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सामाजिक न्याय

फेफड़ों के स्वास्थ्य पर यूनियन विश्व सम्मेलन

  • 02 Nov 2019
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

50वें यूनियन विश्व सम्मेलन, टीबी, विश्व स्वास्थ्य संगठन

मेन्स के लिये:

टीबी से संबंधित मुद्दे, विश्व स्वास्थ्य संगठन की क्रियाविधि

चर्चा में क्यों?

30 अक्तूबर से 2 नवंबर, 2019 तक हैदराबाद में फेफड़ों के स्वास्थ्य पर 50वें यूनियन विश्व सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • इस सम्मेलन का विषय (Theme) ‘एंडिंग द इमरजेंसी: साइंस, लीडरशिप, एक्शन’ (Ending the Emergency: Science, Leadership, Action) है।
    • इस सम्मेलन के माध्यम से प्रतिबद्धताओं को लेकर कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिये आवश्यकताओं और जीवन रक्षक लक्ष्यों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
    • सम्मेलन के विषय का उद्देश्य टीबी के उन्मूलन हेतु दृढ़ता से प्रतिबद्धता है। इसके अतिरिक्त यह फेफड़ों के स्वास्थ्य से संबंधित जागरूकता पर भी ध्यान केंद्रित करता है। यह अनेक आपात स्थितियों जैसे- वायु प्रदूषण एवं तंबाकू सेवन से संबंधित खतरों से निपटने पर ज़ोर देता है।
  • फेफड़ों की बीमारी से संबंधित हितधारकों का यह विश्व का सबसे बड़ा सम्मेलन है। यह सम्मेलन विशेष रूप से निम्न और निम्न-मध्यम आय वाली जनसंख्या के सामने आने वाली चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • वर्ष 1920 से इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट ट्यूबरक्लुसोसिस (International Union Against Tuberculosis- IUAT) इस सम्मेलन का आयोजन कर रहा है।
  • भारत टीबी के उन्मूलन हेतु दृढ़ता से प्रयत्नशील है और इसने वर्ष 2025 तक टीबी के पूर्णतः उन्मूलन का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।
  • भारत ने रिफ़ापेंटाइन (Rifapentine) का मूल्य कम करने के लिये एक समझौता भी किया गया। रिफ़ापेंटाइन एक महत्त्वपूर्ण दवा है जिसका उपयोग टीबी की रोकथाम के लिये किया जाता है।

तपेदिक (TB)

  • यह एक संक्रामक रोग है जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (Bacterium Mycobacterium Tuberculosis) जीवाणु के कारण होता है।
  • इसका प्रसार पीड़ित व्यक्ति से हवा के माध्यम से हो सकता है। सामान्यतः एक वर्ष में एक रोगी दस या अधिक लोगों को संक्रमित करता है।
  • टीबी भारत में एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है। वैश्विक स्तर पर दर्ज किये गए टीबी के सभी मामलों में से 26% मामले भारत में दर्ज हैं।
  • वर्ष 2011 में अनुमानित 8.8 मिलियन वैश्विक टीबी के मामलों में से लगभग 2.3 मिलियन मामले भारत से संबंधित थे।
  • टीबी के लिये प्रयोग की जाने वाली बेसिलस कैलमेट-गुएरिन (Bacillus Calmette– Guérin- BCG) वैक्सीन को अल्बर्ट कैलमेट और केमिली गुरेन ने वर्ष 1921 में विकसित किया था।

इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट ट्यूबरक्लुसोसिस

  • प्रथम विश्वयुद्ध के बाद वर्ष 1920 में पेरिस में इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट ट्यूबरकुलोसिस की स्थापना की गई।
  • वर्ष 1940 में यह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त पहला गैर- आधिकारिक संगठन बना।
  • यह टीबी के इलाज में नए साधनों के उपयोग हेतु सर्वोत्तम तरीकों को निर्धारित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय नैदानिक परीक्षणों में केंद्रीय भूमिका निभाता है इसके अतिरिक्त यह टीबी निगरानी अनुसंधान इकाई (TB Surveillance Research Unit) का सह-संस्थापक भी है।

स्रोत: द हिंदू

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