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आपदा प्रबंधन

UNESCO-IOC का ‘सुनामी रेडी’ प्रोग्राम

  • 07 Aug 2020
  • 9 min read

प्रीलिम्स के लिये: 

UNESCO-IOC का ‘सुनामी रेडी’ प्रोग्राम, 

मेन्स के लिये: 

आपदा से निपटने हेतु किये गये प्रयास तथा आपदा प्रबंधन हेतु संस्थाएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization- UNESCO) द्वारा ओडिशा के दो गाँवों को सुनामी से निपटने हेतु तैयारियों के लिये ‘सुनामी रेडी ’ (Tsunami Ready) के रूप में नामित किया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • जगतसिंहपुर ज़िले के गंजम और नोलियासाही में वेंकटरायपुर (बॉक्सिपल्ली) को एक वर्चुअल कार्यक्रम के दौरान मान्यता प्रदान (प्रमाण पत्र) की गई है।
  • ओडिशा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (Odisha State Disaster Management Authority- OSDMA) ने दो गाँवों में ‘सुनामी रेडी’ प्रोग्राम को लागू किया।
    • OSDMA ने दिशा-निर्देशों के अनुसार, उन गाँवों में संकेतों के कार्यान्वयन के सत्यापन के बाद, उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्रदान कराने हेतु UNESCO-IOC के पास सिफारिश की।
    • OSDMA की सिफारिशों के आधार पर, UNESCO-IOC द्वारा दोनों गाँवों को ‘सुनामी रेडी’ समुदाय के रूप में मान्यता प्रदान कर दी गई है।
  • इस मान्यता के साथ, भारत हिंद महासागर क्षेत्र में ‘सुनामी रेडी’ को लागू करने वाला पहला देश और ओडिशा पहला राज्य बन गया है।
  • सुनामी रेडी’, UNESCO-IOC का एक सामुदायिक प्रदर्शन-आधारित कार्यक्रम है।

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन-अंतर-सरकारी समुद्र विज्ञान आयोग (UNESCO-IOC):

  • UNESCO का अंतर-सरकारी समुद्र विज्ञान आयोग (Intergovernmental Oceanographic Commission- IOC) संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत समुद्री विज्ञान के प्रति समर्पित एक मात्र सक्षम संगठन है।
    • इसकी स्थापना वर्ष 1960 में UNESCO के कार्यकारी स्वायत्त निकाय के रूप में की गई थी।
  • इसने 26 दिसंबर, 2004 को आई सुनामी के बाद ‘भारतीय समुद्र सुनामी चेतावनी और शमन व्यवस्था’ (Indian Ocean Tsunami Warning and Mitigation System- IOTWMS) की स्थापना में मदद की थी।

उद्देश्य:

  • इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य, सुनामी के दौरान आपातकालीन स्थितियों से निपटने हेतु तटीय समुदाय की तैयारियों में सुधार लाना है। 
  • इससे जन और संपत्ति के नुकसान को कम किया जा सकेगा और UNESCO- IOC की हिंद महासागर सुनामी चेतावनी और शमन प्रणाली के लिये अंतर सरकारी समन्वय समूह (Intergovernmental Coordination Group/Indian Ocean Tsunami Warning and Mitigation System- ICG/IOTWMS) द्वारा निर्धारित सर्वोत्तम अभ्यास संकेतकों को पूरा करने की सामुदायिक तैयारी में एक संरचनात्मक और व्यवस्थित दृष्टिकोण को सुनिश्चित किया जा सकेगा।

कार्यान्वयन एजेंसी:

  • ‘सुनामी रेडी’ और आईओवेव (IOWave) अभ्यासों के कार्यान्वयन को लागू करने और निगरानी के लिये, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा INCOIS के निदेशक की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय बोर्ड की स्थापना की गई है।
  • इस बोर्ड में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences), राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority- NDMA), गृह मंत्रालय, OSDMA, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह आपदा प्रबंधन निदेशालय (Andaman & Nicobar Islands Directorate of Disaster Management- DDM) और INCOIS  के सदस्यों को शामिल किया गया है।

भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र

(Indian National Centre for Ocean Information Services-INCOIS)

  • INCOIS, भारतीय सुनामी प्रारंभिक चेतावनी केंद्र (Indian Tsunami Early Warning Centre- ITEWC) की भारत को सुनामी संबंधित सलाह/सूचना देने हेतु नोडल एजेंसी है। 
    • INCOIS की स्थापना वर्ष 1999 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय के रूप में की गई थी और यह पृथ्वी प्रणाली विज्ञान संगठन की एक इकाई है।
  • INCOIS, UNESCO-IOC द्वारा सौंपी गई ज़िम्मेदारी वाले सुनामी सेवा प्रदाताओं के रूप में, हिंद महासागर क्षेत्र (25 देशों) को सुनामी संबंधी सलाह/सूचना भी प्रदान करता है।
  • लोगों में सुनामी संबंधी जागरूकता के लिये, INCOIS नियमित रूप से तटीय राज्यों और ज़िला स्तरीय आपदा प्रबंधन अधिकारियों (Disaster Management Officials- DMOs) के लिये, सुनामी मानक संचालन प्रक्रिया (Tsunami Standard Operating Procedure- SOP) कार्यशालाओं, प्रशिक्षण सत्रों और सेमिनारों का आयोजन करता है।
  • ITEWC और ICG/IOTWMS के समन्वय से INCOIS में  आईओवेव सुनामी मॉक अभ्यास का भी आयोजन किया जाता है।
  • इसके अलावा आपात स्थितियों से निपटने की क्षमताओं को मज़बूती प्रदान करने के लिये वैकल्पिक वर्षों में गृह मंत्रालय, NDMA तथा राज्य आपदा प्रबंधन एजेंसियों (State Disaster Management Agencies- SDMA) के समन्वय से राष्ट्रीय स्तर पर मॉक अभ्यास का आयोजन किया जाता है।

आगे की राह:

  • यदि सुनामी से जोखिम वाले लोगों को समय पर सटीक चेतावनी प्रदान कर दी जाती है, तो वे जीवन रक्षक उपायों को अपना सकते हैं, इससे नुकसान को कम किया जा सकता है और प्रतिक्रिया में तेज़ी लाई जा सकती है।
  • वैज्ञानिकों और आपातकालीन प्रबंधन अधिकारियों के निरंतर प्रयास के माध्यम से, बेहतर सेंसर, सटीक मॉडल और समवर्ती प्रसार के कई उपायों को अपनाकर, सुनामी की चेतावनी और समय-सीमा में पर्याप्त सुधार किया जा सकता है।
  • हालाँकि जोखिम में रहने वाले क्षेत्र के किसी व्यक्ति के लिये सुनामी के बाद सुरक्षित रहना, उसके द्वारा चेतावनी संकेतों को पहचानने, सही निर्णय लेने और जल्द से जल्द कार्यवाही करने की क्षमता पर निर्भर करता है।

स्रोत: PIB

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