सामाजिक न्याय
टू चाइल्ड नॉर्म
- 25 Oct 2019
- 4 min read
प्रीलिम्स के लिये:
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण
मेन्स के लिये:
जनसंख्या नियंत्रण की आवश्यकता और संबंधित मुद्दे
चर्चा में क्यों?
हाल ही में असम सरकार ने घोषणा की है कि जनवरी 2021 से दो से अधिक बच्चों वाले लोग सरकारी नौकरी के आवेदन हेतु पात्र नहीं होंगे।
प्रमुख बिंदु
- महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान के बाद असम चौथा राज्य है जहाँ सरकारी नौकरियों के लिये आवेदन करने हेतु इस प्रकार के नियम की घोषणा की गई है।
- इसके अतिरिक्त कम-से-कम पाँच ऐसे अन्य राज्य हैं जिन्होंने पंचायतों, नगर निगमों और जिला परिषदों जैसे स्थानीय निकायों के चुनाव में भागीदारी करने वाले उम्मीदवारों के लिये इस प्रकार के नियम बनाए हैं ।
नियम की सीमाएँ
- सामान्यतः अधिक बच्चों की प्रवृत्ति समाज के निम्न या पिछड़े वर्गों में देखी जाती है और इस प्रकार के नियमों से उनके लिये सरकारी नौकरी के अवसर और मुश्किल हो जाएंगे।
- समाज में महिलाओं की प्रजनन दर को कई अन्य पारिवारिक और सामाजिक कारक भी प्रभावित करते हैं।
- हाल के जनसंख्या सर्वेक्षण के अनुसार पिछले कुछ दशकों में भारत की जनसंख्या वृद्धि दर वैसे ही काफी धीमी हो गई है।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey-NFHS4) के अनुसार, भारत की वर्तमान कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate-TFR) 2.2 है जो वांछित कुल प्रजनन दर के स्तर 2.1 के बहुत करीब है।
- NFHS-4 के तहत पहली बार राज्य एवं ज़िला स्तर पर परिवार कल्याण स्वास्थ्य संकेतकों के आधार पर प्रजनन क्षमता, शिशु और बाल मृत्यु के स्तर का एकीकृत सर्वेक्षण किया गया।
- NFHS-4 के आँकड़े के अनुसार, 30 मिलियन (तकरीबन 13%) से अधिक महिलाएँ गर्भनिरोधक का उपयोग करने में सक्षम नहीं हैं।
प्रजनन दर (Fertility rate)
- NFHS-4 का डेटा इस बात की पुष्टि करता है कि महिलाओं के शिक्षा स्तर का प्रजनन दर पर सीधा असर पड़ता है।
- सर्वेक्षण के अनुसार, कभी स्कूल न जाने वाली जो महिलाओं की प्रजनन दर 3.0 है जबकि 12वीं कक्षा तक पढ़ने वाली महिलाओं की प्रजनन दर 1.7 है।
जनसंख्या वृद्धि (Population Growth)
- TFR में गिरावट के बावजूद भारत की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। पूरी जनसंख्या में 50% लोग 15-49 आयु वर्ग है इसलिये अभी भी प्रजनन दर कम होने के बावज़ूद भी जनसंख्या में कमी नहीं हो रही है।
आगे की राह
- प्रजनन दर में कमी के लिये विवाह की आयु बढ़ाने, पहली गर्भावस्था में देरी और जन्मों के बीच अंतर सुनिश्चित करने जैसे उपायों की आवश्यकता है।
- इसके अतिरिक्त देश की जनसांख्यिकीय विशिष्टता (Demographic Peculiarity) से निपटने के लिये स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण और रोज़गार के मार्ग में निवेश की आवश्यकता है।