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डेली अपडेट्स

भारतीय अर्थव्यवस्था

निर्यात में कमी

  • 22 Oct 2019
  • 3 min read

प्रीलिम्स के लिये:

निर्यात को प्रभावित करने वाले कारक

मेन्स के लिये:

संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय

चर्चा में क्यों?

भारत के वस्तु निर्यात में लगातार गिरावट का दौर जारी है। सितंबर 2019 में गिरावट की दर 6.57% थी जबकि इस वित्तीय वर्ष की प्रथम छमाही के दौरान निर्यात में 2.39% की गिरावट आई है।

प्रमुख बिंदु

  • निर्यात में कमी इस बात का संकेत है कि दूसरी तिमाही में भी बाह्य क्षेत्रकों के कारण सकल घरेलू उत्पाद संवृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना बहुत कम है।
  • घरेलू मांग के संकेतक गैर-तेल तथा गैर-स्वर्ण आयातों में लगातार 11वें महीने गिरावट दर्ज की गई है, जो घरेलू मांग में निरंतर कमी को दर्शाता है।
  • रत्न और आभूषण, परिधान एवं चर्म उत्पाद जैसे श्रम-गहन क्षेत्रों के निर्यात में भी गिरावट जारी है।
  • ये सभी प्रवृत्तियाँ कमज़ोर निवेश गतिविधियों और कम अवधि के लिये कमज़ोर आर्थिक परिदृश्य की ओर संकेत करती हैं।
  • IMF ने भी वर्ष 2019 के लिये भारत की आर्थिक संवृद्धि दर के अनुमान को 7% से घटाकर 6.1% कर दिया है।

गिरावट के कारण

  • पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में कमी और समकालिक वैश्विक मंदी इस गिरावट के कारक कहे जा सकते है। क्योंकि इस समयावधि के लिये अन्य देशों का निर्यात भी कमज़ोर ही रहा है।
  • IMF ने भी वैश्विक GDP संवृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 3% कर दिया है।
  • प्रतिस्पर्द्धात्मक क्षमता संबंधी मुद्दे भी निर्यात को प्रभावित करते हैं। वहीँ अधिमूल्यित विनिमय दर एवं जटिल GST प्रक्रिया इस समस्या को और गंभीर कर देती है।
  • आयात में गिरावट भी समान रूप से चिंता का विषय है। इस वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में आयात में 7% की कमी आई जो कि कमज़ोर उपभोक्ता एवं औद्योगिक मांग को इंगित करता है।
  • स्टॉक में कमी और बैंकों द्वारा कम जोखिम वहन करने की प्रवृत्तियों के कारण व्यापारिक क्षेत्र में ऋण प्रवाह में कमी ने गिरावट को तेज़ किया है।

आगे की राह

  • सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिये कई उपायों की घोषणा की है लेकिन ये पर्याप्त नहीं है। वर्तमान में वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी केवल 2% है।
  • सरकार को अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाली संरचनात्मक समस्याओं के समाधान पर ध्यान देना चाहिये।
  • कमज़ोर घरेलू मांग और निवेश के मौजूदा आर्थिक परिवेश में निर्यात संवृद्धि दर को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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