उइगर मुस्लिम | 11 Mar 2021

चर्चा में क्यों?

हाल ही में तुर्की में कई सौ उइगर मुस्लिम महिलाओं ने चीन के साथ तुर्की के प्रत्यर्पण समझौते के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर विरोध प्रदर्शन किया और चीन के शिनजियांग प्रांत में बड़े पैमाने पर बने शिविरों को जल्द-से-जल्द बंद करने की मांग की।

  • इससे पहले वर्ष 2020 में अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेज़ेंटेटिव्स ने उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न के लिये ज़िम्मेदार चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने हेतु एक कानून को मंज़ूरी दी थी।

Uighur-Muslims

प्रमुख बिंदु

उइगर मुस्लिम

  • उइगर मुख्य रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यक तुर्क जातीय समूह हैं, जिनकी उत्पत्ति मध्य एवं पूर्वी एशिया से मानी जाती है।
    • उइगर अपनी स्वयं की भाषा बोलते हैं, जो कि काफी हद तक तुर्की भाषा के समान है और उइगर स्वयं को सांस्कृतिक एवं जातीय रूप से मध्य एशियाई देशों के करीब पाते हैं।
  • उइगर मुस्लिमों को चीन में आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त 55 जातीय अल्पसंख्यक समुदायों में से एक माना जाता है।
  • हालाँकि चीन उइगर मुस्लिमों को केवल एक क्षेत्रीय अल्पसंख्यक के रूप में मान्यता देता है और यह अस्वीकार करता है कि वे स्वदेशी समूह हैं।
  • वर्तमान में उइगर जातीय समुदाय की सबसे बड़ी आबादी चीन के शिनजियांग क्षेत्र में रहती है।
    • उइगर मुस्लिमों की एक महत्त्वपूर्ण आबादी पड़ोसी मध्य एशियाई देशों जैसे- उज़्बेकिस्तान, किर्गिज़स्तान और कज़ाखस्तान में भी रहती है।
    • शिनजियांग तकनीकी रूप से चीन के भीतर एक स्वायत्त क्षेत्र है और यह क्षेत्र खनिजों से समृद्ध है तथा भारत, पाकिस्तान, रूस और अफगानिस्तान सहित आठ देशों के साथ सीमा साझा करता है।

उइगरों का उत्पीड़न

  • पिछले कुछ दशकों में चीन के शिनजियांग प्रांत की आर्थिक समृद्धि में काफी बढ़ोतरी हुई है और इसी के साथ इस प्रांत में चीन के हान समुदाय के लोगों की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई है, जो कि इस क्षेत्र में बेहतर रोज़गार कर रहे हैं जिसके कारण उइगर मुस्लिमों के समक्ष आजीविका एवं अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो गया है।
    • इसी वजह से वर्ष 2009 में दोनों समुदायों के बीच हिंसा भी हुई, जिसके कारण शिनजियांग प्रांत की राजधानी उरुमकी में 200 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें से अधिकतर चीन के हान समुदाय से संबंधित थे। 
  • दशकों से शिनजियांग प्रांत के उइगर मुस्लिम, आतंकवाद और अलगाववाद संबंधी झूठे आरोपों के कारण उत्पीड़न, ज़बरन नज़रबंदी, गहन जाँच, निगरानी और यहाँ तक ​​कि गुलामी जैसे तमाम तरह के दुर्व्यवहारों का सामना कर रहे हैं।
    • चीन ने अपने शिविरों और प्रशिक्षण केंद्रों में हज़ारों उइगर मुस्लिमों को ज़बरन कैद कर रखा है, हालाँकि चीन इन शिविरों को ‘शैक्षिक केंद्र’ के रूप में प्रस्तुत करता रहा है, उसका कहना है कि यहाँ उइगरों को ‘चरमपंथी विचारों’ और ‘कट्टरपंथीकरण’ से बाहर निकलने तथा पेशेवर कौशल प्रदान करने का कार्य किया जा रहा है।
  • चीन का दावा है कि उइगर समूह एक स्वतंत्र राज्य स्थापित करना चाहते हैं और पड़ोसी क्षेत्रों के साथ उइगरों समुदाय के सांस्कृतिक संबंधों के कारण चीन के प्रतिनिधियों को भय है कि कुछ बाहरी शक्तियाँ शिनजियांग प्रांत में अलगाववादी आंदोलन को जन्म दे सकती हैं।

चीन की प्रत्यर्पण संधि

  • दिसंबर 2020 में चीन ने तुर्की के साथ एक प्रत्यर्पण संधि को मंज़ूरी दी थी, जिसका उद्देश्य आतंकवादियों सहित अंतर्राष्ट्रीय अपराधियों पर कार्रवाई हेतु न्यायिक सहयोग को मज़बूत करना था।
    • प्रत्यर्पण किसी देश द्वारा अपनाई जाने वाली औपचारिक प्रक्रिया है जो किसी व्यक्ति को दूसरे देश में अभियोजन के लिये आत्मसमर्पण करने या प्रार्थी देश के अधिकार क्षेत्र में अपराध करने वाले व्यक्ति पर अभियोग चलाने की अनुमति प्रदान करती है।
  • यह प्रत्यर्पण समझौता ऐसे समय पर किया गया, जब तुर्की और चीन के बीच आर्थिक एवं वित्तीय संबंध काफी मज़बूत हो रहे हैं। 
    • चीन, तुर्की के लिये कोरोना वायरस वैक्सीन का प्रमुख आपूर्तिकर्त्ता है। 
  • 1990 के बाद से तुर्की में उइगर प्रवासी और अधिक जीवंतता के साथ प्रदर्शनों, सम्मेलनों एवं बैठकों आदि के माध्यम से विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। 
  • उइगर मुस्लिमों से संबंधित चिंताएँ 
    • यदि तुर्की संधि की पुष्टि करता है, तो यह संधि तुर्की में उइगर मुस्लिमों और उनकी संस्कृति पर काफी प्रतिकूल प्रभाव डालेगी, क्योंकि इससे उइगर प्रवासियों का आंदोलन कमज़ोर हो जाएगा। 
    • यह संधि उइगर अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न करने और उनके विरुद्ध मुकदमा चलाने के लिये चीन को एक नया उपकरण प्रदान करेगी।

भारत का पक्ष

  • भारत सरकार ने उइगर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचारों और उनके उत्पीड़न को लेकर अभी तक कोई विशिष्ट एवं औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

आगे की राह

  • सभी देशों को उइगर मुस्लिमों को लेकर अपनी स्थिति पर पुनर्विचार करना चाहिये और शिनजियांग प्रांत में मुस्लिमों के साथ हो रहे उत्पीड़न को रोकने के लिये चीन से तत्काल आग्रह करना चाहिये।
  • चीन को अपने पेशेवर प्रशिक्षण केंद्रों को बंद करना चाहिये और धार्मिक एवं राजनीतिक कैदियों को जेलों व शिविरों से रिहा करना चाहिये। चीन को सही मायने में बहुसंस्कृतिवाद की अवधारणा को अपनाना चाहिये और उइगरों तथा चीन के अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को चीन के सामान्य नागरिक की तरह स्वीकार करना चाहिये। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस