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जैव विविधता और पर्यावरण

पारिस्थितिक तंत्र पुनर्बहाली पर यूएन दशक: रणनीति

  • 16 Mar 2020
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

UN दशक 2021-30 

मेन्स के लिये:

पारिस्थितिक तंत्र पुनर्बहाली हेतु रणनीति 

चर्चा में क्यों?

हाल में संयुक्त राष्ट्र संघ ने ‘पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक’ 2021-30 में व्यापक राजनीतिक समर्थन तथा वैज्ञानिक अनुसंधान एवं वित्तीय सहायता में वैश्विक सहयोग की उम्मीद जाहिर की है। 

मुख्य बिंदु:

  • मार्च 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2021–30 के दशक को ‘पारिस्थितिक तंत्र पुनर्बहाली पर यूएन दशक’ घोषित कियासंयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम’ (United Nations Environment Programme- UNEP) एवं ‘खाद्य और कृषि संगठन’ (Food and Agriculture Organization- FAO) इसके सह-नेतृत्वकर्त्ता हैं।
  • दशक की रणनीति में विज़न, उद्देश्य, संगठनों की भूमिका और ज़िम्मेदारियाँ, सफल पुनर्बहाली का निगरानी तंत्र,  वित्तपोषण के साधन आदि को मार्च 2019 और जनवरी 2020 के बीच 25 से अधिक कार्यशालाओं, बैठकों, सम्मेलनों में विभिन्न हितधारकों के परामर्श से विकसित किया गया।

विज़न (Vision):

  • दशक के लिये एक ऐसे विश्व का निर्माण करना, जहाँ वर्तमान तथा भविष्य में पृथ्वी के सभी जीवों के स्वास्थ्य और कल्याण हेतु मनुष्यों और प्रकृति के बीच संबंधों को बहाल करना तथा स्वस्थ पारिस्थितिक तंत्र के क्षेत्र में वृद्धि करना, पर्यावरण के नुकसान व गिरावट में कमी लाना है।

मुख्य लक्ष्य (Goals):

  • वैश्विक, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और स्थानीय प्रतिबद्धताओं को बढ़ाना ताकि पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण के निरोध, ठहराव तथा उत्क्रमित करने ( Prevent, Halt and Reverse) में मदद मिल सके।
  •  शिक्षा प्रणालियों तथा सभी सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों की निर्णय प्रक्रिया में पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्बहाली की समझ विकसित करना तथा लागू करना।

उठाए जाने वाले कदम:

  • इस विज़न को पूरा करने के लिये संपूर्ण वैश्विक समुदाय के बीच सहयोग की आवश्यकता है। ऐसे में विभिन्न देशों की सरकारों से अपेक्षा की जाती है कि वे पुनर्बहाली प्रयासों को लागू करने के लिये राष्ट्रीय बजट बनाएँ।
  • गैर-सरकारी संगठनों को स्थानीय समुदायों की क्षमता-निर्माण की दिशा में कार्य करना होगा।
  • संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियाँ विभिन्न हितधारकों के बीच समन्वय तथा पुनर्बहाली उपायों को राष्ट्रीय लेखांकन एवं स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल करने का कार्य करेंगी।
  • शिक्षाविदों से पुनर्बहाली उपायों की निगरानी के लिये ऑन-द-ग्राउंड डेटा एकत्रित करने के लिये रिमोट सेंसिंग आधारित प्रणाली की दिशा में शोध कार्य करने हेतु कहा जाएगा।
  • स्थानीय लोगों, महिलाओं, युवाओं के समूहों तथा नागरिक समाज से व्यापक स्तर पर परामर्श किया जाएगा तथा पारिस्थितिक तंत्र में पुनर्बहाली प्रयासों को ज़मीनी स्तर पर तैयार करके लागू किया जाएगा।
  • अन्य पहलों में स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र को बहाल करना, कृषि-पारिस्थितिक प्रणालियों को लागू करना, स्थानीय गैर-सरकारी संगठन बनाना आदि कार्य शामिल होंगे।

स्रोत: द हिंदू

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