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भारतीय विरासत और संस्कृति

पारंपरिक नववर्ष आधारित त्योहार

  • 15 Apr 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

भारत के उपराष्ट्रपति ने लोगों को ‘चैत्र शुक्लादि, गुड़ी पड़वा, उगादि, चेटीचंड, वैसाखी, विसु, पुथंडु और बोहाग बिहू’ त्योहारों पर शुभकामनाएँ दीं।

  • वसंत ऋतु के ये त्योहार भारत में पारंपरिक नववर्ष की शुरुआत के प्रतीक हैं।

प्रमुख बिंदु:

चैत्र शुक्लादि:

  • यह विक्रम संवत के नववर्ष की शुरुआत को चिह्नित करता है जिसे वैदिक [हिंदू] कैलेंडर के रूप में भी जाना जाता है।
  • विक्रम संवत उस दिन से संबंधित है जब सम्राट विक्रमादित्य ने शकों को हराया और एक नए युग का आह्वान किया।
  • उनकी देखरेख में खगोलविदों ने चंद्र-सौर प्रणाली के आधार पर एक नया कैलेंडर बनाया जिसका अनुसरण भारत के उत्तरी क्षेत्रों में अभी भी किया जाता है।
  • यह चैत्र (हिंदू कैलेंडर का पहला महीना) माह के ‘वर्द्धित चरण’ (जिसमें चंद्रमा का दृश्य पक्ष हर रात बड़ा होता जाता है) का पहला दिन होता है।

गुड़ी पड़वा और उगादि:

  • ये त्योहार कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र सहित दक्कन क्षेत्र में लोगों द्वारा मनाए जाते हैं।
  • दोनों त्योहारों के समारोहों में आम प्रथा है कि उत्सव का भोजन मीठे और कड़वे मिश्रण से तैयार किया जाता है।
  • दक्षिण में बेवु-बेला नामक गुड़ (मीठा) और नीम (कड़वा) परोसा जाता है, जो यह दर्शाता है कि जीवन सुख और दुख दोनों का मिश्रण है।
  • गुड़ी महाराष्ट्र के घरों में तैयार की जाने वाली एक गुड़िया है।
    • गुड़ी बनाने के लिये बाँस की छड़ी को हरे या लाल ब्रोकेड से सजाया जाता है। इस गुड़ी को घर में या खिड़की/दरवाजे के बाहर सभी को दिखाने के लिये प्रमुखता से रखा जाता है।
  • उगादि के लिये घरों में दरवाजे आम के पत्तों से सजाए जाते हैं, जिन्हें कन्नड़ में तोरणालु या तोरण कहा जाता है।

चेटी चंड:

  • सिंधी ‘चेटी चंड’ को नववर्ष के रूप में मनाते हैं। चैत्र माह को सिंधी में 'चेत' कहा जाता है।
  • यह दिन सिंधियों के संरक्षक संत उदयलाल/झूलेलाल की जयंती के रूप में मनाया जाता है।

नवरेह:

  • यह कश्मीर में मनाया जाने वाला चंद्र नववर्ष है।
    • संस्कृत के शब्द 'नववर्ष'से 'नवरेह' शब्द की व्युत्पत्ति हुई है।
  • यह चैत्र नवरात्रि के पहले दिन आयोजित किया जाता है।
  • इस दिन कश्मीरी पंडित चावल के एक कटोरे के दर्शन करते हैं, जिसे धन और उर्वरता का प्रतीक माना जाता है।

बैसाखी:

  • इसे हिंदुओं और सिखों द्वारा मनाया जाने वाला बैसाखी भी कहा जाता है।
  • यह हिंदू सौर नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है।
  • यह वर्ष 1699 में गुरु गोविंद सिंह के खालसा पंथ के गठन की याद दिलाता है।
  • बैसाखी वह दिन था जब औपनिवेशिक ब्रिटिश साम्राज्य के अधिकारियों ने एक सभा में जलियाँवाला बाग हत्याकांड को अंजाम दिया था, यह औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारतीय आंदोलन की एक घटना थी।

विशु:

  • यह एक हिंदू त्योहार है जो भारत के केरल राज्य, कर्नाटक में तुलु नाडु क्षेत्र, केंद्रशासित प्रदेश पांडिचेरी का माहे ज़िला, तमिलनाडु के पड़ोसी क्षेत्र और उनके प्रवासी समुदाय में मनाया जाता है।
  • यह त्योहार केरल में सौर कैलेंडर के नौवें महीने, मेदाम के पहले दिन को चिह्नित करता है।
  • यह हमेशा ग्रेगोरियन कैलेंडर में अप्रैल के मध्य में 14 या 15 अप्रैल को हर वर्ष आता है।

पुथांडू:

  • इसे पुथुवरुडम या तमिल नववर्ष के रूप में भी जाना जाता है, यह तमिल कैलेंडर वर्ष का पहला दिन है और पारंपरिक रूप से एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
  • इस त्योहार की तारीख तमिल महीने चिथिरई के पहले दिन के रूप में हिंदू कैलेंडर के सौर चक्र के साथ निर्धारित की जाती है।
  • इसलिये यह ग्रेगोरियन कैलेंडर में हर वर्ष 14 अप्रैल को आता है।

बोहाग बिहू:

  • बोहाग बिहू या रोंगाली बिहू, जिसे हतबिहु (सात बिहू) भी कहा जाता है, असम के उत्तर-पूर्वी भारत और अन्य भागों में मनाया जाने वाला एक पारंपरिक आदिवासी जातीय त्योहार है।
  • यह असमिया नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है।
  • यह आमतौर पर अप्रैल के दूसरे सप्ताह में आता है, ऐतिहासिक रूप से यह फसल के समय को दर्शाता है।

स्रोत-पीआईबी

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