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जैव विविधता और पर्यावरण

2 मीटर तक बढ़ सकता है समुद्र का जलस्तर

  • 22 May 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में दुनिया के प्रमुख वैज्ञानिकों के एक समूह ने महासागरों के बढ़ते जलस्तर की स्थिति के बारे में अपने अनुभवों और अवलोकनों के आधार पर अनुमान जारी किये हैं।

  • इन नए अनुमानों के अनुसार, वर्ष 2100 तक पूरी दुनिया के सागरों का जलस्तर (sea level) 2 मीटर (6.5 फीट) तक बढ़ सकता है जिसके कारण लाखों लोग विस्थापित हो सकते हैं।
  • जलस्तर में वृद्धि का यह अनुमान जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अंतर सरकारी पैनल (Intergovernmental Panel on Climate Change-IPCC) के अनुमानों से दोगुना है। उल्लेखनीय है कि IPCC ने अपनी पाँचवीं मूल्यांकन रिपोर्ट (Fifth Assessment Report) में यह अनुमान व्यक्त किया था कि वर्ष 2100 तक समुद्रों के जल स्तर में 1 मीटर तक की वृद्धि हो सकती है।

महासागरों के जलस्तर में वृद्धि का कारण

ग्रीनलैंड तथा अंटार्कटिक की बर्फ की चादरें इतनी विशाल हैं कि इनके पिघलने से वैश्विक रूप से महासागरों का जलस्तर कई मीटर तक ऊपर उठ सकता है। महासागरों के गर्म होने के कारण जल में होने वाला विस्तार भी जलस्तर को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।

  • उष्मीय प्रसार (Thermal Expansion): जो बहुत अधिक मात्रा में होता है, वर्तमान समय में समुद्री जलस्तर में वृद्धि के लिये यह प्राथमिक योगदानकर्त्ता है और आने वाली सदी के दौरान भी इसके प्राथमिक योगदानकर्त्ता बने रहने की उम्मीद है।
  • हिमनदों का योगदान (Glacial Contribution): समुद्र-स्तर में वृद्धि में हिमनदों का योगदान भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इनके बारे में भविष्यवाणी करना और इनकी मात्रा निर्धारित करना अधिक कठिन है। आगामी सदी के दौरान समुद्री जलस्तर में वृद्धि के पूर्वानुमान के अनुसार हिमनदों के कारण जलस्तर में 480 मिमी. की औसतन वृद्धि के साथ 90 से 880 मिमी. की कुल वृद्धि होने की संभावना है।

प्रभाव

निश्चित रूप से महासागरों के जलस्तर में वृद्धि का मानव समाज पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।

जलस्तर में वृद्धि के परिणामस्वरूप लगभग 1.79 मिलियन वर्ग किलोमीटर भूमि जलमग्न हो सकती है और 187 मिलियन लोग विस्थापित हो सकते हैं।

सरकारों के प्रयास:

  • वर्ष 2015 में राष्ट्रों के बीच हए पेरिस जलवायु समझौते का उद्देश्य वैश्विक तापमान की सीमा को 2 डिग्री सेल्सियस (3.6 फ़ारेनहाइट) तक कम करना तथा वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक कम करने के लिये देशों को प्रोत्साहित करना है।
  • IPCC ने एक लैंडमार्क जलवायु रिपोर्ट जारी की जिसमें वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों के स्तर में तीव्र वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिये कोयले, तेल एवं गैस की खपत में भारी मात्रा में, और तत्काल कमी करने का आह्वान किया गया था।

आगे की राह

  • चूँकि ग्रीनहाउस गैसों (Greenhouse Gases) का उत्सर्जन महासागरीय जलस्तर में वृद्धि हेतु एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसलिये ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को रोकने के लिये ऊर्जा, भूमि, शहरी अवसंरचना (परिवहन और भवनों सहित) तथा औद्योगिक प्रणालियों में तीव्र एवं दूरगामी नज़रिये से बदलाव लाने की आवश्यकता है।
  • विकासशील देशों को बड़े पैमाने पर ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन से बचना चाहिये, जबकि विकसित देशों को अपने देश में ऐसी खपत पर रोक लगानी चाहिये, जो ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को बढ़ावा देती हो।
  • महासागरीय तापमान वृद्धि के मद्देनज़र अब दुनिया भर के नीति निर्माताओं की यह ज़िम्मेदारी बनती है कि मानव जाति और पृथ्वी का अस्तित्त्व लंबे समय तक बनाए रखने हेतु ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को रोकने के लिये आवश्यक कार्रवाई करें।

स्रोत: physics.org

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