भारतीय अर्थव्यवस्था
घर खरीददारों को वित्तीय लेनदार का दर्ज़ा
- 10 Aug 2019
- 6 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में दिवाला एवं दिवालियापन संहिता (Insolvency and Bankruptcy Code- IBC) में किये गए संशोधन के अंतर्गत घर खरीदने वालों को वित्तीय लेनदार (Financial Creditor) का दर्ज़ा दिये जाने को वैध करार दिया है।
क्या था मामला?
- वर्ष 2018 में एक अध्यादेश पारित कर घर खरीदार को दिवालिया घोषित कंपनी के संदर्भ में ऋणदाता (Creditor) माना गया। जिसके बाद कुछ रियल स्टेट कंपनियों ने इस संशोधन को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय:
- न्यायालय ने संशोधनों को वैध करार देते हुए फ्लैट खरीदारों को वित्तीय लेनदार का दर्जा बरकरार रखा है।
- गत वर्ष IBC में धारा 5 (8) (f) जोड़ने को न्यायालय ने सही ठहराया है।
- न्यायालय द्वारा दिये गए निर्णय के अनुसार, रियल एस्टेट क्षेत्र के नियमन हेतु बने रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 [The Real Estate (Regulation and Development) Act-RERA] को IBC के संशोधनों के साथ पढ़ा जाना चाहिये। यदि किसी मामले में दोनों कानूनों के प्रावधानों में कोई विरोधाभास उत्पन्न होता है तो IBC के संशोधित प्रावधान ही लागू होंगे।
- निर्णय देने वाली पीठ ने घर खरीदारों को डिफ़ॉल्टर होने वाले बिल्डरों के खिलाफ दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू करने और रिफंड के लिये NCLT में आवेदन दायर करने की अनुमति दी।
- सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार, वास्तविक फ्लैट खरीदार बिल्डर के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने की मांग कर सकते हैं। न्यायालय ने केंद्र को इसके संबंध में आवश्यक कदम उठाकर न्यायालय में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
- न्यायालय के निर्णय के अनुसार, घर खरीदारों को रियल एस्टेट कंपनियों के खिलाफ आवश्यकतानुसार RERA प्राधिकरण, NCLT और NCDRC के समक्ष कार्यवाही शुरू करने का अधिकार है।
- न्यायालय ने केंद्र सरकार को NCLT और उसके अपीलीय न्यायाधिकरण में रिक्तियों को भरने का निर्देश दिया है ताकि रियल एस्टेट क्षेत्र में दिवालियेपन के बढ़ते मुकदमों का निपटन किया जा सके।
- अब दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने के आवेदन के समय ही उसके पूरे करने की समय सीमा तय होगी। साथ ही वित्तीय लेनदारों के संकट का भी निवारण किया जाएगा।
- न्यायालय ने उन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों जिन्होंने अभी तक रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण और अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना नहीं की है, को इनकी स्थापना के लिये तीन महीने का समय दिया गया है।
वित्तीय लेनदार (Financial creditors)
वित्तीय लेनदारों में बड़े पैमाने पर बैंक तथा वित्तीय संस्थान शामिल होते हैं, जिनके पास प्रक्रिया में भाग लेने के लिये तथा प्रतिलाभ प्राप्त करने हेतु योगदान के लिये अपेक्षित अधिकार क्षेत्र उपलब्ध हैं जिसमें कंपनी को फिर से ऊपर उठाने के लिये समाधान योजना जैसा एक महत्त्वपूर्ण कार्य शामिल है।
संशोधन की आवश्यकता
- देश में लाखों लोगों द्वारा निर्माता के पास उनके पैसे फँसे होने की शिकायत के बाद इस प्रकार का संशोधन आवश्यक है क्योंकि मकान न मिलने की स्थिति में भी निर्माताओं द्वारा उनकी जमा राशि नहीं लौटाई जाती। आम लोगों को इस फैसले से काफी राहत मिलेगी क्योंकि इससे पूर्व कानून के अंतर्गत केवल बैंक और अन्य उधारदाताओं को ही अपना बकाया वापस ले सकने का अधिकार था लेकिन आम लोगों के पास इस संबंध में कोई अधिकार नहीं था।
- वर्ष 2018 के संशोधन अधिनियम के अस्तित्व में आने से पहले, दिवालिया घोषित बिल्डर की संपत्ति को उसके कर्मचारियों, लेनदार बैंकों और अन्य परिचालन लेनदारों के बीच विभाजित किया गया था। घर खरीदारों को शायद ही इसके बारे में पता चल पाता था भले ही उनकी मेहनत की कमाई ने उस आवास परियोजना का एक बड़ा हिस्सा प्रदान किया हो।
और पढ़ें…
दिवाला और दिवालियापन (संशोधन) अध्यादेश को स्वीकृति
क्या दिवालियापन संहिता को रेरा के मुकाबले में खड़ा करना उचित है?