अंतर्राष्ट्रीय संबंध
अमेरिकी H-1B वीज़ा नियमों में सख्ती
- 25 Apr 2020
- 8 min read
प्रीलिम्स के लिये:H-1B वीज़ा, COVID-19 मेन्स के लिये:वैश्विक राजनीति पर COVID-19 का प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेरिका (USA) में COVID-19 के कारण बेरोज़गारी में हो रही वृद्धि को देखते हुए H-1B वीज़ा सहित प्रवासी कामगारों से जुड़ी अन्य सभी योजनाओं को स्थगित करने की मांग तेज़ हुई है।
मुख्य बिंदु:
- अमेरिकी राष्ट्रपति को भेजे पत्र में एक अमेरिकी सांसद ने COVID-19 के कारण बढ़ती बेरोज़गारी के दौरान अमेरिकी कामगारों की आय और रोज़गार के अवसरों को बढ़ावा देने हेतु H-1B, H4, L1, B1, B2, ‘ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग प्रोग्राम’ (Optional Practical Training Program) और प्रवासी श्रमिकों से जुड़ी अन्य योजनाओं पर रोक लगाने की मांग की है।
- ध्यातव्य है कि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति ने देश में अगले 90 दिनों के नए ग्रीन कार्ड जारी किये जाने पर रोक लगा दी थी।
- इसके अतिरिक्त देश में COVID-19 की महामारी के दौरान अमेरिकी कामगारों के हितों की रक्षा हेतु अमेरिकी राष्ट्रपति ने 22 अप्रैल, 2020 को एक उद्घोषणा जारी की थी।
- इस उद्घोषणा की धारा-6 में अमेरिका के श्रम (Labor), राज्य (State) और होमलैंड सिक्योरिटी (Homeland Security) सचिवों को उद्घोषणा जारी होने के 30 दिनों के अंदर अमेरिकी कामगारों को प्राथमिकता देने और उनके रोज़गार के संदर्भ में अतिरिक्त सुझाव देने को कहा गया था।
आव्रजन को स्थगित करने का कारण:
- वर्तमान में COVID-19 की महामारी के कारण विश्व के कई देशों की अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।
- अमेरिकी नेताओं के अनुसार, इस महामारी के कारण अमेरिका में लगभग 26 मिलियन लोग बेरोज़गार हुए हैं।
- एक अनुमान के अनुसार, वर्तमान में अमेरिका में लगभग 30 लाख लोग H-1B वीज़ा पर रहकर काम करते हैं और वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिये अमेरिकी सरकार को अन्य देशों के कामगारों से H-1B के लगभग 2,75,000 आवेदन प्राप्त हुए थे।
- जानकारों के अनुसार, लगभग 24% H-1B वीज़ाधारक प्रतिवर्ष ग्रीन कार्ड के लिये आवेदन करते हैं।
- अमेरिका में बेरोज़गारी में हो रही वृद्धि के साथ सरकार पर प्रवासी कामगारों को देश में आने से रोकने के लिये दबाव बढ़ा है।
H-1B वीज़ा (H-1B Visa):
- H-1B अमेरिकी सरकार द्वारा दिया जाने वाला एक वीज़ा है, जिसके तहत अन्य देशों के कुशल कामगारों को एक निश्चित अवधि के लिये अस्थाई रूप से अमेरिका में रहकर कार्य करने की अनुमति दी जाती है।
- H-1B वीज़ा प्राप्त करने हेतु कुछ न्यूनतम शैक्षिक मानक भी सुनिश्चित किये गए है। जैसे- स्नातक या समकक्ष डिग्री होना अथवा नियोक्ता द्वारा निर्धारित योग्यता आदि।
- वर्तमान में अमेरिकी सरकार द्वारा प्रत्येक वित्तीय वर्ष में अधिकतम H-1B वीज़ा जारी किये जाने की सीमा 65,000 सुनिश्चित की गई है।
- हालाँकि अमेरिकी शिक्षण संस्थानों से परास्नातक या इससे उच्चतर डिग्री वाले पहले 20,000 आवेदकों को इससे छूट दी गई है।
स्वास्थ्य कर्मियों को राहत:
- एक अन्य अमेरिकी सांसद जॉश हार्डर (Josh Harder) ने ‘कांग्रेस की प्रवर समिति’ (Congressional Select Committee) को लिखे एक पत्र में समिति को H-1B वीज़ा पर कार्य कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों को संरक्षण प्रदान करने के लिये आवश्यक कदम उठाने की मांग की है।
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सांसद जॉश हार्डर के अनुसार वे एक विधेयक पर कार्य कर रहे हैं जिससे COVID-19 के दौरान नौकरी गँवाने वाले H-1B वीज़ाधारक स्वास्थ्य कर्मियों के 60 दिन के ग्रेस पीरियड (Grace Period) में वृद्धि की जा सके।
- वर्तमान में अमेरिका में बजट की कमी के कारण नौकरी गँवाने वाले प्रवासी स्वास्थ्य कर्मियों को 60 दिनों के अंदर दूसरी नौकरी शुरू करनी होती है अन्यथा उन्हें देश छोड़ना पड़ेगा।
कारण:
- एक अनुमान के अनुसार, वर्तमान में अमेरिकी स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत लगभग 17% स्वास्थ्य कर्मी अन्य देशों से आए हुए प्रवासी नागरिक हैं।
- वर्तमान में आर्थिक दबाव के कारण अमेरिका के कई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकालने पर विवश हुए हैं।
- H-1B वीज़ा नियमों के कारण कई स्वास्थ्य कर्मियों को अमेरिका से बाहर जाना पड़ सकता है, ऐसे में पहले से ही स्वास्थ्य कर्मियों की कमी से जूझ रहे क्षेत्रों की समस्याएँ और बढ़ जाएँगी।
भारत पर प्रभाव:
- भारत के बहुत से युवा कामगार अमेरिका में कार्य करने और अमेरिकी नागरिकता पाने के लिये H-1B वीज़ा का रास्ता अपनाते हैं।
- वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिये अमेरिकी सरकार को प्राप्त हुए 2,75,000 आवेदनों में 67% भारत से भेजे गए थे।
- अमेरिका द्वारा H-1B वीज़ा संबंधी नियमों में सख्ती भारतीय कामगारों और कंपनियों के लिये एक बड़ी समस्या है।
- साथ ही ऐसे भारतीय जिनकी नागरिकता H-1 B नवीनीकरण (Renewal) हेतु प्रक्रियाधीन होगी उनके लिये वीज़ा नियमों में संशोधन चिंता का कारण बन सकते हैं।
समाधान:
- विशेषज्ञों के अनुसार, COVID-19 की महामारी से वैश्विक अर्थव्यवस्था में आई गिरावट के परिणामस्वरूप आने वाले दिनों में विश्व के बहुत से देश स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा के लिये आव्रजन में अधिक-से-अधिक कमी करने का प्रयास करेंगे।
- ऐसे में सरकार को देश में रोज़गार के नए अवसर उत्पन्न करने पर विशेष ध्यान देना होगा।
- देश में विदेशी निवेश को बढ़ावा देकर नए संसाधनों का विकास कर इस समस्या को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
- सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) क्षेत्र की कई कंपनियों जैसे-TCS आदि एक नए मॉडल पर कार्य कर रहीं हैं जिसके तहत आधे से अधिक कर्मचारियों को घर से कार्य करने की सुविधा होगी, इसके माध्यम से भारत में रह रहे कामगार विश्व के अन्य देशों में स्थित कंपनियों में अपनी सेवाएँ दे पाएँगे।