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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

छात्र पुलिस कैडेट कार्यक्रम

  • 24 Jul 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

21 जुलाई, 2018 को हरियाणा के गुरुग्राम में राष्ट्रव्यापी ‘छात्र पुलिस कैडेट कार्यक्रम’ आरंभ किया गया।

कार्यक्रम का उद्देश्य

  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्कूली छात्रों की मदद से पुलिस और जन समुदाय के बीच समन्वय सेतु का निर्माण करना है।

कार्यक्रम में शामिल मुख्य विषय

  • इस कार्यक्रम में मुख्यतः दो विषय-वस्तुओं को शामिल किया गया है :
  1. अपराध की रोकथाम और नियंत्रण
  2. मूल्य और नैतिकता

अपराध की रोकथाम और नियंत्रण

  • इसके अंतर्गत निम्नलिखित विषयों को शामिल किया गया है-

♦ सामुदायिक पुलिस
♦ सड़क सुरक्षा
♦ सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ाई
♦ महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा
♦ भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई
♦ आपदा प्रबंधन।

मूल्य और नैतिकता

  • इस भाग में शामिल विषय हैं –

♦ मूल्य और नैतिकता
♦ बुज़ुर्गों के लिये आदर
♦ सहानुभूति और सहनशीलता
♦ धैर्य, दृष्टिकोण, टीम भावना
♦ अनुशासन

प्रमुख बिंदु

  • यह कार्यक्रम 8वीं और 9वीं कक्षा के छात्रों पर विशेष ध्यान देता है।
  • इस कार्यक्रम के लिये कोई पाठ्य पुस्तक या किसी परीक्षा की परिकल्पना नहीं की गई है। एक महीने में केवल एक बार इसकी कक्षा (period) लगाने का प्रस्ताव दिया गया है।
  • एनसीईआरटी के सहयोग से बीपीआरएंडडी ने एक मार्गदर्शक पुस्तिका तैयार की है। इस कार्यक्रम में क्षेत्र आधारित कार्य तथा महिला पुलिस स्टेशन, बाल सुरक्षागृह, ट्रैफिक पुलिस, फायर ब्रिगेड स्टेशन जाकर वहाँ कार्यशैली सीखने पर विशेष बल दिया गया है। 
  • समूह परिचर्चा तथा ऑडियो विज़ुअल माध्यम से ज्ञान प्राप्ति को भी इसमें शामिल किया गया है।

कार्यक्रम का नेतृत्व

  • इस कार्यक्रम का नेतृत्व राज्य स्तरीय समिति करेगी।
  • गृह विभाग के प्रधान सचिव इस समिति के अध्यक्ष तथा शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव और पुलिस महानिदेशक इसके सदस्य होंगे।
  • इसी प्रकार की एक समिति का गठन ज़िला स्तर पर भी किया जाएगा। ज़िलाधीश इस समिति के अध्यक्ष होंगे, जबकि स्कूल निरीक्षक और पुलिस अधीक्षक इसके सदस्य होंगे।

कार्यक्रम के लिये आवंटित राशि

  • इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिये 67 करोड़ रुपए की धनराशि जारी की गई है।
  • शैक्षणिक सहायता, प्रशिक्षण और आकस्मिक खर्च के लिये प्रत्येक स्कूल को 50 हज़ार रुपए की धनराशि दी जाएगी।
  • कार्यक्रम को सबसे पहले ग्रामीण और शहरी, दोनों ही क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में लागू किया जाएगा।
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