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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सेवा क्षेत्र में व्यापार समझौता

  • 18 Jan 2017
  • 4 min read

सन्दर्भ

भारत के शीर्ष उद्योग संगठन समान हितों वाले विश्व के अन्य उद्योग संगठनों के साथ सहमति बनाने पर ज़ोर दे रहें हैं ताकि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के स्तर पर सेवाओं संबंधी व्यापार समझौते (Trade Facilitation in Services-TFS)) को बढ़ावा दिया जा सके|

सहमति बनाने पर ज़ोर क्यों ?

प्रस्तावित समझौते के माध्यम से आईटी पेशेवरों और कुशल श्रमिकों को अल्पकालिक कार्यों के लिये एक देश से दूसरे देश में जाना आसान हो जाएगा| साथ ही, इसके माध्यम से उनकी सामाजिक सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सकेगी|

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • भारत को उम्मीद है कि 2017 में डब्ल्यूटीओ सेवा क्षेत्र में व्यापार नियमों को सरल बनाने और दोहा दौर की बातचीत को उसके अंजाम तक पहुँचाने की दिशा में कुछ ठोस पहल करेगा| 
  • गौरतलब है कि भारत ने डब्ल्यूटीओ के समक्ष खाद्य सुरक्षा का स्थाई समाधान निकालने और सेवा क्षेत्र में व्यापार नियमों को सरल बनाए जाने की मांग रखी है|
  • भारत ने सेवाओं के क्षेत्र में व्यापार सरलीकरण समझौता (Trade Facilitation agreement-TFA) के बारे में अवधारणा पत्र भी जारी किया था| इस समझौते पर वर्ष 2014 में हस्ताक्षर किये गए थे| वस्तुतः भारत चाहता है कि सेवाओं के व्यापार में अनावश्यक नियामकीय और प्रशासनिक दबाव को समाप्त कर लेन-देन की लागत को कम किया जाए|

निष्कर्ष

  • भारत जहाँ यह चाहता है कि डब्ल्यूटीओ वैश्विक स्तर पर सेवाओं के क्षेत्र में ऐसा समझौता करे जिससे पारदर्शिता बढ़े, प्रक्रियाओं का सरलीकरण हो और अवरोधों को दूर किया जा सके| इसके विपरीत, अमेरिका सहित अन्य विकसित देश नए मुद्दों पर बातचीत शुरू कराना चाहते हैं क्योंकि विकसित देश ई-कॉमर्स, निवेश और सरकारी खरीद जैसे नए मुद्दों को आगे बढ़ाना चाहते हैं|
  • गौरतलब है कि डब्ल्यूटीओ की दोहा दौर की बातचीत 2001 में शुरू हुई थी, लेकिन विकसित और विकासशील देशों के बीच मतभेद बढ़ने की वज़ह से जुलाई 2008 से यह रुकी पड़ी है| यह मतभेद किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी को लेकर है|
  • हालाँकि, वर्ष 2016 के दौरान डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान निकाय को लेकर भी गतिविधियाँ काफी तेज़ रही हैं और भारत ने अमेरिका के खिलाफ इस निकाय में दो मामले दर्ज कराए हैं, एक अमेरिका के अस्थाई कार्य वीज़ा के मुद्दे पर और दूसरा नवीनीकरण अक्षय ऊर्जा को लेकर|
  • ऐसी सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और बढ़ती संरक्षणवादी प्रवृत्ति के कारण डब्ल्यूटीओ में नए साल के दौरान और भी मामले आ सकते हैं| 
  • व्यापार प्रतिबंध वाले उपायों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताते हुए डब्ल्यूटीओ ने जी-20 राष्ट्रों से कहा है कि वे नए संरक्षणवादी उपायों को लागू करने से दूर रहें|
  • डब्ल्यूटीओ की अगली मंत्रिस्तरीय बैठक दिसंबर 2017 में अर्जेंटीना में होनी है| इसमें अन्य बातों के अलावा टीएफए समझौते को भी अमल में लाया जा सकता है| अतः भारत के शीर्ष उद्योग संगठनों का यह प्रयास निश्चित ही सराहनीय है|
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