अंतर्राष्ट्रीय संबंध
जी.एस.टी. के अंतर्गत सेवाओं के लिये चार स्तरीय कर व्यवस्था
- 20 May 2017
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संदर्भ
जी.एस.टी. परिषद द्वारा लिये गए निर्णय के अनुसार, सेवाओं के लिये निर्धारित की गई कर की चार स्तरीय व्यवस्था के अंतर्गत कई सेवाओं पर 18% की दर से कर लगाया जाएगा| इससे उपभोक्तओं को किसी भी सेवा के लिये अतिरिक्त मूल्य नहीं चुकाना पड़ेगा|
प्रमुख बिंदु
- विदित हो कि कर की इन दरों से ई-वाणिज्य पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि सेवा प्रदाताओं को आगत कर ऋण (input tax credit) प्राप्त होगा| किसी भी सेवा के मूल्य में वृद्धि होने पर गैर-मुनाफाखोरी (anti-profiteering clause) क्लॉज़ को भी लागू किया जाएगा|
- वर्तमान में अधिकांश सेवाओं पर 15% की दर से कर लगाया जाता है तथा इस विषय में चिंता बनी हुई है कि जी.एस.टी. के अंतर्गत 18% की दर से कर लगने से सेवाएँ अधिक महँगी हो जाएंगी|
- दरअसल, इस कर व्यवस्था के लागू होने पर कई स्थानीय और राज्य करों (जैसे-मनोरंजन और विलासिता कर) को समाप्त कर दिया जाएगा|
- अब, सवाल यह उठता है कि मौजूदा सेवा और विलासिता कर के कारण सेवाओं के लिये जी.एस.टी. की दर कैसे कम हो सकती है? वस्तुतः भारत को राजस्व तठस्थ दर (revenue-neutral rate) की आवश्यकता है|
- वर्तमान में वस्तुओं और सेवाओं के लिये उपलब्ध कराए जाने वाले आगत कर ऋण के साथ ही प्रभावी कर की दर (effective tax rate) शीर्ष दर (headline rate) की दर से कम होगी|
- वस्तुतः परिषद द्वारा निर्धारित की गई कर प्रणाली में शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और सामान्य रेलवे को जी.एस.टी. के दायरे से बाहर रखा जाएगा| इसके अतिरिक्त, जी.एस.टी. के अंतर्गत अन्य रियायतें भी दी जाएंगी|
- हवाई सेवा, सड़क और रेलवे के माध्यम से वस्तुओं का परिवहन, ए.सी. डिब्बे में रेलवे यात्रा और कैब एग्रीगेटर्स (cab aggregators) पर भी 5% की दर से कर लगाया जाएगा|
- मुख्य आगत कर ऋण पेट्रोलियम से आता है जिसे जी.एस.टी. से बाहर रखा गया है| ऐसे में लोग आगत कर ऋण का दावा नहीं कर सकते हैं|
- काम के कॉन्ट्रैक्ट्स पर और हवाई सेवाओं में बिज़नेस क्लास में यात्रा करने पर 12% की दर से कर लगाया जाएगा|
- होटल और रेस्टोरेंट्स पर उनके द्वारा मुहैया कराई जाने वाली सेवाओं के आधार पर 5% से लेकर 28% की दर तक कर लगाया जाएगा| इनके अतिरिक्त, आईटी, टेलिकॉम और वित्तीय सेवाओं पर 18% जी.एस.टी. लगेगा|
- ग्राहकों का बिल बनाते समय मोबाइल और बीमा कंपनियों से यह अपेक्षा की जाएगी कि वे यह सुनिश्चित करने के लिये कि उन्हें आगत ऋण प्राप्त होगा तथा ग्राहक पर मूल्य का अधिक भार नहीं पड़ेगा, वस्तुओं के मूल्यों का उचित निर्धारण करें|
- पाँच सेवाओं (जैसे- फाइव स्टार होटल और रेस्टोरेंट, सिनेमा, जुआ और घुड़सवारी पर सट्टेबाज़ी) पर उच्च दर से कर लगाया जाएगा|
- राज्य उस सिनेमा पर अतिरिक्त मनोरंजन कर भी लगा सकते हैं जिसका उपयोग स्थानीय निकायों द्वारा किया जाएगा|
- लॉटरी पर कर लगाने का निर्णय अभी नहीं लिया गया है, परन्तु इस बात की पूरी संभावना है कि इस पर कर की उच्च दर आरोपित की जाएगी|
- उल्लेखनीय है कि जी.एस.टी. परिषद की अगली बैठक 3 जून को होगी, जिसमें शेष बची छह वस्तुओं (जैसे- सोना, कृषि उपकरण, बीड़ी, सिगरेट, वस्त्र और जूते) के लिये कर की दर का निर्धारण किया जाएगा|
- साथ ही, अगली बैठक में परिषद जी.एस.टी. के लिये दो नियमों को भी अंतिम रूप देगी तथा जी.एस.टी.एन. की प्रशासनिक तैयारी की भी समीक्षा करेगी| यह नई कर व्यवस्था 1 जुलाई से लागू होगी|
- जी.एस.टी. परिषद ने ई-वाणिज्य के विक्रेताओं पर भी 1% की दर से कर लगाने का निर्णय लिया है| केंद्र और राज्यों में से प्रत्येक ऑनलाइन विक्रेताओं पर 0.5% की दर से कर लगाएंगे|
- जी.एस.टी. कानून में एक प्रावधान है कि ई-वाणिज्य फर्मों पर शुरुआत में ही 2% की दर से कर लगाया जाए|
- वित्त मंत्रालय ने इंडिया इंक को यह चेतावनी दी है कि वह वस्तु और सेवा कर के कारण वस्तुओं के मूल्यों में बढ़ोतरी न करे क्योंकि उनके इस कदम से गैर-मुनाफाखोरी क्लॉज़ का मुद्दा उभर आएगा| दरअसल, वर्तमान में गैर–मुनाफाखोरी प्राधिकरण के लिये कोई व्यवस्था नहीं है परन्तु मूल्यों में किसी भी प्रकार के परिवर्तन से इसके संबंध में प्रश्न उठ सकता है|
- फिलहाल कपनियों को उनकी मूल्य नीतियों का निर्धारण करने के लिये पर्याप्त समय दिया है|
- केंद्र सरकार जल्द ही जी.एस.टी. कानून में प्रस्तावित एक गैर-मुनाफाखोरी एजेंसी की स्थापना करेगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कम्पनियाँ निम्न करों से प्राप्त लाभों को उपभोक्ताओं को दे देंगी| उनके अनुसार, केंद्र सरकार स्वतः ही लाभ में संलग्न फर्मों के विरुद्ध कोई भी कार्यवाही कर सकती है|
- इसके अतिरिक्त, सरकार ने यह भी कहा है कि 18% की उच्च दर के बावजूद सेवा प्रदाताओं को आगत कर ऋण प्राप्त होगा जो जी.एस.टी. के प्रभाव को कम कर देगा|
- हालाँकि, विश्लेषकों का यह मानना है कि उपभोक्तओं को उच्च कर का बोझ नहीं उठाना चाहिये|
- अधिकांश सेवाओं पर 15% की दर से कर लगने के कारण अधिकांश सेवाओं (जैसे-टेलीकॉम) के बिल में 20% की वृद्धि हो जाएगी|
- टेलिकॉम पर 18% की दर से कर लगाने पर उपभोक्ता के खर्च पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा| ध्यातव्य है कि टेलिकॉम एक आवश्यकता है और एक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण बुनियादी सेवा भी|