इज़रायल से इरिट्रियावासियों के निर्वासन पर संयुक्त राष्ट्र की चिंता | 09 Sep 2023
प्रिलिम्स के लिये:अंतर्राष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR), प्रिंसिपल ऑफ नॉन-रिफाउलमेंट: मेन्स के लिये:शरणार्थी अधिकारों में अंतर्राष्ट्रीय कानून का महत्त्व |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
तेल अवीव में इरिट्रिया समुदाय के प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच हिंसक झड़पों के बाद संयुक्त राष्ट्र ने इज़रायल से इरिट्रिया में शरण चाहने वालों के संभावित बड़े पैमाने पर निर्वासन पर अपनी चिंता व्यक्त की है।
- संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने कहा कि पुनर्वसन का ऐसा कार्य अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन होगा।
संयुक्त राष्ट्र की चिंता को प्रेरित करना:
- संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (United Nations Refugee Agency- UNHCR) ने कहा कि वह उन झड़पों के बारे में "अत्यधिक चिंतित" है जो उस समय हुईं जब इरिट्रिया सरकार के एक कार्यक्रम के खिलाफ किया जा रहा प्रदर्शन हिंसक हो गया।
- UNHCR ने शांति का आह्वान किया और इसमें शामिल सभी पक्षों से ऐसे कार्यों से दूर रहने का आग्रह किया जो स्थिति को और गंभीर बना सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR):
- संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) का कार्यालय वर्ष 1950 में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उन लाखों यूरोपीय लोगों की सहायता के लिये बनाया गया था जो भाग गए थे या अपने घर खो चुके थे।
- वर्ष 1954 में UNHCR ने यूरोप में अपने अभूतपूर्व कार्य के लिये नोबेल शांति पुरस्कार जीता। लेकिन हमें अपनी अगली बड़ी आपात स्थिति का सामना करने में ज्यादा समय नहीं लगा।
- वर्ष 1981 में शरणार्थियों के लिये विश्वव्यापी सहायता हेतु इसे दूसरा नोबेल शांति पुरस्कार मिला।
शरणस्थल और निर्वासन पर अंतर्राष्ट्रीय कानून एवं नीति:
- इरिट्रिया निर्वासन और अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन:
- गैर-वापसी का सिद्धांत:
- गैर-वापसी का सिद्धांत (1951 शरणार्थी सम्मेलन और इसका 1967 प्रोटोकॉल) अंतर्राष्ट्रीय कानून में एवं विशेष रूप से शरणार्थी कानून के संदर्भ में एक अच्छी तरह से स्थापित अवधारणा है।
- अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के तहत, गैर-वापसी का सिद्धांत यह गारंटी देता है कि किसी को भी ऐसे देश में वापस नहीं भेजा जाना चाहिये जहाँ उन्हें यातना, क्रूर, अमानवीय, या अपमानजनक स्थिति या सज़ा तथा अन्य अपूरणीय क्षति का सामना करना पड़ेगा।
- इज़रायल इन संधियों का एक पक्षकार है और अपने क्षेत्र अथवा प्रभावी नियंत्रण के भीतर शरणार्थियों तथा शरण चाहने वालों के सम्मान, सुरक्षा और अधिकारों को पूरा करना उसका दायित्त्व है।
- यदि इज़रायल इरिट्रियावासियों को निष्कासित करता है, तो यह गैर-वापसी के सिद्धांत का उल्लंघन होगा, क्योंकि इरिट्रिया को विश्व के सबसे सत्तावादी राज्यों में से एक माना जाता है, जहाँ मानवाधिकारों का उल्लंघन का परिणाम व्यापक और गंभीर है।
- अपने मूल देश में वापस लौटे इरिट्रियावासियों को यातना, दुर्व्यवहार, राजनीतिक दमन और यहाँ तक कि मौत का सामना करना पड़ सकता है।
- गैर-वापसी का सिद्धांत (1951 शरणार्थी सम्मेलन और इसका 1967 प्रोटोकॉल) अंतर्राष्ट्रीय कानून में एवं विशेष रूप से शरणार्थी कानून के संदर्भ में एक अच्छी तरह से स्थापित अवधारणा है।
- शरण का अधिकार:
- शरण का अधिकार मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा द्वारा मान्यता प्राप्त एक मौलिक मानव अधिकार है।
- शरण के अधिकार का तात्पर्य यह है कि प्रत्येक व्यक्ति को अन्य देशों में उत्पीड़न से सुरक्षा पाने का अधिकार है।
- इरिट्रियावासियों को सामूहिक रूप से निष्कासित करके, इज़रायल शरण के अधिकार का उल्लंघन करेगा, क्योंकि ऐसे में उनका इज़रायल या अन्य सुरक्षित देशों में उत्पीड़न से सुरक्षा पाना असंभव हो जाएगा।
- गैर-वापसी का सिद्धांत:
नोट:
- भारत, शरणार्थी कन्वेंशन- 1951 और उसके प्रोटोकॉल- 1967 जो अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत शरणार्थी संरक्षण से संबंधित प्रमुख कानूनी दस्तावेज हैं, का पक्षकार नहीं है।
- इसके अलावा, संविधान के अनुच्छेद 21 में गैर-वापसी का अधिकार शामिल है।
- हालाँकि, शरणार्थी और शरण विधेयक, 2019 को राज्यसभा में पेश किया गया था, लेकिन अभी तक संसद द्वारा पारित नहीं किया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय कानून:
- परिचय:
- वर्ष 1780 में जेरेमी बेंथम द्वारा बनाया गया।
- यह देशों (राष्ट्रों) के बीच संबंधों को नियंत्रित करता है।
- इसका उद्देश्य नागरिकों को लाभ पहुँचाना और मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देना है।
- यह सहयोग और शांतिपूर्ण तरीकों से अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का समाधान करता है।
- लक्ष्य:
- मौलिक मानवीय अधिकारों की रक्षा करना।
- इसका उद्देश्य नागरिकों को लाभ पहुँचाना और मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देना।
- सहयोग और शांतिपूर्ण तरीकों से अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का समाधान करना।
- अंतर्राष्ट्रीय कानून के विषय:
- व्यक्ति: किसी भी राज्य के आम लोग।
- अंतर्राष्ट्रीय संगठन: उदाहरण संयुक्त राष्ट्र।
- बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ: कई देशों में कार्य करती हैं।
इरिट्रिया के बारे में महत्त्वपूर्ण तथ्य:
- इरिट्रिया हॉर्न ऑफ अफ्रीका में एक देश है, जो लाल सागर के तट पर स्थित है।
- राजधानी: अस्मारा।
- यह इथियोपिया, सूडान और जिबूती के साथ स्थल-सीमा साझा करता है।
- सऊदी अरब और यमन के साथ यह समुद्री सीमाएँ साझा करता है।
- पूर्व में यह एक इतालवी उपनिवेश था जो वर्ष 1947 में इथियोपिया के साथ एक संघ का हिस्सा बन गया, वर्ष 1952 में इरिट्रिया को इथियोपिया ने अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद वर्ष 1993 में यह स्वतंत्र हुआ।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्र. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2011)
उपरोक्त में से कौन-सा/से "मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा" के तहत मानव अधिकार है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. "शरणार्थियों को उस देश में वापस नहीं भेजा जाना चाहिये जहाँ उन्हें उत्पीड़न या मानवाधिकार उल्लंघन का सामना करना पड़ेगा।" खुले समाज के साथ लोकतांत्रिक होने का दावा करने वाले राष्ट्र द्वारा उल्लंघन किये जा रहे नैतिक आयाम के संदर्भ में इस कथन का परीक्षण कीजिये। (2021) |