अमूर्त सांस्कृतिक विरासत पर यूनेस्को का अभिसमय | 08 Jul 2022

प्रिलिम्स के लिये:

अमूर्त संस्कृति विरासत, यूनेस्को, SDG।

मेन्स के लिये:

अमूर्त विरासत और उसकी सुरक्षा के लिये यूनेस्को का सम्मेलन।

चर्चा में क्यों?

भारत को वर्ष 2022-2026 कि अवधि के लिये अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) की सुरक्षा हेतु यूनेस्को के 2003 कन्वेंशन की अंतर-सरकारी समिति के लिये चुना गया है।

  • भारत ने 2006 से 2010 और 2014 से 2018 तक दो बार ICH समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया है।
  • इससे पहले कोलकाता में दुर्गा पूजा को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) की यूनेस्को की प्रतिनिधि सूची में अंकित किया गया था।

अमूर्त सांस्कृतिक विरासत:

  • अमूर्त सांस्कृतिक विरासत वे प्रथाएँ, अभिव्यक्तियाँ, ज्ञान और कौशल हैं जिन्हें समुदाय, समूह तथा कभी-कभी व्यक्ति अपनी सांस्कृतिक विरासत के हिस्से के रूप में पहचानते हैं।
  • इसे जीवित सांस्कृतिक विरासत भी कहा जाता है, इसे आमतौर पर निम्नलिखित रूपों में से एक में व्यक्त किया जाता है:
    • मौखिक परंपराएँ
    • कला प्रदर्शन
    • सामाजिक प्रथाएँ
    • अनुष्ठान और उत्सव कार्यक्रम
    • प्रकृति और ब्रह्मांड से संबंधित ज्ञान और अभ्यास
    • पारंपरिक शिल्प कौशल

अभिसमय हेतु भारत को चुने जाने का महत्त्व:

  • यह भारत को सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने, अमूर्त विरासत के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मज़बूत करने, अमूर्त सांस्कृतिक विरासत पर अकादमिक अनुसंधान को बढ़ावा देने और संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों के साथ अभिसमय के कार्य को संरेखित करने में मदद करेगा।
  • भारत के पास वर्ष 2003 के अभिसमय के कार्यान्वयन की बारीकी से निगरानी करने का अवसर होगा।
  • भारत जीवित विरासत की विविधता और महत्त्व को उचित ढंग से प्रदर्शित करने के लिये अभिसमय के लिये राज्य के भीतर अंतर्राष्ट्रीय संवाद को प्रोत्त्साहित करने का प्रयास करेगा।

अमूर्त विरासत की सुरक्षा हेतु यूनेस्को का अभिसमय:

  • परिचय:
    • अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के अभिसमय को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) द्वारा वर्ष 2003 में अपनाया गया था तथा यह वर्ष 2006 में लागू हुआ।
    • इसमें 24 सदस्य शामिल हैं और इन्हें समान भौगोलिक प्रतिनिधित्व और रोटेशन के सिद्धांतों के अनुसार अभिसमय की आम सभा में चुना जाता है।
      • समिति के सदस्य चार साल की अवधि के लिये चुने जाते हैं
  • उद्देश्य:
    • वैश्वीकरण की प्रक्रियाओं से संकटग्रस्त अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की अभिव्यक्तियों की रक्षा करना।
    • समुदायों, समूहों और व्यक्तियों की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का सम्मान सुनिश्चित करना।
    • अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के महत्त्व के बारे में स्थानीय, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता बढ़ाना।
  • प्रकाशन:
    • मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची।
    • तत्काल सुरक्षा की आवश्यकता वाले अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची।
    • अच्छी सुरक्षा प्रथाओं का रजिस्टर

 ICH के रूप में मान्यता प्राप्त भारतीय विरासत:

  • मानवता की ICH की प्रतिष्ठित यूनेस्को प्रतिनिधि सूची में भारत के 14 अमूर्त सांस्कृतिक विरासत शामिल हैं
  • दुर्गा पूजा के अलावा भारत में यूनेस्को द्वारा ICH के रूप में मान्यता प्राप्त 13 परंपराएंँ हैं।

UNESCO

स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस