जैव विविधता और पर्यावरण
ईल की नई प्रजातियाँ
- 31 Aug 2019
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चर्चा में क्यों?
भारतीय प्राणि सर्वेक्षण (Zoological Survey of India) के तहत आने वाले एश्चुअरी बायोलॉजी रीज़नल सेंटर (Estuarine Biology Regional Centre- EBRC) ने समुद्री ईल (EEL) की दो नई प्रजातियों का पता लगाया है।
प्रमुख बिंदु
- इनमें से एक प्रजाति छोटी भूरी पैटर्न रहित (Un-Patterned) वाला मोराय ईल (Moray EEL) है जिसे जिम्नोथोरैक्स अंडमानेसेसिस (Gymnothorax andamanensesis) वैज्ञानिक नाम दिया गया है। यह प्रजाति दक्षिण अंडमान तट पर पाई गई है।
- जिम्नोथोरैक्स अंडमानेसिस ईल के नमूनों को पोर्ट ब्लेयर स्थित ICAR- केंद्रीय द्वीपीय कृषि अनुसंधान संस्थान के मत्स्य विज्ञान विभाग (Division of Fisheries Science, ICAR-Central Island Agricultural Research Institute, Port Blair) द्वारा एकत्र किया गया।
- वर्तमान में विश्व भर में छोटी भूरी बिना पैटर्न (un-patterned) वाली मोराय ईल की 10 ज्ञात प्रजातियाँ हैं जिनमें से 3 भारत में पाई गई हैं।
- इसी प्रकार एक नई श्वेत-चित्तीदार मोराय ईल (White-Spotted Moray EEl) की खोज की गई है। इसे 'जिम्नोथोरैक्स स्मिथी' (Gymnothorax Smithi) वैज्ञानिक नाम दिया गया है। यह ईल अरब सागर में पाई जाती है।
समुद्री ईल
- ईल नदियों और समुद्रों के तल में पाई जाती हैं।
- ये साँप की तरह दिखाई देने वाले जीव होते हैं। समुद्र में पाई जाने वाली ईल अक्सर काले एवं भूरे रंग की होती है।
- समुद्री ईल अधिकांश उथले पानी में पाए जाती है लेकिन इनमें से कुछ अपतटीय रेतीले या कीचड़ युक्त तल में 500 मीटर की दूरी तक भी पाई जाती हैं।
- ये घोंघा एवं केकड़ों का शिकार करती हैं।
आगे की राह
- भारत की लंबी समुद्री तट रेखा है परंतु अधिकांश समुद्री जैव-विविधता अभी तक अनन्वेषित (Unexplored) है।
- ईल के संबंध में अन्वेषण को बढ़ावा दिये जाने की आवश्यकता है जिसके द्वारा संवर्द्धित ज्ञान इसके संरक्षण और उचित उपयोग को सुनिश्चित करने में सहायक होगा।
भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण
(Zoological Survey of India-ZSI)
- भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण (ZSI), पर्यावरण और वन मंत्रालय के तहत एक संगठन है।
- समृद्ध जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने हेतु अग्रणी तथा सर्वेक्षण, अन्वेषण और अनुसंधान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण (ZSI) की स्थापना तत्कालीन 'ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य' में 1 जुलाई, 1916 को की गई थी।
- इसका उद्भव 1875 में कलकत्ता के भारतीय संग्रहालय में स्थित प्राणी विज्ञान अनुभाग की स्थापना के साथ ही हुआ था।
- इसका मुख्यालय कोलकाता में है तथा वर्तमान में इसके 16 क्षेत्रीय स्टेशन देश के विभिन्न भौगोलिक स्थानों में स्थित हैं।