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उदय योजना

  • 24 Dec 2019
  • 9 min read

प्रीलिम्स के लिये

उदय योजना

मेन्स के लिये

देश में विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने में उदय योजना की भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन 

संदर्भ:

वर्ष 2015 में लॉन्च की गई उदय योजना (Ujwal Discom Assurance Yojana- UDAY) अपनी प्रारंभिक सफलताओं के बाद डिस्कॉम्स (Electricity Distribution Companies- Discoms) या विद्युत वितरण कंपनियों के लिये अब लाभप्रद साबित नहीं हो रही है।

मुख्य बिंदु:

  • नवंबर 2015 में उदय योजना लागू होने के बाद वित्तीय वर्ष 2016 में डिस्कॉम्स का घाटा 51,562 करोड़ रुपए था, जबकि वित्तीय वर्ष 2018 में यह घाटा 15,132 करोड़ रुपए रह गया।
  • लेकिन वित्तीय वर्ष 2019 के सितंबर महीने तक के प्राप्त आँकड़ों के अनुसार यह 28,036 करोड़ रुपए हो गया।
  • यह आँकड़ा प्रदर्शित करता है कि डिस्कॉम्स अपनी औसत आपूर्ति लागत (Average Cost of Supply) तथा औसत राजस्व प्राप्ति (Average Realisable Revenue) के अंतर को कम करने में असफल रही हैं।
  • इसके अलावा ये कंपनियाँ वित्तीय वर्ष 2019 के कुल तकनीकी तथा वाणिज्यिक (Aggregate Technical and Commercial- AT&C) नुकसान के लक्ष्य को 15% से कम करने में भी असफल रही हैं।
  • 28 राज्यों में से केवल सात राज्य ही AT&C नुकसान में कमी के लक्ष्य को प्राप्त कर सके हैं।
  • हालाँकि इस योजना का सकारात्मक पक्ष यह था कि देश के 28 राज्यों ने उदय योजना को लागू किया लेकिन वित्तीय वर्ष 2019 में केवल 10 राज्यों ने इस घाटे में कमी की है अथवा लाभ प्राप्त किया है। इसके अलावा अन्य राज्य भी ACS और ARR अंतर को कम करने में सफल रहे हैं परंतु वे निर्धारित लक्ष्यों से काफी पीछे हैं।
  • डिस्कॉम्स की विद्युत आपूर्ति की लागत तथा उपभोक्ताओं से प्राप्त बिलों में 1.5 लाख करोड़ रुपए का अंतर है। राज्यों द्वारा वितरण सुविधाओं में लगभग 85,000-90,000 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता देने के बावजूद भी यह अंतर लगातार बढ़ रहा है।

uday

  • दिसंबर 2017 तक केवल चार राज्य- हिमाचल प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र तथा कर्नाटक ही ACS और ARR के अंतर को शून्य से कम कर सके, जबकि अन्य राज्यों का अंतर 0.01 रुपए प्रति यूनिट से 2.13 रुपए प्रति यूनिट के बीच दर्ज़ किया गया।
  • सरकार के ‘प्राप्ति’ वेब पोर्टल (Payment Ratification and Analysis in Power Procurement for bringing Transparency in Invoicing of Generators- PRAAPTI) के अनुसार, विद्युत उत्पादक कंपनियों के पास डिस्कॉम्स का बकाया वर्ष 2019 में 81,964 करोड़ रुपए हो गया जो कि वर्ष 2018 में 54,664 करोड़ रुपए था।

योजना की विफलता के कारण:

  • राज्यों द्वारा टैरिफ वृद्धि में देरी की वजह से डिस्कॉम्स ACS और ARR के अंतर को समाप्त नहीं कर सके।
  • उदय योजना की असफलता का कारण इस योजना में दक्षता का अभाव था क्योंकि इसके प्रारंभिक चरण में वित्तीय मदद तथा वित्तीय अनुप्रयोगों के माध्यम से कुछ लक्ष्य प्राप्त किये गए परंतु लंबी अवधि तक इस सफलता को बनाए रखने में यह योजना विफल रही।
  • इसकी सबसे बड़ी समस्या यह थी कि शुरूआती कुछ समय तक डिस्कॉम्स के बकाये की राशि में कुछ कमी हुई लेकिन उसके बाद इसमें तीव्र वृद्धि होती गयी। जिससे स्पष्ट हो गया कि यह योजना प्रारंभिक सफलताओं के बाद इसका प्रभाव कम होता जा रहा है।
  • उदय योजना की समस्या यह भी है कि डिस्कॉम्स विद्युत खरीद की अपनी कुल लागत की वसूली करने में असमर्थ रहीं।
  • उदय योजना मार्च 2020 में समाप्त हो रही है और उदय योजना के तहत ज़ारी बॉण्ड पर देय ब्याज दर (Coupon Rate), राज्यों द्वारा विकास कार्यों हेतु लिये गए ऋणों पर ब्याज दर की तुलना में अधिक होने की वजह से उदय योजना अपनाने वाले राज्यों के लिये ऋण शोधन (Debt Servicing) की लागत में अधिक वृद्धि हुई है।

राज्य विकास ऋण बॉण्ड (State Development Loan Bond):

  • राज्यों द्वारा विकास कार्यों के वित्तपोषण हेतु बाज़ार में जारी किये गए बॉण्ड को SDL बॉण्ड कहते हैं। SDL बॉण्ड एक दिनांकित प्रतिभूति (Dated Securities) है जिसे सामान्य नीलामी प्रक्रिया के तहत जारी किया जाता है।

इसके प्रभाव:

  • वर्तमान में अधिकांश राज्य मंदी के दौर से गुज़र रहे हैं। इस परिस्थिति में उदय बॉण्डों पर दिये जाने वाले ब्याज की भुगतान तथा इन बॉण्डों के शोधन के कारण राज्यों की वित्तीय स्थिति पर वर्ष 2020 के बाद भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार, वर्ष 2015-16 से राज्यों के ऋणों में वृद्धि दर लगातार दहाई अंक में बनी हुई है जिससे ऋण-जीडीपी अनुपात (Debt-GDP Ratio) में वृद्धि हो रही है। इसके अलावा वर्ष 2019-20 के दौरान 16 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में ऋण-जीएसडीपी अनुपात (Debt-GSDP Ratio) में और अधिक वृद्धि होने की संभावना है।

उदय (UDAY) योजना क्या है?

  • 05 नवंबर, 2015 को भारत सरकार के विद्युत् मंत्रालय (Ministry of Power) द्वारा उज्ज्वल डिस्कॉम्स एश्योरेंस योजना या ‘उदय’ प्रारंभ की गई।
  • उदय को डिस्कॉम्स की वित्‍तीय तथा परिचालन क्षमता में सुधार लाने के लिये शुरू किया गया था।
  • इस योजना में ब्‍याज भार, विद्युत लागत और AT&C को कम करने का प्रावधान किया गया ताकि डिस्कॉम्स लगातार 24 घंटे पर्याप्‍त तथा विश्‍वसनीय विद्युत की आपूर्ति में समर्थ हों।
  • उदय योजना के निम्नलिखित चार उद्देश्य हैं–
  • बिजली वितरण कंपनियों की परिचालन क्षमता में सुधार।
  • बिजली की लागत में कमी।
  • वितरण कंपनियों की ब्याज लागत में कमी।
  • राज्य वित्त आयोग के साथ समन्वय के माध्यम से डिस्कॉम्स पर वित्तीय अनुशासन लागू करना।

आगे की राह:

  • उदय या किसी अन्य योजना की सफलता के लिये आवश्यक है कि इसके निर्माण में दक्षता हो ताकि लंबी अवधि तक उसकी धारणीयता बनी रहे।
  • उदय योजना के तहत अधिक लाभ प्राप्त करने या घाटे को कम करने के लिये टैरिफ में वृद्धि की गई जिससे योजना के सफल क्रियान्वयन में समस्या उत्पन्न हुई। अतः टैरिफ में वृद्धि के स्थान पर डिस्कॉम्स की AT&C में कमी करने की कोशिश की जाए, बिलिंग तथा वसूली प्रक्रिया में सुधार किया जाए ताकि ये लाभ की स्थिति में रहें।
  • वित्तीय वर्ष 2019 में डिस्कॉम्स को हुए घाटे की वजह से यह आवश्यक है कि इसके स्थान पर एक नई योजना लागू की जाए जिसमें उदय योजना में निहित कमियों को दूर किया जा सके।
  • यदि डिस्कॉम्स अपने घाटे को नियंत्रित करने में सक्षम हैं तो उन्हें सरकारी क्षेत्र में रखा जाए अथवा निजी क्षेत्रों की भागीदारी बढ़ाने के लिये उन्हें पीपीपी (Public Private Partnership- PPP) मॉडल के तहत लाया जाए।
  • उदय योजना के स्थान पर किसी नई योजना के क्रियान्वयन हेतु आवश्यक है कि उसे केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय मदद दी जाए जिसका प्रावधान उदय योजना के तहत नहीं था।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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