तुर्की-ग्रीस गतिरोध | 31 Aug 2020

प्रिलिम्स के लिये

तुर्की-ग्रीस की भौगोलिक अवस्थिति

मेन्स के लिये

तुर्की-ग्रीस संबंध और इनका भारत पर प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में खोजे गए गैस भंडार को लेकर ग्रीस और तुर्की के बीच बढ़ते तनाव के बीच फ्राँस ने पूर्वी भूमध्य सागर में अपनी सेना तैनात कर दी है। फ्राँस के अनुसार, भूमध्य सागर में स्थिति के स्वायत्त मूल्यांकन को सुदृढ़ करने और क्षेत्र में मुक्त गतिविधि, समुद्री नेवीगेशन की सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय कानून के सम्मान के संदर्भ में फ्राँस की प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिये सेना को तैनात किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • गतिरोध:
    • कारण: यूरोपीय संघ (EU), पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका में ग्रीस के सहयोगियों ने गैस परिवहन के लिये भूमध्य सागर से यूरोप की मुख्य भूमि तक गैस पाइपलाइन बनाने की योजना बनाई। इन्होंने तुर्की को इस योजना से बाहर रखा, जिसका तुर्की ने विरोध किया है।
      • इस योजना के निर्माण से EU की रूस पर निर्भरता कम हो जाएगी 
      • 2019 की शुरुआत में साइप्रस, मिस्र, ग्रीस, इटली, जॉर्डन और फिलिस्तीन ने ईस्टमीड गैस फोरम (EastMed Gas Forum) का गठन किया और एक बार फिर से तुर्की को इससे बाहर रखा
    • तुर्की की प्रतिक्रिया: तुर्की ने EU की पाइपलाइन योजना को चुनौती दी और एक विशेष आर्थिक ज़ोन (Exclusive Economic Zone-EEZ) के निर्माण हेतु लीबिया के साथ एक समझौता किया, यह EEZ तुर्की के दक्षिणी बिंदु से लेकर भूमध्य सागर के पार लीबिया के पश्चिमी बिंदु तक होगा।  
      • हालाँकि ग्रीस ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि तुर्की का यह विशेष आर्थिक ज़ोन इसकी महासागरीय संप्रभुता का उल्लंघन करता है और इसके बाद ग्रीस ने मिस्र के साथ अपने EEZ के निर्माण की घोषणा कर दी जो तुर्की के EEZ के साथ गतिरोध उत्पन्न करता है।
      • ग्रीस के इस समझौते पर प्रतिक्रिया देते हुए तुक्री ने ग्रीस-मिस्र समझौते में वर्णित कास्तेलोरिज़ो (Kastellorizo) द्वीप क्षेत्र के समीप अपना सर्वे जहाज़ तैनात कर दिया।
      • यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि ग्रीस और तुर्की के मध्य विवाद जन्मा है। पिछले चार दशकों में दोनों देशों के मध्य कम-से-कम तीन बार युद्ध की स्थिति भी बन चुकी है।

Turkey

  • मुद्दे:
    • अतिव्यापी दावे: तुर्की और ग्रीस दोनों ही देश अधिकतर ग्रीक द्वीपों के साथ संलग्न महाद्वीपीय शेल्फ की सीमा के संबंध में व्याप्त परस्पर विरोधी विचारों के आधार पर क्षेत्र में हाइड्रोकार्बन संसाधनों पर किये जाने वाले अतिव्यापी दावों से असहमत हैं।
      • तुर्की का कहना है कि पूर्वी भूमध्य सागर में सबसे लंबी तटरेखा होने के बावजूद, यह ग्रीस के महाद्वीपीय शेल्फ के विस्तार के कारण पानी की एक संकीर्ण पट्टी में सीमित है, जो इसके तट के पास कई यूनानी/ग्रीक द्वीपों की उपस्थिति पर आधारित है।
      • कास्तेलोरिज़ो द्वीप, जो कि तुर्की के दक्षिणी तट से 2 किमी और ग्रीस की  मुख्य भूमि से 570 किमी दूर स्थित है, तुर्की की हताशा का मुख्य कारण है।
    • कई देशों की भागीदारी: इस समय सबसे जटिल समस्या यूरोप, पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका के इस मुद्दे में शामिल होने की संभावना है।
      • यूरोपीय संघ के सबसे शक्तिशाली सैन्य बल फ्राँस ने ग्रीस और साइप्रस को अपना समर्थन दिया है।
      • साइप्रस भौगोलिक रूप से दो भागों में विभाजित है; दक्षिणी भाग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार द्वारा शासित है और उत्तरी भाग, तुर्की द्वारा नियंत्रित है।
      • ग्रीस, साइप्रस, इटली और फ्राँस के बीच एक गठबंधन भी उभरकर सामने आ रहा है, जिसे मिस्र, इज़राइल और UAE का भी समर्थन प्राप्त है।
      • इन सबका परिणाम यह है कि इस क्षेत्र में तुर्की लगभग अलग-थलग हो गया है, लेकिन यह अभी भी भूमध्य सागर में एक प्रमुख शक्ति बन हुआ है।

आगे की राह

  • यदि यूरोपीय संघ, साइप्रस और इटली के माध्यम से इज़राइल के तट से यूरोप के लिये गैस परिवहन करना चाहता है, तो तुर्की के साथ एक खुला संघर्ष बिलकुल भी मददगार साबित नहीं हो सकता। हर किसी के हित में है कि तनाव को कम किया जाए और गैस संबंधी संघर्ष का एक रणनीतिक एवं पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान खोजने का प्रयास किया जाए।
  • तुर्की को अलग-थलग करना, यह जानते हुए भी इसकी भूमध्य तटीय सीमा सबसे अधिक है, नासमझी होगी। तुर्की द्वारा इस क्षेत्र के छोटे देशों को धमकी देने के अवसर प्रदान करना रणनीतिक रूप से विनाशकारी ही होगा। ऐसे में यूरोपीय संघ को इन दोनों विकल्पों के बीच संतुलन बनाना होगा अन्यथा परिणाम सभी के लिये चिंताजनक होंगे।

स्रोत: द हिंदू