भारत और चीन के बीच मध्यस्थता का प्रस्ताव | 29 May 2020
प्रीलिम्स के लिये:भारत-चीन का राजनीतिक संबंध मेन्स के लिये:भारत-चीन सीमा विवाद से संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति ने भारत-चीन सीमा पर उत्पन्न गतिरोध के मद्देनज़र दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करने की पेशकश की है।
प्रमुख बिंदु:
- गौरतलब है कि 'वास्तविक नियंत्रण रेखा' (Line of Actual Control- LAC) पर बढ़ते तनाव के मद्देनज़र पहली बार अमेरिका ने भारत और चीन के बीच मध्यस्थता की पेशकश की है।
- कुछ महीने पहले भी अमेरिका ने कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी लेकिन भारत ने इसे खारिज़ कर दिया था।
- भारत ने यह कहते हुए अपनी स्थिति साफ कर दी थी कि इस मुद्दे पर द्विपक्षीय चर्चा के माध्यम से समस्या का समाधान किया जा सकता है।
- यह प्रस्ताव ऐसे समय आया है जब अमेरिका और चीन के बीच ‘व्यापार तथा COVID-19 की उत्पत्ति’ जैसे मुद्दों पर तनाव की स्थिति बनी हुई है।
- हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि यदि चीन द्वारा हांगकांग पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किया जाता है तो चीन पर प्रतिबंध लगा जा सकता है।
पृष्ठभूमि:
- वर्तमान में भारत और चीन के बीच 'वास्तविक नियंत्रण रेखा' पर तनाव की स्थिति हैं, जिनमें पैंगोंग त्सो (Pangong Tso), गैलवान घाटी (Galwan Valley), सिक्किम के ‘नाकु ला’ (Naku La) और डेमचोक (Demchok) शामिल हैं।
- चीन द्वारा सेना को युद्ध की तैयारियों को बढ़ाने और देश की संप्रभुता का पूरी तरह से बचाव करने के आदेश के बाद से दोनों देशों के बीच 'वास्तविक नियंत्रण रेखा' पर तनाव बढ़ गया था।
- चीन के इस रवैये के पश्चात् भारत ने लद्दाख, उत्तर सिक्किम, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है।
- अब तक लद्दाख में भारतीय और चीनी सैन्य कमांडरों के बीच कम-से-कम छह दौर की वार्ता असफल हो चुकी हैं।
भारत का पक्ष:
- अमेरिका द्वारा दोनों देशों के बीच मध्यस्थता हेतु की गई पेशकश को भारत ने तीसरा पक्ष करार देते हुए अस्वीकार किया है।
- भारत शांतिपूर्ण तरीके से इस मुद्दे को हल करने के लिये उच्च स्तरीय बैठकें कर रहा है।
चीन का पक्ष:
- चीन ने साफ किया है कि दोनों देश द्विपक्षीय चर्चा के माध्यम से गतिरोध का समाधान करेंगे। साथ ही यह भी कहा कि भारत के साथ सीमा पर स्थिति ‘समग्र स्थिर और नियंत्रण’ में है।
भारत-चीन का राजनीतिक संबंध:
- भारत ने 1 अप्रैल, 1950 को चीन के साथ अपने राजनयिक संबंध स्थापित किये थे और इसी के साथ भारत पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाला पहला गैर-समाजवादी देश बन गया था।
- वर्ष 1962 में भारत और चीन के मध्य सीमा संघर्ष की शुरुआत दोनों देशों के संबंधों के लिये एक गहरा झटका था।
- वर्ष 1993 में प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की यात्रा ने दोनों देशों के मध्य संबंधों को सुधारने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- वर्तमान संदर्भ में बात करें तो दोनों देशों के प्रतिनिधियों के मध्य समय-समय पर द्विपक्षीय वार्त्ताओं के साथ-साथ अनौपचारिक सम्मेलनों का आयोजन भी किया जा रहा है, जो यह दर्शाता है कि दोनों देश अपने दीर्घकालिक हितों को लेकर सजग हैं।
आगे की राह:
- दोनो देशों को सीमा पर उत्पन्न गतिरोध को द्विपक्षीय चर्चा के माध्यम से हल करना चाहिये क्योंकि सीमा संबंधी विवाद पर किसी तृतीय पक्ष की मध्यस्थता से संबंधों में कड़वाहट आने की संभावना होती है।