नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


जैव विविधता और पर्यावरण

ध्वनि प्रदूषण पर UNEP की रिपोर्ट

  • 04 Apr 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

वार्षिक फ्रंटियर्स रिपोर्ट 2022, भारत में ध्वनि प्रदूषण और अनुमानित शोर का स्तर।

मेन्स के लिये:

भारत में ध्वनि प्रदूषण और संबंधित कानून तथा मुद्दे।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जारी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम रिपोर्ट जिसका शीर्षक वार्षिक फ्रंटियर्स रिपोर्ट 2022 है, उत्तर प्रदेश राज्य के मुरादाबाद ज़िले के एक शहर के उल्लेख के कारण विवादास्पद हो गई है।

  • फ्रंटियर्स रिपोर्ट तीन पर्यावरणीय मुद्दों की पहचान करती है और समाधान प्रस्तुत करती है जिसमें शामिल हैं: शहरी ध्वनि प्रदूषण, जंगल की आग तथा फेनोलॉजिकल परिवर्तन (Phenological Shifts) जो कि जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जैव विविधता के क्षरण को लेकर इन तीनों र्यावरणीय मुद्दों द्वारा ग्रह के संकट को संबोधित करने हेतु सरकारों व जनता का ध्यान आकर्षित करने तथा कार्रवाई की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

प्रमुख बिंदु

विवाद:

  • यह रिपोर्ट दुनिया भर के कई शहरों में शोर के स्तर के बारे में अध्ययनों को संकलित करती है और 61 शहरों के एक सबसेट और डीबी (डेसीबल) के स्तरों की सीमा को दर्शाती है।
  • दिल्ली, जयपुर, कोलकाता, आसनसोल और मुरादाबाद इस सूची में उल्लिखित पांँच भारतीय शहर हैं।
  • रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद को 29 से 114 तक के dB रेंज के रूप में दर्शाया गया था।
    • 114 के अधिकतम स्तर पर यह सूची में दूसरा सबसे अधिक शोर वाला शहर था।
    • जबकि सड़क यातायात, उद्योग और उच्च जनसंख्या घनत्व उच्च डेसीबल स्तरों से जुड़े जाने-माने प्रमुख कारक हैं, मुरादाबाद को सूची में शामिल करना तर्कसंगत इसलिये नहीं माना गया क्योंकि अतीत में किये गए इसी तरह के अध्ययनों में कभी भी इसे असामान्य रूप से शोर वाले शहर की सूची में शामिल करने का सुझाव नहीं दिया गया था।
  • प्रथम स्थान पर ढाका, बांग्लादेश शामिल था जिसमें डीबी का स्तर 119 से अधिक था।

शोर के स्तर के मापन का महत्त्व:

  • डब्ल्यूएचओ दिशा-निर्देशों को पूरा करना:
    • वर्ष 2018 के विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के नवीनतम दिशा-निर्देशों में 53 डीबी के सड़क यातायात के शोर के स्तर हेतु एक स्वास्थ्य-सुरक्षात्मक सिफारिश प्रस्तुत की थी।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव:
    • फ्रंटियर्स रिपोर्ट ने सार्वजनिक स्वास्थ्य पर शोर के प्रतिकूल प्रभावों सहित कई साक्ष्य संकलित किये जिसमें हल्के और अस्थायी संकट से लेकर गंभीर व पुरानी शारीरिक क्षति तक शामिल है।
      • बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएँ तथा शिफ्ट में कार्य करने वाले कर्मचारियों को शोर-शराबे के कारण नॉइज़ डिस्टर्बेंस का खतरा होता है।
      • शोर-प्रेरित जागरण कई शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तनाव प्रतिक्रियाओं का कारण बन सकता है क्योंकि नींद हार्मोनल विनियमन और हृदय संबंधी कामकाज के लिये आवश्यक होती है।
      • ट्रैफिक शोर हृदय और चयापचय संबंधी विकारों जैसे कि उच्च रक्तचाप, धमनी उच्च रक्तचाप, कोरोनरी हृदय रोग और मधुमेह के विकास हेतु एक ज़ोखिम कारक है।
      • लंबे समय तक पर्यावरण में शोर के संपर्क में रहने से प्रतिवर्ष इस्केमिक हृदय रोग (Ischemic Heart Disease) के 48,000 नए मामले सामने आते हैं जो यूरोप में प्रतिवर्ष 12,000 लोगों की अकाल मृत्यु का कारण बनता है।

ध्वनि प्रदूषण के संदर्भ में भारत का रुख:

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) को अपनी राज्य इकाइयों के माध्यम से ध्वनि के स्तर को ट्रैक करने, मानकों को निर्धारित करने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि अत्यधिक ध्वनि के स्रोतों को नियंत्रित किया जाए।
  • एजेंसी के पास एक मैनुअल मॉनीटरिंग सिस्टम है जिसके अंतर्गत प्रमुख शहरों में सेंसर लगाए जाते हैं तथा कुछ शहरों में वास्तविक समय में शोर के स्तर को ट्रैक करने की सुविधा होती है।

भारत में ध्वनि प्रदूषण से संबंधित कानून:

  • ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 के तहत ध्वनि प्रदूषण को अलग से नियंत्रित किया जाता है।
  • इसके अतिरिक्त पर्यावरण (संरक्षण) नियम, 1986 के तहत मोटर वाहनों, एयर-कंडीशनर, रेफ्रिज़रेटर, डीज़ल जनरेटर और कुछ अन्य प्रकार के निर्माण उपकरणों के लिये ध्वनि मानक निर्धारित किये गए हैं।
  • वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत उद्योगों से होने वाले शोर को राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिये राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड/प्रदूषण नियंत्रण समितियों (SPCBs/ PCCs) द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) किस प्रकार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) से भिन्न है? (2018)

  1. एनजीटी को एक अधिनियम द्वारा स्थापित किया गया है, जबकि सीपीसीबी का गठन सरकार के एक कार्यकारी आदेश द्वारा किया गया है।
  2. एनजीटी पर्यावरणीय न्याय उपलब्ध कराता है और उच्च न्यायालयों में मुकदमों के भार को कम करने में भी मदद करता है, जबकि सीपीसीबी नदियों एवं कुओं की सफाई को प्रोत्साहित करता है तथा इसका उद्देश्य देश में हवा की गुणवत्ता में सुधार करना है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)

  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT):
    • इसकी स्थापना अक्तूबर 2010 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम के अनुसार पर्यावरण संरक्षण और वनों तथा अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी एवं शीघ्र निपटान हेतु की गई थी, जिसमें पर्यावरण से संबंधित किसी भी कानूनी अधिकार को लागू करना और राहत देना शामिल है।
    • एनजीटी का उद्देश्य त्वरित पर्यावरणीय न्याय प्रदान करना और उच्च न्यायालयों में मुकदमेबाज़ी के बोझ को कम करने में मदद करना है।
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB):
    • यह जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत सितंबर 1974 में गठित एक वैधानिक संगठन है।
    • सीपीसीबी के प्रमुख कार्यों, जो कि जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 तथा वायु (प्रदूषण की रोकथाम व नियंत्रण) अधिनियम, 1981 में वर्णित हैं, के तहत विभिन्न क्षेत्रों में नदियों एवं कुओं की सफाई को बढ़ावा देना, जल प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण एवं उपशमन, राज्य तथा देश में वायु की गुणवत्ता में सुधार और वायु प्रदूषण को रोकने, नियंत्रित करने या कम करने संबंधी उपाय करना शामिल है।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow