।
  • सभी देशों में ऐसे सुधारित कॉर्पोरेट करों (Reformed Corporate Taxes) से प्राप्त राजस्व का वितरण करने के लिए, रिपोर्ट ‘नियमबद्ध विभाजन’ (Formulatory Apportionment) का समर्थन करती है। इसके तहत MNEs समूह के कुल करों को एक ‘सहमति फॉर्मूला’, जो कि आदर्श रूप से कुल बिक्री की तुलना में रोज़गार और उत्पादक भौतिक संपत्ति को प्राथमिकता देता है, के अनुसार देशों में आवंटित किया जाता है।
  • उल्लेखनीय है कि रिपोर्ट में MNEs को समूह के स्तर पर एक इकाई के रूप में मानने के इस दृष्टिकोण की सिफारिश सभी MNEs के लिये की गई है न कि केवल बड़ी अंतर्राष्ट्रीय डिजिटल या तकनीकी कंपनियों के लिये।

डिजिटल अर्थव्यवस्था के संदर्भ में:

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि यद्यपि आर्थिक गतिविधि के तीव्र डिजिटलीकरण के कारण मूल्य के निर्धारण, मापन और वितरण के संबंध में आए बदलाव से अंतर्राष्ट्रीय कर ढांचे में नई चुनौतियाँ उभर कर सामने आई हैं, तथापि डिजिटल अर्थव्यवस्था के निष्पक्ष कराधान के माध्यम से देशों के राजकोषीय राजस्व को बढ़ाया जा सकता है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी स्थिति में जब अमूर्त संपत्ति और डेटा उपयोगकर्त्ता मूल्य/आय का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत बन चुके हैं, गंभीर राजकोषीय रिसावों को कम करने के लिये मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय कॉर्पोरेट कर मानदंडों और नियमों के नए परीक्षण की आवश्यकता है ताकि कर लगाने के क्षेत्राधिकार, MNEs के विभिन्न निकायों के बीच सीमा पार लेन-देन के बरताव और मूल्य सृजन की माप का निर्धारण किया जा सके।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था में उचित कर अधिकारों के लिये एक निश्चित सीमा से अधिक बिक्री या लेनदेन से प्राप्त राजस्व के अनुसार महत्त्वपूर्ण आर्थिक उपस्थिति की अवधारणा का उपयोग करने की आवश्यकता है।
  • रिपोर्ट में यह भी माना गया है कि कई देशों ने इस मामले पर अंतर्राष्ट्रीय सहमति की प्रतीक्षा करते हुए एकपक्षीय (Unilateral) कदम उठाए हैं एवं विकासशील देशों के लियेइस तरह के एकपक्षीय उपायों से अनुमानतः 11 बिलियन डॉलर से 28 बिलियन डॉलर तक की अतिरिक्त कर राजस्व की प्राप्ति संभावित है।

स्रोत: द हिंदू

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