शासन व्यवस्था
यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI)
- 16 Nov 2021
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये:यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस, भीम एप, जन धन योजना मेन्स के लिये:व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक के महत्त्वपूर्ण प्रावधान |
चर्चा में क्यों?
यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (Unified Payments Interface- UPI) भुगतान प्रणाली ने आश्चर्यजनक तरीके एवं तीव्रता से भारत को सामाजिक-आर्थिक आधार पर डिजिटल रूप से विभाजित कर दिया है।
- भले ही UPI वास्तव में डिजिटल भुगतान परिदृश्य में एक महत्त्वपूर्ण नवाचार है, फिर भी कई संस्थान और व्यवसाय इस भुगतान प्रणाली की विश्वसनीयता और सुरक्षा मानकों को लेकर आशंकित है।
प्रमुख बिंदु
- यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI):
- यह तत्काल भुगतान सेवा (Immediate Payment Service- IMPS) जो कि कैशलेस भुगतान को तीव्र और आसान बनाने के लिये चौबीस घंटे धन हस्तांतरण सेवा है, का एक उन्नत संस्करण है।
- UPI एक ऐसी प्रणाली है जो कई बैंक खातों को एक ही मोबाइल एप्लिकेशन (किसी भी भाग लेने वाले बैंक के) द्वारा, कई बैंकिंग सुविधाओं, निर्बाध फंड रूटिंग और मर्चेंट भुगतान की शक्ति प्रदान करती है।
- वर्तमान में UPI नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (NACH), तत्काल भुगतान सेवा (IMPS), आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (AePS), भारत बिल भुगतान प्रणाली (BBPS), RuPay आदि सहित भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा संचालित प्रणालियों में सबसे बड़ा है।
- आज के शीर्ष UPI ऐप्स में फोन पे, पेटीएम, गूगल पे , अमेज़न पे और भीम एप शामिल हैं।
- वर्ष 2016 में NPCI ने 21 सदस्य बैंकों के साथ UPI को लॉन्च किया था।
- उपलब्धियाँ:
- वर्ष 2020-21 में महामारी के दौरान UPI के माध्यम से डिजिटल लेन-देन में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई और कई देशों ने भारतीय अनुभव से सीखने में रुचि दिखाई है ताकि वे भारतीय मॉडल का उपयोग कर सकें।
- NPCI के आंँकड़ों के अनुसार, UPI का उपयोग करके किये गए लेन-देन का मूल्य अक्तूबर, 2021 में पहली बार एक महीने में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर गया, जो भारत की सबसे लोकप्रिय डिजिटल भुगतान प्रणाली की स्थिति को और मज़बूत करता है।
- भारत का डिजिटल भुगतान उद्योग वर्ष 2025 तक 27% चक्रवृद्धि वार्षिक विकास दर (Compounded Annual Growth Rate- CAGR) से 2,153 ट्रिलियन रुपये से बढ़कर 7,092 ट्रिलियन रुपये होने की उमीद है।
- मर्चेंट भुगतान के मज़बूत उपयोग, जन धन योजना सहित सरकारी नीतियांँ, व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक के साथ-साथ MSMEs की संख्याओं में वृद्धि और स्मार्टफोन के उच्च उपयोग के कारण यह वृद्धि होने की संभावना है।
- भारत का डिजिटल भुगतान उद्योग वर्ष 2025 तक 27% चक्रवृद्धि वार्षिक विकास दर (Compounded Annual Growth Rate- CAGR) से 2,153 ट्रिलियन रुपये से बढ़कर 7,092 ट्रिलियन रुपये होने की उमीद है।
- चुनौतियाँ:
- कोरोनावायरस महामारी के बीच वैश्विक बैंकिंग और वित्तीय सेवा उद्योग में साइबर अपराध का खतरा बढ़ गया है।
- उदाहरण: ‘सर्बरस’ (Cerberus) सॉफ्टवेयर
- धोखाधड़ी संबंधी दावे, शुल्क वापसी, नकली खरीदार खाते, पदोन्नति का दुरुपयोग, खाता अधिग्रहण, पहचान की चोरी और कार्ड विवरण की चोरी आदि भी चुनौतियों के रूप में उभर रहे हैं।
- कोरोनावायरस महामारी के बीच वैश्विक बैंकिंग और वित्तीय सेवा उद्योग में साइबर अपराध का खतरा बढ़ गया है।
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम
- भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI), भारत में खुदरा भुगतान और निपटान प्रणाली के संचालन हेतु एक अम्ब्रेला संगठन है, जिसे ‘भारतीय रिज़र्व बैंक’ (RBI) और ‘भारतीय बैंक संघ’ (IBA) द्वारा ‘भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007’ के तहत शुरू किया गया है।
- यह कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 25 (अब कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8) के प्रावधानों के तहत स्थापित एक ‘गैर-लाभकारी’ कंपनी है, जिसका उद्देश्य भारत में संपूर्ण बैंकिंग प्रणाली को भौतिक और इलेक्ट्रॉनिक भुगतान हेतु बुनियादी ढाँचा प्रदान करना है।
आगे की राह
- एक उचित रूप से तैयार की गई ‘सार्वजनिक-निजी भागीदारी’ (PPP) नीति भारतीय आबादी की अधिक-से-अधिक डिजिटल बुनियादी अवसंरचना तक पहुँच और साक्षरता में वृद्धि के लिये बाज़ार शक्ति का उपयोग करके 21वीं सदी में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है।
- एक जीवंत भारतीय लोकतंत्र में भारतीय मतदाताओं का सार्वजनिक नीति-संचालित डिजिटल सशक्तीकरण उपभोक्ताओं के हित और व्यापक जनहित में उत्तरदायी डिजिटल आचरण सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है।