UNICEF की 'लॉस्ट एट होम’ रिपोर्ट | 07 May 2020

प्रीलिम्स के लिये:

'लॉस्ट एट होम’ रिपोर्ट

मेन्स के लिये:

आंतरिक रूप से विस्थापन 

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष’ (United Nations Children's Fund- UNICEF) द्वारा प्रकाशित ‘लॉस्ट एट होम’ (Lost at Home) रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में लगभग 33 मिलियन लोगों का आंतरिक रूप से विस्थापन हुआ है।

मुख्य बिंदु:

  • विस्थापित लोगों में 12 मिलियन बच्चे थे। जिनमें से लगभग 3 मिलियन बच्चों का विस्थापन संघर्ष और हिंसा के कारण जबकि 2 मिलियन का विस्थापन प्राकृतिक आपदाओं के कारण देखा गया।
  • रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में भारत में प्राकृतिक आपदाओं, संघर्ष और हिंसा के कारण 5 मिलियन से अधिक लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं।
  • वर्ष 2019 में भारत में आंतरिक रूप से सर्वाधिक विस्थापन हुआ है। भारत के बाद क्रमश: फिलीपींस, बांग्लादेश और चीन का स्थान है।

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आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्ति

(Internally displaced persons- IDPs):

  • "व्यक्तियों या व्यक्तियों के समूह हैं जो सशस्त्र संघर्ष, प्राकृतिक आपदा या मानवीय आपदा के कारण उत्पन्न परिस्थितियों के प्रभाव से बचने के लिये अपना आवास छोड़ने या देश की अंतर्राष्ट्रीय सीमा से अंदर पलायन करने को बाध्य होते हैं। ”
  • यहाँ आंतरिक विस्थापन की परिभाषा में ‘अनैच्छिक’ चरित्र तथा ‘अंतर्राष्ट्रीय सीमा’ महत्त्वपूर्ण तत्त्व है ।

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प्राकृतिक आपदा और विस्थापन:

  • रिपोर्ट में कहा गया कि प्राकृतिक आपदाओं के कारण विस्थापित होने वाले लोगों की संख्या संघर्ष और हिंसा के कारण विस्थापित होने वाले लोगों की तुलना में अधिक है। वर्ष 2019 में लगभग 10 मिलियन लोगों का पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में दर्ज 9.5 मिलियन लोगों का दक्षिण एशिया में विस्थापन हुआ।
  • भारत, फिलीपींस, बांग्लादेश, और चीन प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित होने वाले शीर्ष देश हैं, इन देशों में वैश्विक आपदा-प्रेरित विस्थापन का लगभग 69% योगदान है।
  • भारत में वर्ष 2019 में कुल 5,037,000 लोगों का आंतरिक विस्थापन हुआ जिनमें से 5,018,000 लोगों का विस्थापन प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुआ है।  

संघर्ष और हिंसा के कारण विस्थापन:

  • वर्ष 2019 तक लगभग 46 मिलियन लोगों का आंतरिक विस्थापन संघर्ष और हिंसा के कारण हुआ था।
  • वर्ष 2019 में संघर्ष और हिंसा के कारण सर्वाधिक लगभग 19 मिलियन बच्चों का आंतरिक रूप से विस्थापित देखने को मिला।  
  • संघर्ष के कारण बच्चों का आंतरिक रूप से सर्वाधिक विस्थापन मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका (Middle East and North Africa- MENA) तथा उप-सहारा अफ्रीका में हुआ है।
  • इस प्रकार के विस्थापन के दो स्पष्ट क्षेत्र हैं - मध्य पूर्व तथा उत्तरी अफ्रीका और पश्चिम तथा मध्य अफ्रीका।
  • वर्ष 2019 में आंतरिक रूप से विस्थापित हुए लोगों में से हर चौथा व्यक्ति संघर्ष और हिंसा के कारण विस्थापित हुआ।
  • भारत में 19,000 लोगों का विस्थापन संघर्ष और हिंसा के कारण दर्ज किया गया।

COVID- 19 महामारी और बच्चों का विस्थापन:

  • COVID-19 महामारी ने बच्चों की सुभेद्यता को और अधिक बढ़ा दिया है। विस्थापन राहत शिविरों में सामान्यत: भीड़भाड़ होती है तथा इनमें पर्याप्त स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव होता है। महामारी के प्रसार को रोकने के लिये 'शारीरिक दूरी' बनाए रखना हमेशा संभव नहीं है, अत: इन राहत शिविरों में बच्चों की महामारी के प्रति सुभेद्यता अधिक होती है। 

आंतरिक विस्थापन और आवश्यक पहल:

  • रिपोर्ट के अनुसार, विभिन्न देशों की सरकारों, नागरिक समाज, कंपनियों, मानवीय अभिकर्त्ताओं को आंतरिक विस्थापन, हिंसा, शोषण तथा बच्चों से विशिष्ट रूप से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिये एक साथ मिलकर कार्य करना चाहिये।
  • आंतरिक रूप से विस्थापन पर ‘उच्च-स्तरीय पैनल’ के तहत सरकारों को एक साथ मिलकर कार्य करना चाहिये ताकि आंतरिक रूप से विस्थापित बच्चों और उनके परिवारों को सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में इस पैनल द्वारा आवश्यक जाँच की जानी चाहिये।
  • विस्थापित लोगों से संबंधित आँकड़ों की समय पर तथा सुलभ तरीके से पहुँच के अलावा उम्र और लिंग के अनुसार उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिये। 

स्रोत: द हिंदू