देशभर में 115 पिछड़े ज़िलों के कायापलट हेतु एक पहल | 27 Nov 2017

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्ष 2022 तक एक नए भारत के निर्माण के सपने को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने देश भर में 115 पिछड़े ज़िलों के प्रारूप में परिवर्तन करने के लिये एक प्रमुख नीतिगत पहल की शुरुआत की है। इस संबंध में प्रभारी अधिकारियों की पहली बैठक 24 नवंबर को आयोजित की गई।

प्रभारी अधिकारियों में किन्हें नियुक्त किया गया है?

  • अतिरिक्त सचिव (Additional Secretary) और संयुक्त सचिव (Joint Secretary) के रैंक के पद के वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को प्रभारी अधिकारी (Prabhari Officers) या प्रभारी के रूप में नामित किया गया है।
  • इन्हें देश भर राज्यों के पिछड़े ज़िलों की विशिष्ट विकास संबंधी आवश्यकताओं हेतु किये जाने प्रयासों हेतु समन्वय स्थापित करने के लिये नियुक्त किया गया है।
  • प्रत्येक ज़िले के लिये एक वरिष्ठ स्तर के अधिकारी को नामांकित करने का कार्य राज्यों द्वारा किया जाएगा। वस्तुतः राज्य ही इस कार्यक्रम के मुख्य संचालक होंगे।

किन मानदंडों के आधार पर पिछड़े ज़िलों की पहचान की गई?

इन ज़िलों की पहचान हेतु निम्नलिखित मानदंडों को आधार बनाया गया है- 

► शिक्षा
► स्वास्थ्य 
► पोषण 
► ग्रामीण सड़क संपर्क
► ग्रामीण घरेलू विद्युतीकरण
► पीने योग्य पानी 
► व्यक्तिगत शौचालय, इत्यादि। 

इन पिछड़े ज़िलों की वास्तविक स्थिति क्या है?

  • देश के 115 पिछड़े ज़िलों में से तकरीबन 35 ज़िले वामपंथी हिंसा से प्रभावित हैं। स्पष्ट रूप से यदि इन ज़िलों की स्थिति में परिवर्तन किया जाता है तो जहाँ एक ओर इससे देश की आंतरिक सुरक्षा की स्थिति में सुधार होगा, वहीं दूसरी ओर देश का समुचित विकास भी सुनिश्चित होगा।
  • यही कारण है कि इन ज़िलों का चयन करते हुए यह भी सुनिश्चित किया गया कि किसी भी मंत्रालय द्वारा सामाजिक क्षेत्र की योजना को लागू करते समय इस बात पर विशेष ध्यान देना होगा कि इसके अंतर्गत प्रत्येक राज्य से कम से कम एक सबसे पिछड़े ज़िले का चयन किया जाए। 
  • इसका उद्देश्य देश के विभिन्न हिस्सों तक उक्त कार्यक्रम से प्राप्त होने वाले लाभों को विस्तारित किया जा सके। 

इस कार्यक्रम के तहत फंडिंग कैसे की जाएगी?

  • हालाँकि, इस कार्यक्रम के अनुपालन में फंड की कोई समस्या नहीं है, क्योंकि सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत वृहद मात्र में अनुदान की व्यवस्था की गई है। 
  • इसके लिये अधिकारियों द्वारा डी.एम.एफ. (District Mineral funds- DMF) के तहत धन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी, ताकि इस कार्यक्रम में निहित लक्ष्यों को समय रहते पूरा किया जा सके। 

प्रधानमंत्री का नए भारत का स्वप्न

  • गौरतलब है कि भारत के 75वें स्वतन्त्रता दिवस के आयोजन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2022 तक एक नए और जीवंत भारत का विज़न दिया था। 
  • नए भारत के इस स्वप्न को पूरा करने के लिये समन्वित विकास के साथ-साथ सभी के लिये रहने योग्य परिस्थितियों की सुलभता जैसे महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं जैसी बुनियादी आवश्यकताओं को चिन्हित किया गया है। इस प्रकार की बुनियादी आवश्यकताओं में परिवर्तन करके नए भारत के स्वप्न को पूरा किया जा सकता है।
  • वस्तुत: इस दिशा में कार्य करने के लिये सबसे पहले पिछड़े ज़िलों के समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास में नाटकीय सुधार लाना होगा। 
  • इसके लिये केंद्र, राज्य और स्थानीय सरकारों के प्रयासों का अभिसरण सुनिश्चित करने के लिये एक सटीक एवं सुनियोजित कार्य योजना बनाने की आवश्यकता है, ताकि बिना किसी भटकाव के इन जिलों की स्थिति में आवश्यक सुधार करते हुए इन्हें पूरी तरह से विकसित एवं समृद्ध ज़िलों में परिवर्तित किया जा सके।
  • इसके लिये एक वास्तविक समय निगरानी तंत्र (real time monitoring mechanism) भी स्थापित किया जाएगा।