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जैव विविधता और पर्यावरण

बढ़ता-समुद्री-जलस्तर

  • 30 Aug 2019
  • 2 min read

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, महासागरों के बढ़ते जलस्तर के कारण वैश्विक स्तर पर वर्ष 2100 तक 250 मिलियन लोगों के विस्थापित होने की संभावना है।

प्रमुख बिंदु

  • मानव विकास में महासागरों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती हैं लेकिन इनका बढ़ता जलस्तर मानव के लिये गंभीर समस्या उत्पन्न कर सकता है। पर्यावरण में कार्बन के बढ़ते स्तर के कारण महासागरों में इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
  • अंतर-सरकारी जलवायु परिवर्तन पैनल (Intergovernmental Panel on Climate Change) की क्रायोस्फीयर पर प्रस्तुत एक रिपोर्ट के अनुसार, महासागरों में हो रहे इस प्रकार के परिवर्तन से मछलियों के उत्पादन में गिरावट आई है साथ ही बढ़ते जलस्तर से लाखों की संख्या में लोगों के विस्थापित होने की संभावना भी है।
  • मानवीय गतिविधियों के कारण वायुमंडल में कार्बन की बढ़ती मात्रा से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है जिससे उत्तरी गोलार्द्ध में मौजूद परमाफ्रॉस्ट सदी के अंत तक कम-से-कम 30% पिघल जाएंगे।
  • संयुक्त राष्ट्र की ओर से एक वर्ष के भीतर जारी किया गया यह चौथा दस्तावेज़ है, जो ग्लोबल वार्मिंग, जैव विविधता की स्थिति, वनों का प्रबंधन और वैश्विक खाद्य प्रणाली का प्रबंधन करने के लिये 1.5 सेल्सियस कैप (Celsius cap) पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • जलवायु परिवर्तन के कारण वर्ष 2050 तक विश्व, चरम मौसमी जलवायु का अनुभव करेगा साथ ही इससे सबसे ज़्यादा छोटे द्वीपीय राष्ट्र प्रभावित होंगे। यहाँ तक ​​कि अगर विश्व 2 डिग्री सेल्सियस कैप (Celsius cap) का प्रबंधन करता है, तब भी महासागरों का जलस्तर बढ़ने से विश्व के 250 मिलियन से अधिक लोग विस्थापित हो जाएंगे।

स्रोत: द हिंदू

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IPCC रिपोर्ट

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