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जैव विविधता और पर्यावरण

वृक्षों को काटे बिना होगा दिल्ली का विकास

  • 29 Jun 2018
  • 6 min read

संदर्भ

हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने दक्षिण दिल्ली क्षेत्र में कालोनियों को विकसित करने के लिये हज़ारों पेड़ काटे जाने संबंधी केंद्र सरकार के विवादित फैसले पर रोक लगाई थी। लोगों के विरोध और अदालत में दायर याचिका के बाद हाईकोर्ट ने यह फैसला दिया था। न्यायालय के फैसले के बाद अब आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने कहा है कि NBCC/CPWD पेड़ों को गिराए या काटे बिना पुनर्विकास हेतु डिजाइन और योजनाओं को नए सिरे से तैयार करेगा।

नया प्रस्ताव

  • राज्य सरकार के वन विभाग और दिल्ली सरकार में पर्यावरण एवं वन मंत्री की विशेष सिफारिश पर पर्यावरण और इससे संबंधित मंज़ूरी दी जाती है।
  • NBCC पेड़ों को नए स्थान पर ले जाने में सक्षम उपकरणों को खरीदने के साथ-साथ इस संबंध में प्रशिक्षित प्रोफेशनल निकायों की सेवाएँ प्राप्त करेगी।
  • 9 जनवरी, 2018 को आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय में दी गई प्रस्तुति का पालन करते हुए दिल्ली के विभिन्न भागों में दस लाख से अधिक पौधे लगाए जाएँगे। 

♦ NBCC  - 25,000 
♦ CPWD - 50,000
♦ DDA    - 10,00,000 
♦ DMRC - 20,000

  • दिल्ली के उपराज्यपाल को सलाह दी गई है कि वे पर्यावरणीय मुद्दों पर बातचीत करने के लिये विशेषज्ञों/संबंधित नागरिकों का समूह गठित करें और जिससे कि इस संबंध में आगे की विशिष्ट कार्रवाई की जा सके।

क्या था मामला?

  • दक्षिण-मध्य तथा दक्षिण पूर्वी दिल्ली के कुछ क्षेत्रों – सरोजिनी नगर, नौरोजी नगर, नेताजी नगर, मोहम्मदपुर, कस्तूरबा नगर, श्रीनिवासपुरी तथा त्यागराज नगर में जहाँ सरकारी अधिकारी रहते हैं, की स्थिति बहुत ही दयनीय है। इन क्षेत्रों को राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत बिल्डर NBCC लिमिटेड तथा भारत सरकार के केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) द्वारा पुन: विकसित किया जा रहा है। 
  • इस योजना के अंतर्गत लगभग 14,000 वृक्षों को कटा जाना आवश्यक था। अभी तक 3,780 वृक्षों को काटने की मंज़ूरी दी गई थी तथा शेष वृक्षों को काटने के लिये मंज़ूरी की प्रक्रिया चल रही थी।
  • NBCC के अनुसार, अधिकांश वृक्षों की कटाई इसलिये की जा रही है ताकि 70,000 वाहनों के लिये भूमिगत पार्किंग की व्यवस्था की जा सके।
  • अब तक नौरोजी नगर में 1,100 तथा नेताजी नगर में लगभग 100 वृक्ष काटे जा चुके हैं।

वृक्षों को काटने की घोषणा 

  • नौरोजी नगर में वृक्षों को काटने की अनुमति नवंबर 2017 में तथा नेताजी नगर में वृक्षों को काटने की अनुमति मई 2018 में दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली पर्यावरण विभाग के अनुमोदन पर दी गई थी। 
  • सितंबर 2017 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एनबीसीसी को किसी भी पेड़ को काटने  से पहले पेड़ लगाए जाने का निर्देश दिया था।

क्या बिना पेड़ काटे इन क्षेत्रों का पुनर्विकास किया जा सकता है?

  • अगर पार्किंग क्षेत्र का निर्माण किया जाना है, जैसी कि योजना बनाई गई है तो यह संभव नहीं है कि वृक्षों को काटे बिना यह कार्य किया जा सके सके। 

क्या सरकारी कर्मचारियों के लिये नए आवास राजधानी में कहीं और बनाए जा सकते हैं?

  • विभिन्न संगठनों के कार्यकर्त्ताओं ने दिल्ली के मध्य में इतनी बड़ी परियोजना शुरू करने के लिये केंद्र और दिल्ली सरकारों की आलोचना की है, क्योंकि यह शहर पहले से ही धूल और वाहन प्रदूषण की समस्या से ग्रस्त है। शहर के पश्चिम और उत्तर-पश्चिम में रोहिणी, द्वारका, नरेला या बावाना में नए आवास बनाए जा सकते थे। 
  • पहले के दो क्षेत्र मेट्रो से जुड़े हुए हैं, जिनका चरण-IV अन्य दो क्षेत्रों को भी जोड़ देगा। प्रत्यारोपण और क्षतिपूर्ति बागान कितने सफल हैं? 

क्या कहते हैं नियम?

  • नियमों के अनुसार, प्रत्येक वृक्ष को काटने पर 10 वृक्षों को मुआवजे के रूप में लगाया जाना चाहिये। 
  • चूँकि ऐसे बड़े क्षेत्र उपलब्ध नहीं हैं, इसलिये ये वृक्ष खाली भूखंडों पर लगाए जाते हैं, आमतौर पर शहर के बाहरी इलाके में। 
  • एजेंसियाँ भी तेज़ी से सजावटी पौधों का रोपण करने की ओर आकर्षित होती हैं जिनमें अक्सर वायु प्रदूषण से निपटने की संभावना नहीं होती है। 
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