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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-अमेरिका की आगामी 2+2 मंत्री स्तरीय वार्ता

  • 18 Sep 2020
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

2+2 मंत्री स्तरीय वार्ता, क्वाड 

मेन्स के लिये:

भारत-अमेरिका 2+2 मंत्री स्तरीय वार्ता का महत्त्व, भारत-चीन तनाव में अमेरिकी सहयोग की भूमिका

चर्चा में क्यों?

अमेरिका द्वारा भारत-अमेरिका की आगामी 2+2 मंत्री स्तरीय वार्ता के दौरान दोनों देशों के बीच ‘भू-स्थानिक सहयोग के लिये बुनियादी विनिमय तथा सहयोग समझौते’ (Basic Exchange and Cooperation Agreement for Geo-Spatial cooperation- BECA) पर हस्ताक्षर की इच्छा ज़ाहिर की गई है।

प्रमुख बिंदु:

  • भारत-अमेरिका की आगामी 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता का आयोजन अक्तूबर माह के अंत तक किये जाने का अनुमान है। 
  • भारत द्वारा इस संदर्भ में अपने सुझावों के साथ BECA का एक मसौदा अमेरिका को भेज दिया गया है। 
  • BECA, भारत को स्वचालित हार्डवेयर सिस्टम और हथियार जैसे क्रूज़ और बैलिस्टिक मिसाइलों से सटीक हमले के लिये अमेरिकी भू-स्थानिक मानचित्रों का उपयोग करने की अनुमति प्रदान करेगा। 
  • गौरतलब है कि भारत-अमेरिका मंत्रिस्तरीय 2+2 वार्ता में दोनों देशों के विदेश मंत्री  और रक्षा मंत्री भाग लेते हैं। 

अन्य महत्वपूर्ण समझौते

  • भारत और अमेरिका के बीच एक अन्य समुद्री सूचना समझौते को लागू करने का प्रयास किया जा रहा है।
  • अमेरिका के साथ इस समझौते के लागू होने के बाद भारत द्वारा क्वाड (QUAD) के अन्य देशों ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ भी ऐसा समझौता लागू किया जाएगा। 

भारत अमेरिका रक्षा साझेदारी:

वर्ष 2016 के बाद से भारत और अमेरिका में तीन महत्त्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए हैं।

  • लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ एग्रीमेंट (Logistics Exchange Memorandum of Agreement- LEMOA):  
    • भारत और अमेरिका के बीच वर्ष 2016 में इस समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे, यह समझौता दोनों देशों के रक्षा बलों को एक-दूसरे की सुविधाओं का उपयोग करने की अनुमति देता है। साथ ही उनके लिये रसद और सेवाओं की पहुंच को आसान बनाता है। 
  • संचार संगतता और सुरक्षा समझौता (Communications Compatibility and Security Agreement- COMCASA): 
    • भारत और अमेरिका के बीच वर्ष 2018 में इस समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे, यह समझौता अमेरिका द्वारा भारत को उन्नत संचार उपकरण स्थानांतरित करने की अनुमति देता है। ये उपकरण दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच डेटा और वास्तविक समय की जानकारी के सुरक्षित प्रसारण की सुविधा प्रदान करते हैं।  
  • सैन्य सूचना समझौते की सामान्य सुरक्षा (General Security Of Military Information Agreement- GSMIA):
    • भारत और अमेरिका के बीच GSMIA पर वर्ष 2002 में ही हस्ताक्षर किये जा चुके थे परंतु दोनों देशों के बीच आयोजित पिछली 2+2 वार्ता के दौरान इससे जुड़े औद्योगिक सुरक्षा अनुबंध (Industrial Security Annex- ISA) पर हस्ताक्षर किये गए।
      • ISA भारतीय और अमेरिकी रक्षा उद्योग के बीच गोपनीय सैन्य सूचनाओं के आदान-प्रदान और संरक्षण के लियेएक ढाँचा प्रदान करता है।

नौसैनिक  सहयोग :   

  • भारत और अमेरिका के सैन्य संपर्क में वृद्धि के प्रयासों के तहत अमेरिका द्वारा भारतीय नौसेना के सूचना संलयन केंद्र- हिंद महासागर क्षेत्र [Information Fusion Centre for Indian Ocean Region (IFC-IOR)] पर एक सूचना अधिकार की नियुक्ति की गई है।
  • भारत द्वारा हाल ही में बहरीन स्थित अमेरिकी नौसेना के मध्य कमान में एक संपर्क अधिकारी को तैनाती की गई है, साथ ही यू. एस. इंडो-पैसिफिक कमांड (U.S. Indo-Pacific Command -USINDOPACOM) और  ‘यू. एस. स्पेशल ऑपरेशंस कमांड’ (U.S. Special Operations Command- USSOCOM) में संपर्क अधिकारियों की तैनाती के अमेरिकी अनुरोध पर भी विचार किया जा रहा है।

आगामी 2+2 वार्ता का महत्त्व: 

  • भारत-चीन तनाव में वृद्धि के बीच हाल के वर्षों में कई महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में भारत और अमेरिका के बीच सहयोग में वृद्धि हुई है,  इसी क्रम में आगामी 2+2 वार्ता में भी अन्य क्षेत्र के साथ रक्षा क्षेत्र के कई महत्त्वपूर्ण समझौते हो सकते हैं।    
  • वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत-चीन तनाव और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढती सक्रियता के अलावा पनडुब्बी रोधी युद्ध, एंटी मिसाइल डिफेंस, नेटवर्क सेंट्रल वारफेयर आदि इस बैठक के प्रमुख मुद्दे होंगे।
  • इस बैठक के दौरान दोनों पक्षों के बीच COMCASA पर भी व्यापक चर्चा की उम्मीद है।
  • बैठक के प्रमुख मुद्दों में हाल ही में हुए संयुक्त अरब अमीरात-बहरीन-इज़राइल समझौते, पश्चिम एशिया में बढ़ती अशांति, हिंद-प्रशांत क्षेत्र, क्वाड, मानव रहित हवाई वाहन (UAV) का संयुक्त विकास आदि को शामिल किया जा सकता है।  
  • इस बैठक के दौरान अमेरिकी प्रशासन से ‘एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली’ (Integrated Air Defense Weapon System- IADWS) की बिक्री हेतु अनुमति-प्रत्र प्राप्त होने की भी उम्मीद है इस अनुमति पात्र के मिलने के बाद अमेरिका के रेथियॉन कॉरपोरेशन और कोंग्सबर्ग डिफेंस और एयरोस्पेस  से वार्ता शुरू हो जाएगी। 
  • भारत-चीन तनाव को देखते हुए अमेरिका स्थित जनरल एटॉमिक्स से 30 UAV के लंबित सौदे पर भी वार्ता हो सकती है।
  • गौरतलब है कि आगामी 2+2 वार्ता से पहले  9 सितंबर को आयोजित एक वर्चुअल बैठक में दोनों पक्षों के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच COVID​​-19, आतंकवाद, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुशासन और सतत् विकास का समर्थन तथा दक्षिण एशिया के साथ कई अन्य महत्त्वपूर्ण  द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की गई थी। 

चुनौतियाँ:

  • अक्तूबर के अंत में संभावित आगामी 2+2 वार्ता के दौरान BECA को लागू किये जाने के बारे में अनिश्चितता बनी हुई है, क्योंकि अभी भी इस समझौते पर पूरी बातचीत समाप्त नहीं हुई है। 
  • इसके साथ ही इस वार्ता का समय नवंबर में आयोजित होने वाले अमेरिका के आगामी राष्ट्रपति चुनावों के बिलकुल पास है परंतु अभी भी इसकी तिथि का निर्धारण नहीं किया गया है।

आगे की राह:   

  • हाल के वर्षों में भारतीय सीमा पर पाकिस्तान और चीन की आक्रामकता में वृद्धि को देखते हुए भारत के लिये अपनी सैन्य शक्ति में वृद्धि करना बहुत ही आवश्यक है।
  • भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती चुनौती के खिलाफ सामान विचारधारा वाले देशों को साथ लाने का प्रयास करना चाहिये साथ ही क्वाड जैसे मंचों के माध्यम से अन्य क्षेत्रों के साथ नौसैनिक सहयोग को बढ़ाया जाना चाहिये।
  • अमेरिका के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने में भारत के लिये रूस के साथ संबंध संतुलन को बनाए रखना भी एक बड़ी चुनौती है, अतः भारत को इस दिशा में भी ध्यान देना होगा।

स्रोत:  द हिंदू

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