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जैव विविधता और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र महासागरीय जैविक विविधता संधि पर हस्ताक्षर करेगा

  • 20 Aug 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विशेष आर्थिक क्षेत्र, UNCLOS

मेन्स के लिये:

उच्च समुद्र में समुद्री संरक्षण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने उच्च समुद्रों में समुद्री विविधता के संरक्षण के लिये महासागर की जैविक विविधता पर पहली संधि का मसौदा तैयार करने के लिये अंतर-सरकारी सम्मेलन का आयोजन किया।

  • यह सम्मेलन अमेरिका के न्यूयॉर्क में आयोजित किया गया था।
  • इन क्षेत्रों में समुद्री जैविक विविधता के संरक्षण और सतत् उपयोग पर वर्ष 1982 के संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून अभिसमय (UNCLOS) के तहत अंतर्राष्ट्रीय कानून का मसौदा तैयार करने के लिये वर्ष 2018 में सम्मेलनों की एक शृंखला शुरू की गई थी।

नई संधि

  • संधि समुद्र के उन क्षेत्रों में समुद्री जैव विविधता के संरक्षण और सतत् उपयोग को संबोधित करेगी जो राष्ट्रीय समुद्री क्षेत्रों की सीमा से परे हैं।
  • यह समझौता उन कंपनियों के अधिकारों पर निर्णय करेगा जो समुद्र में जैविक संसाधनों की खोज का काम करती हैं।
  • जैव प्रौद्योगिकी और आनुवंशिक इंजीनियरिंग में प्रगति के साथ, कई कंपनियाँ विदेशी सूक्ष्म जीवों और अन्य जीवों में संभावनाएँ तलाश रही हैं, इनमें से कई अज्ञात हैं जो गहरे समुद्र में रहते हैं और दवाओं के टीकों और विभिन्न प्रकार के वाणिज्यिक अनुप्रयोगों के लिये इनका इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • चूंँकि समुद्री जीवन पहले से ही औद्योगिक स्तर पर मत्स्य उत्पादन, जलवायु परिवर्तन और अन्य निष्कर्षण उद्योगों के प्रभाव से जूझ रहा है, इसलिये यह संधि महासागरों की सुरक्षा का एक प्रयास है।

उच्च समुद्र:

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  • देश अपनी तटरेखाओं तक 200 समुद्री मील (370 किलोमीटर) के भीतर समुद्री सीमा में सुरक्षा या दोहन कार्य कर सकते हैं, लेकिन इन ‘विशेष आर्थिक क्षेत्र’ के बाहर का सारा अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र उच्च समुद्र माना जाता है।
  • उच्च समुद्र पृथ्वी के महासागरों का दो-तिहाई हिस्सा बनाते हैं जो जीवन के लिये उपलब्ध आवास का 90 प्रतिशत प्रदान करते हैं और मत्स्य पालन में प्रति वर्ष 16 बिलियन अमेरीकी डॉलर तक का योगदान करते हैं।
  • ये मूल्यवान खनिज, फार्मास्यूटिकल्स, तेल और गैस भंडार की खोज के लिये भी प्रमुख क्षेत्र हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय कानून चार ग्लोबल कॉमन्स की पहचान करता है:
    • उच्च समुद्र, वायुमंडल, अंटार्कटिका, बाहरी अंतरिक्ष।
    • ग्लोबल कॉमन्स उन संसाधन क्षेत्र को संदर्भित करता है जो किसी एक राष्ट्र की राजनीतिक पहुँच से बाहर हैं।

वर्तमान में उच्च समुद्र का विनियमन:

  • समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCLOS) समुद्र तल खनन और केबल बिछाने सहित अंतर्राष्ट्रीय जल में गतिविधियों को नियंत्रित करता है।
  • यह समुद्र और उसके संसाधनों के उपयोग के लिये नियम निर्धारित करता है, लेकिन यह निर्दिष्ट नहीं करता है कि राज्यों को उच्च समुद्र जैविक विविधता का संरक्षण एवं स्थायी रूप से कैसे उपयोग करना चाहिये।
  • महासागरों में जैव विविधता की रक्षा या संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण के लिये कोई व्यापक संधि मौजूद नहीं है।

संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS)

  • 'लॉ ऑफ द सी ट्रीटी' को औपचारिक रूप से समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCLOS) के रूप में जाना जाता है, जिसे वर्ष 1982 में महासागर क्षेत्रों पर अधिकार सीमा निर्धारित करने के लिये अपनाया गया था।
  • सम्मेलन आधार रेखा से 12 समुद्री मील की दूरी को प्रादेशिक समुद्र सीमा के रूप में और 200 समुद्री मील की दूरी को विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र सीमा के रूप में परिभाषित करता है।
  • यह विकसित देशों से अविकसित देशों को प्रौद्योगिकी और धन हस्तांतरण तथा समुद्री प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये पार्टियों को नियमों और कानूनों को लागू करने का प्रावधान करता है।
  • भारत ने वर्ष 1982 में UNCLOS पर हस्ताक्षर किया।
  • UNCLOS ने तीन नए संस्थान:
    • समुद्री कानून के लिये अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण: यह एक स्वतंत्र न्यायिक निकाय है जिसकी स्थापना UNCLOS द्वारा अभिसमय से उत्पन्न होने वाले विवादों को सुलझाने के लिये की गई है।
    • अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण: यह महासागरों के समुद्री निर्जीव संसाधनों की खोज और दोहन को विनियमित करने के लिये स्थापित एक संयुक्त राष्ट्र निकाय है।
    • महाद्वीपीय शेल्फ की सीमाओं पर आयोग: यह 200 समुद्री मील से परे महाद्वीपीय शेल्फ की बाहरी सीमाओं की स्थापना के संबंध में समुद्री कानून (अभिसमय) पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय के कार्यान्वयन की सुविधा प्रदान करता है।

स्रोत: द हिंदू

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